Kiaasa IPO: कालीन से कपड़ों तक, ओम प्रकाश–अमित चौहान की आक्रामक रिटेल रणनीति

Kiaasa IPO: कालीन से कपड़ों तक, ओम प्रकाश–अमित चौहान की आक्रामक रिटेल रणनीति

सित॰, 6 2025

महामारी में खरीदा ब्रांड, अब IPO—यह बदलाव कैसे संभव हुआ

एक दशक पहले ये दोनों कालीन बेचते थे; आज वही टीम महिलाओं के एथनिक फैशन में एक तेज़ी से बढ़ता ब्रांड चला रही है और पूंजी बाज़ार का दरवाज़ा खटखटा रही है। ओम प्रकाश और अमित चौहान ने 2010 में हैंडमेड कार्पेट मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट कंपनी ‘रग्स इन स्टाइल’ शुरू की। यह कंपनी आज 65 से ज्यादा देशों में निर्यात करती है—यानी अंतरराष्ट्रीय सप्लाई, डिज़ाइन, और स्केलिंग का उनका अनुभव परखा हुआ है।

ओम प्रकाश ने इंटरनेशनल बिज़नेस में एमबीए किया है, रांची के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से आईटी में डिग्री ली, और IIT खड़गपुर से ई-कॉमर्स टेक्नोक्रैट सर्टिफिकेशन भी जोड़ा। अमित चौहान एमबीए पृष्ठभूमि के साथ रणनीति, फाइनेंस और लीडरशिप में माहिर हैं। महामारी के बीच मार्च 2021 में इस जोड़ी ने एक साहसी दांव लगाया—महिलाओं के एथनिक वियर रिटेलर ‘किआसा’ का अधिग्रहण। लक्ष्य साफ था: बढ़ती मांग, छोटे शहरों की खरीदारी ताकत, और डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर रिटेल मॉडल में एक फुर्तीला, स्केलेबल ब्रांड बनाना।

अधिग्रहण के बाद किआसा ने गति पकड़ी। आज ब्रांड 20 राज्यों के 60 से ज्यादा शहरों में मौजूद है और 100 से अधिक एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट (EBO) चला रहा है। ध्यान कुर्ता, सूट, लहंगा और एक्सेसरीज़ जैसे कोर प्रोडक्ट्स पर है—यानी त्योहार और शादी-ब्याह सीज़न के साथ-साथ रोज़मर्रा के पहनावे की पेशकश। कंपनी की रणनीति टियर-2 शहरों के क्लस्टर बनाकर तेज़ विस्तार करने की रही है, ताकि सप्लाई चेन कॉम्पैक्ट रहे, इन्वेंट्री मूवमेंट तेज़ हो और स्टोर सपोर्ट सरल बने।

ब्रांडिंग पर भी फोकस दिखा। टीवी शो ‘गुड्डन’ से पहचानी जाने वाली अभिनेत्री कनिका मान को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया, ताकि लक्षित ग्राहकों—युवा और उभरते मध्यमवर्ग—तक सटीक पहुंच बने। यह कदम बताता है कि कंपनी सिर्फ स्टोर की संख्या नहीं बढ़ा रही, बल्कि ब्रांड मेमोरी और भरोसा भी बना रही है।

इस बदलाव की बुनियाद उनके पहले वेंचर में है। ‘रग्स इन स्टाइल’ ने उन्हें डिज़ाइन-टू-डिस्पैच साइकिल, क्वालिटी कंट्रोल, और विदेशी बाज़ार की अपेक्षाओं के साथ तालमेल बिठाना सिखाया। यही अनुशासन रिटेल में काम आया—कलेक्शंस का तेज़ टर्नअराउंड, मौसमी लाइन-अप, और स्टोर-स्तर पर डेटा की मदद से सेलेक्शन तय करना।

कंपनी के नेतृत्व का कहना है कि BSE से SME प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग की मंज़ूरी उनके लिए एक बड़ा माइलस्टोन है। संकेत साफ है—अब फोकस पूंजी, विस्तार, और प्रोसेस गवर्नेंस पर होगा। अमित चौहान की फाइनेंस और स्ट्रेटेजी समझ यहां निर्णायक हो सकती है, क्योंकि तेज़ी से बढ़ते रिटेल नेटवर्क को कैश फ्लो का अनुशासन चाहिए।

