गोंडा, उत्तर प्रदेश में भीषण ट्रेन दुर्घटना: चंडीगढ़-दिब्रूगढ़ एक्सप्रेस पटरी से उतरी, 5 मृत और 25 घायल

गोंडा, उत्तर प्रदेश में भीषण ट्रेन दुर्घटना: चंडीगढ़-दिब्रूगढ़ एक्सप्रेस पटरी से उतरी, 5 मृत और 25 घायल

जुल॰, 18 2024

गोंडा में भीषण ट्रेन दुर्घटना

गोंडा, उत्तर प्रदेश में गुरुवार को एक भयानक ट्रेन दुर्घटना हुई, जब चंडीगढ़-दिब्रूगढ़ एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। इस हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई और कम से कम 25 अन्य घायल हो गए। यह घटना दोपहर करीब 2:30 बजे हुई, जब ट्रेन चंडीगढ़ से दिब्रूगढ़ की ओर जा रही थी। इस हादसे ने कई परिवारों को सदमे में डाल दिया और रेल सेवाओं में भारी व्यवधान पैदा कर दिया।

ट्रेन के विवरण और यात्रा विवरण

चंडीगढ़-दिब्रूगढ़ एक्सप्रेस एक महत्वपूर्ण ट्रेन सेवा है, जो उत्तर भारत से पूर्वोत्तर भारत को जोड़ती है। इस ट्रेन ने चंडीगढ़ से रात 11:39 बजे अपनी यात्रा शुरू की थी। दुर्घटना के समय, ट्रेन में 15 डिब्बे थे, जिनमें से तीन वातानुकूलित (एसी) डिब्बे थे। यह घटना झिलाही रेलवे स्टेशन और गोसाई दीहवा क्षेत्र के बीच हुई।

आँखों देखी घटना और तकनीकी खामियां

चश्मदीदों के मुताबिक, ट्रेन के ड्राइवर ने एक जोरदार आवाज सुनी थी, जिसके तुरंत बाद ट्रेन पटरी से उतर गई। इससे पहले कि यात्री स्थिति को समझ पाते, डिब्बे इधर-उधर गिरने लगे। यात्री बुरी तरह से हिल गए और चारों ओर चीख-पुकार मच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ध्वनि पटरी या ट्रेन के किसी हिस्से में तकनीकी खामी का संकेत हो सकती है। हालांकि, दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए जांच जारी है।

राहत और बचाव कार्य

दुर्घटना के तुरंत बाद, रेल विभाग और स्थानीय प्रशासन ने तेजी से राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया। दुर्घटना स्थल पर रेलवे अधिकारियों की टीम, मेडिकल स्टाफ और स्थानीय लोग मिलकर घायल यात्रियों को निकालने और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के प्रयास में जुट गए।

रेलवे सेवाओं में व्यवधान

इस दुर्घटना के कारण गोंडा और आसपास के क्षेत्रों में रेल सेवाओं में बड़े पैमाने पर व्यवधान उत्पन्न हुआ। कई ट्रेनें रद्द कर दी गईं या उनके मार्ग बदल दिए गए। यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए रेलवे प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था की लेकिन फिर भी यात्रियों को यातायात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

परिवारों का दर्द

इस हृदयविदारक हादसे में मारे गए लोगों के परिवार शोक में डूबे हैं। किसी ने पिता को खोया, किसी ने भाई, तो कहीं बच्चे अनाथ हो गए। अस्पतालों में अपने प्रियजनों के घायल होने की खबर सुनकर परिजन हड़बड़ाकर दौड़ पड़े। इस त्रासदी ने कई जिंदगियों को बुरी तरह प्रभावित किया है और इसका दर्द लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।

सरकारी प्रतिक्रिया और मुआवजा

उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने इस दुर्घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। घायलों के लिए भी उचित मुआवजे और चिकित्सा सुविधा का प्रावधान किया गया है।

एनआईए की जांच

दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए रेलवे मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। वहीं एनआईए इस बात का भी पता लगा रही है कि क्या यह किसी साजिश का हिस्सा था। इस बीच, रेलवे ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया है।

इस भीषण घटना ने एक बार फिर रेलवे सुरक्षा और संरचना की समस्याओं को उजागर किया है। भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं न हों, इसके लिए आवश्यक कदम उठाने का वक्त आ गया है।

