लाडकी बहिन योजना: महाराष्ट्र ने 26.34 लाख खातों पर रोक, 14 हजार पुरुष पकड़े गए

लाडकी बहिन योजना: महाराष्ट्र ने 26.34 लाख खातों पर रोक, 14 हजार पुरुष पकड़े गए

सित॰, 20 2025

2.25 करोड़ पंजीकृत लाभार्थियों वाली लाडकी बहिन योजना में बड़ी सर्जरी हुई है। राज्य की आईटी विभाग-आधारित जांच में अनियमितताएं सामने आने के बाद सरकार ने 26.34 लाख खातों पर जून 2025 से भुगतान रोक दिया है। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस महिलाओं-केंद्रित योजना में 14,000 से ज्यादा पुरुष भी लाभ लेते मिले। महिला व बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने कहा, पात्रों को भुगतान जारी रहेगा और संदिग्ध मामलों की जिला स्तर पर भौतिक जांच कराई जा रही है।

जांच में क्या मिला, किन श्रेणियों में अपात्रता दिखी

राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने बड़े स्तर पर डेटा मिलान किया। विभाग ने आवेदन विवरण को आधार-आधारित eKYC, पारिवारिक रिकॉर्ड, आय-आयु मानकों और बैंक खाता जानकारी के साथ क्रॉस-चेक किया। इसी प्रक्रिया में कई तरह की विसंगतियां सामने आईं।

  • पुरुष लाभार्थी: महिलाओं के लिए बनी योजना में 14,000+ पुरुषों के खाते सक्रिय मिले।
  • परिवार स्तर की ऊपरी सीमा का उल्लंघन: एक ही परिवार से दो से अधिक सदस्यों को लाभ मिलता पाया गया।
  • डुप्लीकेट/मल्टीपल क्लेम: एक ही व्यक्ति द्वारा अलग प्रविष्टियों के जरिए लाभ लेना या अलग योजनाओं से समान लाभ लेना।
  • पात्रता मानकों का मिसमैच: आय सीमा (सालाना 2.5 लाख) और आयु मानक (21-65 वर्ष) से बाहर होने के बावजूद भुगतान का रिकॉर्ड।

सरकार ने साफ किया कि यह रोक अस्थायी और सावधानीपूर्ण है। संदिग्ध सूची जिला प्रशासन को भेज दी गई है। कलेक्टरों को घर-घर सत्यापन, दस्तावेज जांच और परिवार-आधारित मिलान का काम सौंपा गया है। जो पात्र पाए जाएंगे, उनका भुगतान बहाल किया जाएगा।

योजना के पैमाने का अंदाजा इससे लगाइए कि हर पात्र महिला को 1,500 रुपये महीना मिलता है। पंजीकरण 2.25 करोड़ होने का मतलब है कि मासिक वित्तीय भार 3,300-3,400 करोड़ रुपये के आसपास बैठता है। इतनी बड़ी रकम में डेटा शुद्धता और डुप्लीकेट रोकथाम अनिवार्य है। इसीलिए राज्य ने इसे अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक योजना ऑडिट कवायद बताया है।

मंत्री अदिति तटकरे के मुताबिक, पात्र महिलाओं की किस्तें बिना रुकावट जारी रहेंगी। जिनका भुगतान रुका है, वे जांच में पात्र पाई जाने पर फिर से लाभ लेंगी। विभाग ने जिलों को प्राथमिकता तय करने को कहा है—जहां शिकायतें ज्यादा हैं, वहां पहले फील्ड वेरिफिकेशन होगा।

लाभार्थियों के लिए आगे की प्रक्रिया, वित्तीय असर और सियासी हलचल

लाभार्थियों के लिए आगे की प्रक्रिया, वित्तीय असर और सियासी हलचल

अगर आपका भुगतान रुका है, तो घबराने की जरूरत नहीं। सबसे पहले अपनी मूल कागजात तैयार रखें—आधार कार्ड, बैंक पासबुक, आय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड या परिवार संबंधी दस्तावेज। eKYC और बैंक खाते की वैधता दोबारा सुनिश्चित करें। ग्राम पंचायत/वार्ड कार्यालय, स्थानीय महिला व बाल विकास कार्यालय या तहसील स्तर पर सत्यापन शिविरों में दस्तावेज दिखाकर स्थिति अपडेट कराएं।

सरकार का कहना है कि सत्यापन पूरा होते ही पात्र लोगों के खाते में राशि फिर से जाएगी। बकाया किस्तों पर निर्णय जिला रिपोर्ट के आधार पर होगा। जो लोग गलत जानकारी देकर पैसा ले रहे थे, उनसे वसूली और कानूनी कार्रवाई की तैयारी है। विभाग सिस्टम को और कड़ा करने के लिए डीडुप्लिकेशन इंजिन, दो-स्तरीय eKYC और रैंडम फील्ड ऑडिट जैसी प्रक्रियाएं बढ़ाने की बात कर रहा है।

विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले ने 4,800 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया और श्वेतपत्र के साथ उच्च स्तरीय जांच की मांग रखी। सरकार की ओर से संकेत हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ हुई बैठकों के बाद गलत लाभ लेने वालों पर सख्त कार्रवाई और सिस्टम सुधार दोनों समानांतर चलेंगे।

सोशल सेक्टर की योजनाओं में अक्सर दो चुनौती रहती हैं—पात्र तक लाभ पहुंचाना और अपात्र को बाहर करना। इस केस में 26.34 लाख खातों पर रोक से तत्काल वित्तीय भार घटा है, लेकिन बड़ी परीक्षा यह है कि किसी वास्तविक लाभार्थी का हक न कटे। इसी वजह से सरकार ने जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं: डेटा पर भरोसा करने से पहले घर-घर जाकर दस्तावेज देखें, परिवार-आधारित मिलान करें और हर फैसले का लिखित रिकॉर्ड रखें।

योजना का मूल उद्देश्य—21 से 65 वर्ष आयु की महाराष्ट्र की महिलाओं को 1,500 रुपये प्रतिमाह की सीधी सहायता—जारी है। जो महिलाएं आय सीमा में आती हैं, निवासी हैं और परिवार की पात्रता शर्तें पूरी करती हैं, उन्हें भुगतान मिलता रहेगा। अपात्रता के संदेह वाले मामलों में पारदर्शी, समयबद्ध और दस्तावेज-आधारित जांच अगला निर्णायक कदम है।

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