एंडी मरे ने टेनिस के खेल में अपने योगदान को सदैव के लिए स्मरणीय बना दिया है। विंबलडन में अपने भाई जेमी के साथ पुरुष युगल मुकाबले में हारने के बाद, मरे ने घोषणा की कि अब समय आ गया है जब वह टेनिस से संन्यास लेने को तैयार हैं। यह घोषणा उनके लाखों प्रशंसकों के लिए एक भावनात्मक क्षण था जो पिछले 19 सालों से उनके खेल का आनंद ले रहे हैं। तीन बार के ग्रैंड स्लैम विजेता मरे के इस निर्णय ने टेनिस दुनिया में एक बड़ी चर्चा शुरू कर दी है।
विंबलडन में अंतिम मुकाबले के बाद, मरे ने माना कि अब वह अपने आप को उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करने में असमर्थ पाते हैं। ऑस्ट्रेलियाई जोड़ी रिंकी हिजिकाटा और जॉन पीयर्स से हारने के बाद मरे ने विनम्र भाव से अपने करियर को अलविदा कहने की तैयारी की। इस हार के बावजूद, मरे के खेल में निभाई गई भूमिका और उनकी उपलब्धियां किसी से कम नहीं हैं।
19 साल का शानदार करियर
एंडी मरे के करियर पर नज़र डालें तो यह सफलता और संघर्ष का मिश्रण है। उन्होंने तीन ग्रैंड स्लैम खिताब जीते और उनकी खेल भावना की दुनिया ने सराहना की। उनकी जुनून और उनके हर मैच में दिया गया 100 प्रतिशत योगदान उन्हें एक अद्वितीय खिलाड़ी बनाता है। 19 साल के इस लंबे सफर में, मरे ने कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन उनकी हिम्मत और मेहनत ने उन्हें कभी रुकने नहीं दिया।
पिछला संघर्ष और वापसी
मरे ने विंबलडन से पहले स्पाइनल अपरेशन करवाया था, जिसमें सिर्फ बारह दिन पहले उन्होंने सर्जरी करवाई। इतनी कठिनाई के बाद भी उन्होंने कोर्ट पर वापसी की और अपने प्रशंसकों को खेल का अद्वितीय प्रदर्शन दिखाया। यह उनकी अटूट समर्पण की मिसाल है।
आखिरी मैच और विदाई समारोह
मरे का अंतिम मैच और विदाई समारोह भी उतना ही विशेष था जितना उनका करियर। ऑल इंग्लैंड क्लब ने मरे के योगदान को सराहते हुए एक विशेष समारोह आयोजित किया जिसमें नोवाक जोकोविच, टिम हेनमैन, इगाई आतेक, जॉन मैकएनरो, और मार्टिना नव्रातिलोवा जैसी टेनिस की प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। यह मरे के करियर के लिए एक यादगार विदाई थी।
एंडी मरे ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि उनके लिए ये क्षण कितना भावनात्मक है क्योंकि वह अपने जिस खेल के प्रति बचपन से ही जुनूनी रहे हैं, उसे अब अलविदा कहने का समय आ गया है।
अंतिम मुकाबले की तैयारी
अपनी अंतिम विंबलडन उपस्थिति के बाद, मरे मिश्रित युगल में एम्मा राडुकानु के साथ खेलते नजर आएंगे। यह उनके करियर का आखिरी बड़ा मुकाबला होगा और इसके बाद वह अपने पांचवें ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने की योजना बना रहे हैं। पेरिस ओलंपिक में भाग लेने के बाद, मरे अपने रैकेट को अलविदा कहेंगे।
अपने करियर के अंत की इस घड़ी में मरे ने अपने समर्पण और निरंतरता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में उन्होंने अपने आप को आगे बढ़ने से नहीं रोका और यही उनके खेल की सबसे बड़ी ताकत थी।
एंडी मरे का यह निर्णय निस्संदेह टेनिस दुनिया के लिए एक बड़ी बात है। उनके खेल की अनुशासन, मेहनत और समर्पण की कहानियां हमेशा यादों में बनी रहेंगी। निखिल
Sutirtha Bagchi
जुलाई 6, 2024 AT 20:57अंतिम मैच में भी वो लड़ा जैसे अभी जीतने का रास्ता बचा हो! 😭❤️ एंडी तो खिलाड़ी नहीं, देवता हैं।
Abhishek Deshpande
जुलाई 7, 2024 AT 18:59यह बात बहुत गहरी है, और मैं इसे विश्लेषणात्मक रूप से देखूंगा: एंडी मरे का करियर, जिसमें तीन ग्रैंड स्लैम, दो ओलंपिक स्वर्ण, और एक डेविस कप जीत शामिल है, एक अद्वितीय उपलब्धि है, जिसकी तुलना केवल रॉजर फेडरर और राफेल नादाल के साथ ही की जा सकती है-और यहाँ तक कि उनकी लंबी चोटों के बावजूद भी वापसी का साहस जो उन्होंने दिखाया, वह एक ऐसा मानसिक दृढ़ता का प्रतीक है जिसे आज के युवा खिलाड़ी नहीं समझ पाते।
vikram yadav
जुलाई 8, 2024 AT 14:33भारत के लिए भी ये बात बहुत खास है। हमारे यहाँ टेनिस को बहुत कम ध्यान दिया जाता है, लेकिन एंडी ने दिखा दिया कि मेहनत और लगन से कोई भी दुनिया का बेस्ट बन सकता है। उनकी विंबलडन की वापसी, जब उन्होंने सिर्फ 12 दिन बाद सर्जरी के बाद कोर्ट पर आये, वो किसी फिल्म का दृश्य लग रहा था।
हमारे यहाँ भी ऐसे खिलाड़ी पैदा होने चाहिए-जो बिना लक्ष्य के नहीं रुकते।
Tamanna Tanni
जुलाई 9, 2024 AT 03:23इतना समर्पण देखकर लगता है कि खेल सिर्फ जीत-हार नहीं, बल्कि अपने आप को पार करने की लड़ाई है।
एंडी ने जो किया, वो किसी भी युवा के लिए एक रास्ता दिखाता है।
Rosy Forte
जुलाई 11, 2024 AT 02:32यह केवल एक खिलाड़ी का संन्यास नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्कृष्टता का समापन है-एक ऐसे व्यक्ति का जिसने शारीरिक सीमाओं को तोड़कर एक नए विश्वास की स्थापना की: कि इंसानी इच्छाशक्ति, जब अनन्य हो, तो भौतिक नियमों को अस्वीकार कर देती है।
मरे का करियर एक विश्व-स्तरीय दर्शन है-जिसमें विनम्रता, संघर्ष, और अनन्त समर्पण का संगम है।
यह निर्णय अंत नहीं, बल्कि एक नए अवधारणा की शुरुआत है: जहाँ खेल बाहरी विजय की नहीं, बल्कि आंतरिक जीत की यात्रा है।
हम सभी जिन्होंने उन्हें खेलते देखा, उन्हें अपने अंदर एक अमर उपास्य बना लिया है।
विंबलडन का यह अंतिम दृश्य अब एक धार्मिक प्रतीक बन गया है-जहाँ रैकेट नहीं, बल्कि आत्मा जीतती है।