  • 2010: ‘रग्स इन स्टाइल’ की शुरुआत; हैंडमेड कार्पेट का ग्लोबल एक्सपोर्ट
  • 65+ देश: एक्सपोर्ट नेटवर्क—डिज़ाइन, क्वालिटी और सप्लाई में दक्षता
  • मार्च 2021: ‘किआसा’ का अधिग्रहण; रिटेल फैशन में प्रवेश
  • 100+ स्टोर: 20 राज्यों और 60+ शहरों में उपस्थिति
  • ब्रांड एंबेसडर: कनिका मान की नियुक्ति

SME प्लेटफॉर्म पर IPO, स्टोर विस्तार और रिटेल की बारीकियां

BSE के SME प्लेटफॉर्म पर कंपनी को जो मंज़ूरी मिली है, उसके तहत 55 करोड़ रुपये तक का फ्रेश इश्यू आएगा। यह पूंजी नए स्टोर खोलने और आगे के विस्तार पर खर्च होगी—यानी स्टोर नेटवर्क बढ़ाना, संभवतः वेयरहाउसिंग और तकनीक में सुधार, और वर्किंग कैपिटल को मजबूत करना। Kiaasa IPO छोटे निवेशकों के लिए एक अवसर तो हो सकता है, लेकिन SME इश्यू आमतौर पर बड़े लॉट साइज और अलग लिक्विडिटी प्रोफाइल के साथ आते हैं। निवेशकों के लिए यह समझना अहम है कि SME लिस्टिंग में रिपोर्टिंग और गवर्नेंस की जिम्मेदारियां तो पूरी होती हैं, पर ट्रेडिंग वॉल्यूम और एनालिस्ट कवरेज मेन-बोर्ड कंपनियों जैसा नहीं होता।

कंपनी का अल्पकालिक लक्ष्य स्टोर नेटवर्क को FY28 तक 250+ तक ले जाना है। हार्ड एवरेजिंग के बिना भी अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं कि इतनी तेज़ विस्तार दर के लिए लोकेशन, प्रतिभा (स्टोर स्टाफ), और सप्लाई चेन में ठोस तैयारी चाहिए। रिटेल में दो सामान्य मॉडल चलते हैं—COCO (कंपनी ओन्ड, कंपनी ऑपरेटेड) और फ्रेंचाइज़। किआसा किस मिश्रण का चुनाव करती है, यह उनके विस्तृत दस्तावेज़ आने पर साफ होगा, पर पूंजी का बड़ा हिस्सा नए स्टोर में जाने से संकेत मिलता है कि ऑन-ग्राउंड कंट्रोल और ग्राहक अनुभव पर कंपनी वजन दे रही है।

भारतीय एथनिक वियर सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा तीखी है—बड़े ब्रांड्स, क्षेत्रीय लेबल, और दर्जनों बुटीक एक ही ग्राहक का ध्यान खींचते हैं। ई-कॉमर्स पर डिस्काउंटिंग और तेज़ फैशन की उम्मीदें अलग दबाव बनाती हैं। इस माहौल में किआसा का टियर-2 शहरों पर फोकस रणनीतिक लगता है: यहां किराया और संचालन लागत बड़े महानगरों की तुलना में कम होती है, और ब्रांडेड लेकिन किफायती एथनिक की मांग तेज़ी से बढ़ी है।

किसी भी फैशन रिटेलर की सेहत कुछ मेट्रिक्स से समझी जा सकती है—सेम-स्टोर सेल्स ग्रोथ (SSSG), सकल मार्जिन, इन्वेंट्री टर्न, और स्टोर पेबैक पीरियड। निवेशक आगे चलकर यही नंबर देखेंगे। अगर कंपनी कलेक्शन लॉंच की आवृत्ति बढ़ाकर इन्वेंट्री टर्न तेज़ रखती है, तो नकदी चक्र बेहतर रहता है। दूसरी तरफ, शादी-त्योहार सीज़न पर अत्यधिक निर्भरता जोखिम भी है—सीज़न बिगड़ा तो इन्वेंट्री फंस सकती है।

ओमनी-चैनल भी अब विकल्प नहीं, ज़रूरत है। स्टोर को वेबसाइट/ऐप से जोड़ना, ऑर्डर इन-स्टोर पिकअप या होम डिलीवरी देना, और डिजिटल कैंपेन से फुटफॉल ड्राइव करना—ये सब मिलकर ग्राहक जीवनकाल मूल्य बढ़ाते हैं। किआसा खुद को डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर ब्रांड कहती है, तो ऑनलाइन और ऑफलाइन का ये मेल नतीजा देगा। टियर-2 ग्राहकों के लिए व्हाट्सऐप कैटलॉग, स्थानीय इन्फ्लुएंसर सहयोग, और क्षेत्र-विशेष आकार/फिट पर फोकस अक्सर अधिक असरदार रहता है।