8 टिप्पणि

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    Ajay baindara

    जुलाई 19, 2024 AT 06:22

    ये रेलवे तो बस नंबर बढ़ाने के लिए चलता है, सुरक्षा की कोई परवाह नहीं। पटरियां 30 साल पुरानी हैं और फिर भी ट्रेनें भर दी जाती हैं। ये लोग तो बस अपना बोनस लेने के लिए यहां बैठे हैं।

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    mohd Fidz09

    जुलाई 20, 2024 AT 12:45

    अरे भाई! ये देश का रेलवे है या किसी अफगानिस्तान की ट्रेन? जब तक हम अपने आप को अंग्रेजों के नीचे नहीं उठाएंगे, तब तक ये त्रासदियां चलती रहेंगी! ये लोग तो ट्रेन चलाने के बजाय चाय पी रहे हैं! जब तक हमारी बुद्धि नहीं बदलेगी, तब तक ये गलतियां दोहराई जाएंगी! भारत का गौरव? बस नारे का गौरव है!

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    Rupesh Nandha

    जुलाई 21, 2024 AT 18:51

    हम जब भी किसी दुर्घटना का जिक्र करते हैं, तो तुरंत आरोप लगाने लगते हैं-‘कारण क्या है?’ लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि ये दुर्घटनाएं किस तरह के सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था के नतीजे हैं? रेलवे की बुनियादी संरचना तो उसी समय बनी थी, जब भारत की जनसंख्या आधी थी। आज हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी रेल नेटवर्क है, लेकिन क्या हमारी नीतियां उसके साथ बढ़ी हैं? ये सिर्फ ट्रेन नहीं, ये हमारी अनदेखी सामाजिक जिम्मेदारियों का परिणाम है।

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    suraj rangankar

    जुलाई 23, 2024 AT 12:08

    अरे यार! ये जो हुआ, वो बस एक चेतावनी है! अगर हम अभी से कुछ नहीं करेंगे, तो अगली बार ये दुर्घटना और भी बड़ी होगी! रेलवे के लिए बजट बढ़ाओ, ट्रेनों को अपग्रेड करो, नए सेंसर लगाओ! ये बस एक ट्रेन नहीं, ये हमारी जिम्मेदारी है! चलो, अब से बदलाव शुरू करते हैं! ये नहीं होगा तो हम सब अपने आप को दोषी समझेंगे!

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    Nadeem Ahmad

    जुलाई 24, 2024 AT 03:55

    कल भी ऐसा हुआ था, पिछले साल भी। अब ये न्यूज़ बन गया है। लोग चिल्लाएंगे, फिर भूल जाएंगे। जब तक हम अपने दिमाग को बंद नहीं कर देते, तब तक ये चक्र चलता रहेगा।

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    Aravinda Arkaje

    जुलाई 24, 2024 AT 20:21

    हां, ये बहुत दुखद है। लेकिन अब रोने से कुछ नहीं होगा। अगर हम इस दुर्घटना को एक अवसर बना लें-एक बदलाव का अवसर-तो इसका कोई मतलब होगा। एक बार फिर बताता हूं: हम अपने रेलवे को बचा सकते हैं। बस थोड़ा धैर्य, थोड़ा सहयोग, और बहुत सारी जिम्मेदारी चाहिए।

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    kunal Dutta

    जुलाई 25, 2024 AT 21:08

    लुक अप देखो, ये एक classic 'infrastructure decay + operational neglect' scenario है। ट्रेन के डिब्बों का weight distribution, track gauge tolerance, और signal integrity-ये सब कुछ एक डिजिटल twin के जरिए monitor किया जाना चाहिए। अभी तक ये सब analog और reactive है। बस एक नया AI-driven predictive maintenance system लगा दो, और ये घटनाएं 90% तक कम हो जाएंगी। नहीं तो अगली बार एक ट्रेन नहीं, पूरा नेटवर्क collapse हो जाएगा।

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    Yogita Bhat

    जुलाई 27, 2024 AT 04:44

    अरे भाई, ये सब तो बस एक बड़ा 'systemic failure' है। जब तक हम ये नहीं समझेंगे कि ये ट्रेन नहीं, हमारा सोचने का तरीका खराब है-तब तक ये दुर्घटनाएं चलती रहेंगी। ये सिर्फ रेलवे की गलती नहीं, ये हमारी अनदेखी की गलती है। अब तो बस चुपचाप बैठे रहना बंद करो, और अपने नेताओं को बुलाओ-और उन्हें बताओ कि हम इसे और नहीं झेलेंगे!

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