ईरान के लिए इज़राइल का सटीक हवाई हमला कैसे बना चर्चा का विषय
इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब स्थिति और भी गंभीर हो गई है। हाल ही में इज़राइल ने ईरान में कई सैन्य ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इज़राइल की इस कारवाई में 100 से अधिक विमानों ने हिस्सा लिया, जिनमें अत्याधुनिक F-35 जेट भी शामिल थे। इस हवाई हमले का उद्देश्य ईरान द्वारा किए गए हमले का जवाब देना था, जिसमें इज़राइल पर हमला किया गया था।
हमले की बुनियाद पर क्या था?
यह पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब सितंबर माह में हिज़बुल्लाह का प्रमुख हसन नसरल्लाह लेबनान में इज़राइल के एक हवाई हमले का शिकार हो गया। इसके एवज में, ईरान ने एक अक्टूबर को इज़राइल पर हमला किया। यह घटनाक्रम एक नई कड़ी जोड़कर आगे बढ़ा जिसमें इज़राइल ने तत्काल कार्रवाई करते हुए ईरान के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर हमले किए। इस हमले के दौरान इज़राइल ने कई रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिसमें तेहरान, इलाम और खुज़ेस्तान में स्थित सैन्य बेस शामिल थे।
हमलों का विभिन्न स्रोतों से मंथन
जहां इज़राइल के सेना के प्रवक्ता रईयर एडमिरल डेनियल हागारी ने हमले का औचित्य बताते हुए कहा कि इज़राइल ने अपने मिशन को पूरा कर लिया है, वहीं ईरान ने इन हमलों को 'झूठे प्रचार' के रूप में निरूपित किया है। ईरान के अनुसार, 100 विमानों के आगमन की खबर गलत है और इस हमले का प्रभाव न्यूनतम है। हालांकि, यह कहना गलत नहीं होगा कि इज़राइल के इस हमले ने कम से कम सात बड़े विस्फोटों की गुंजाइश बनाई है। इस खबर ने इज़राइल और ईरान के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका
इस घटना के चलते राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका को भी इस हमले की जानकारी पहले से थी, ऐसा दो अमेरिकी अधिकारियों ने एसोसिएटेड प्रेस को सूचित किया। हालांकि, अमेरिकी सरकार ने इस विषय पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी है। यह स्थिति न सिर्फ इज़राइल और ईरान के लिए बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट के लिए चिंता का विषय बन गई है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंता
इस स्थिति ने विश्वभर में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। कई विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इन घटनाओं का अगला कदम कहीं एक व्यापक संघर्ष की ओर इशारा न कर दे। अगर ऐसा होता है तो इसकी गूंज न सिर्फ मध्य एशिया बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई देगी।
इन हादसों ने एक बार फिर इज़राइल और ईरान के बीच चिरकालीन विरोध को उजागर किया है, जो कई दफा खौफनाक स्तिथि तक पहुँच चुका है। विश्व समुदाय को इस टकराव के संभावित परिणामों को ध्यान में रखते हुए सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि हालात और बिगड़ न जाएं। इज़राइल और ईरान जैसे देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंध इस तरह के घटनाक्रम से और भी नाजुक स्थिति में पहुंच सकते हैं।
Thomas Mathew
अक्तूबर 28, 2024 AT 19:01Dr.Arunagiri Ganesan
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