कलेक्शन रणनीति भी अहम है। एथनिक वियर में ‘वैल्यू-फॉर-मनी’ सेगमेंट बड़ा है—यानी आकर्षक डिज़ाइन, भरोसेमंद फैब्रिक, और टिकाऊ फिनिश, वह भी आसान कीमत पर। अगर कंपनी ने साइज-इन्क्लूसिविटी और रीजनल टेस्ट को अच्छे से समझ लिया, तो रिपीट खरीद बढ़ती है। एंट्री-प्राइस प्वाइंट का फैलाव और सीमित-एडिशन ड्रॉप्स, दोनों तरह के ग्राहकों को खींचते हैं—बजट भी, और ट्रेंड-सीकर भी।

रग्स इन स्टाइल से आए ऑपरेशनल अनुशासन के दो फायदे दिखते हैं। पहला, सप्लाई चेन की पकड़—वेंडर डेवलपमेंट, गुणवत्ता जांच, और समय पर डिलीवरी। दूसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार की समझ—FY26 में वैश्विक विस्तार का जो इरादा है, वहां यह अनुभव काम आएगा। भले ही एथनिक वियर का अंतरराष्ट्रीय ग्राहक अलग हो, पर निर्यात के बुनियादी नियम—कंट्रैक्टिंग, कंप्लायंस, और लॉजिस्टिक्स—यही रहते हैं।

जोखिमों पर भी नजर जरूरी है। फैशन में ट्रेंड बदलते देर नहीं लगती। गलत खरीदी या धीमी रिफिल से मार्जिन दबते हैं। रियल एस्टेट लागत अगर बढ़ी तो यूनिट इकॉनॉमिक्स बिगड़ते हैं। श्रम और सप्लाई में रुकावटें—त्योहारों से पहले का पीक—कई बार शेड्यूल हिला देती हैं। ब्रांडिंग पर खर्च का फायदा तभी मिलता है जब स्टोर-स्तर पर रूपांतरण (कन्वर्ज़न रेट) और टिकट साइज निरंतर सुधरें।

फिर भी, कुछ मजबूती साफ दिखती है—कम समय में 100+ स्टोर्स तक पहुंचना, 20 राज्यों में कवर बनाना, और SME IPO के रास्ते पर नियामकीय मंजूरी मिलना। इससे यह संकेत मिलता है कि प्रबंधन वृद्धि, नियंत्रण और पूंजी के बीच संतुलन साधने को तैयार है। ओम प्रकाश ने इसे विकास यात्रा का प्रमुख पड़ाव बताया है और अमित चौहान ने संभावनाओं का भरोसा जताया है—यानी आगे की रफ्तार योजना-आधारित होगी, आकस्मिक नहीं।

ग्राहकों के नज़रिए से देखें तो ब्रांड का वादा साफ है—एथनिक और फ्यूज़न का ऐसा संतुलन जो रोज़मर्रा और विशेष मौके, दोनों में काम आए। अगर कंपनी ने स्टोर-फॉर्मेट को सरल रखा, ट्रायल एरिया और विज़ुअल मर्चेंडाइजिंग पर ध्यान दिया, और आफ्टर-सेल्स (अल्टरेशन, आसान रिटर्न) सुधारा, तो छोटे शहरों में ब्रांड लॉयल्टी जल्दी बनती है।

निवेशक क्या देखें? निकट भविष्य में—नए स्टोर की गति बनाम लाभप्रदता, लीक-से-हटकर लोकेशन पर पेबैक, और इन्वेंट्री मैनेजमेंट। मध्यम अवधि में—SSSG का ट्रेंड, ग्रॉस मार्जिन की दिशा, और ओमनी-चैनल से मिलने वाली बढ़त। लंबे समय में—FY28 का 250+ स्टोर्स लक्ष्य और FY26 का ग्लोबल प्लान कितनी कुशलता से क्रियान्वित होता है।

फिलहाल तस्वीर यह है: दो उद्यमियों ने निर्माण और निर्यात से सीखी अनुशासन और स्केलिंग की कला को फैशन रिटेल में उतारा है। महामारी के बीच खरीदा ब्रांड अब राष्ट्रीय नेटवर्क बना चुका है। BSE के SME प्लेटफॉर्म पर आने वाला इश्यू विस्तार की अगली परत का ईंधन होगा—और इसी पर टिका है कि किआसा अगली पंक्ति के एथनिक ब्रांड्स में जगह बनाता है या नहीं।

10 टिप्पणि

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    Vitthal Sharma

    सितंबर 7, 2025 AT 05:37

    100+ stores in 20 states? Bas ek saal mein ye kaise ho gaya?

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    simran grewal

    सितंबर 7, 2025 AT 19:38

    Arre yaar, ye log kya soch kar carpet se lekar lehenga tak aa gaye? Main toh sochta tha ye log ek din ke liye jhootha IPO chala rahe hain. Par ab dekh raha hoon-yeh toh genuine business model hai. Kya baat hai! 😏

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    vikram yadav

    सितंबर 9, 2025 AT 04:29

    Ye brand tier-2 cities mein kyun chal raha hai? Kyunki yahan ke logon ko brand ka naam nahi, quality aur fit chahiye. Aur yehi baat unki success ka raaz hai. Delhi-Mumbai ke logon ko toh zyada dikkat nahi hoti, lekin UP, Bihar, Jharkhand ke logon ke liye ye brand ek naya sahara ban gaya hai. Bhai, yeh toh real retail hai!

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    chandra aja

    सितंबर 9, 2025 AT 22:00

    Yeh sab kuchh theek hai... lekin kya tumne socha ki yeh IPO kis ke liye hai? Bas 55 crore? Yeh toh ek chhote investor ke liye bait hai. Big players toh pehle se hi stock le chuke hain. Ye log bas public ko khaana chahte hain. 😒

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    Abhishek Deshpande

    सितंबर 11, 2025 AT 15:57

    Wait, wait, wait... ye log ne kya kaha? 'Rags in Style' se 'Kiaasa' tak ka journey? Bas itna hi? Kya ye sirf ek rebranding hai? Ya phir koi hidden ownership change? Kya ye IPO ke baad bhi original founders control kar rahe hain? Ye sab kuchh disclosure mein nahi hai... ye red flag hai...

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    Dr.Arunagiri Ganesan

    सितंबर 12, 2025 AT 18:12

    Yeh brand sirf kapde nahi bech raha, yeh ek culture bech raha hai. Har ek kurta, har ek lehenga, ek story carry karta hai-aur yeh story, humari maa-ki-kahani, humari gaon ki yaadon ka hissa hai. Ye logo ne sirf business nahi kiya, ek movement shuru kiya hai. India ka ethnic wear ab sirf desi nahi, proud hai. 🇮🇳

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    Thomas Mathew

    सितंबर 13, 2025 AT 11:06

    Agar tumne 65 countries mein carpet becha hai, toh tumhe pata hai ki customer ki expectations kya hoti hain. Ab yehi logic apply kiya hai fashion mein. Yeh koi luck nahi hai, yeh strategy hai. Aur jab strategy hai, toh IPO bhi bas ek formality hai. Koi bhi aadmi jo 10 saal tak ek business ko build karta hai, uska IPO nahi, uska legacy hai.

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    Monika Chrząstek

    सितंबर 15, 2025 AT 07:28

    maine dekha hai ki kuchh stores mein try karna bahut mushkil hai... jaise size nahi milta ya fit nahi hai... kya ye brand yeh bhi solve kar raha hai? agar haan toh bhai ye toh real hero hai... please batao kya kuchh return policy hai? meri cousin ne ek lehenga khareeda tha aur woh fit nahi hua... aur return nahi hua...

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    Vinay Menon

    सितंबर 16, 2025 AT 09:11

    Ek sawal: agar ye brand tier-2 mein itna successful hai, toh kyun nahi kisi rural area mein bhi jaa rahe? Jaise Buxar, Sitamarhi, or Gaya? Wahan bhi ek demand hai-sirf marketing nahi, actual presence chahiye. Ek dukaan, ek salesperson, ek WhatsApp catalog-bas itna bhi kaafi hai. Yeh koi startup nahi, yeh ek movement hai. Aur movement ko grassroots tak jana chahiye.

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    Sutirtha Bagchi

    सितंबर 17, 2025 AT 13:23

    Ye log toh ekdum sahi kar rahe hain! Main bhi ek lehenga khareeda tha aur yeh wala fit perfect tha! Aur kya baat hai-price bhi theek tha! Ab toh main har festival pe yehi brand choose karti hoon. Koi bhi discount nahi chahiye, bas quality chahiye. Aur yeh brand de raha hai! ❤️

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