Rishabh Pant का रोमांचक बयान: 'तेल लगाओ डाबर का, विकेट गिराओ बाबर का' से विश्व कप मुकाबलों का उत्साह बढ़ा

Rishabh Pant का रोमांचक बयान: 'तेल लगाओ डाबर का, विकेट गिराओ बाबर का' से विश्व कप मुकाबलों का उत्साह बढ़ा

जून, 11 2024

ऋषभ पंत की ताज़ा प्रतिक्रिया

भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत ने अहम प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि 'तेल लगाओ डाबर का, विकेट गिराओ बाबर का' जैसे नारे क्रिकेट के खेल में रोमांच बढ़ा देते हैं। यह नारा आगामी भारत-पाकिस्तान विश्व कप मैच के दौरान चर्चाओं में है। इस नारे का सीधा उद्देश्य पाकिस्तानी कप्तान बाबर आजम को लक्ष्य बनाना है, और इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि दोनों टीमों के समर्थकों के बीच कितनी गहरी प्रतिस्पर्धा है।

भारत-पाकिस्तान मुकाबलों की महत्ता

भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता हमेशा से ही एक बड़ा मुद्दा रही है। ये मुकाबले सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एक जंग की तरह देखे जाते हैं। ऋषभ पंत ने राजत शर्मा के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि यह नारे और उत्साह ही इस खेल की आत्मा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के खिलाड़ी अपनी टीमों के लिए अदम्य प्रयास करते हैं और उनकी मेहनत के प्रति इस प्रकार की प्रतिक्रिया एक सम्मान स्वरूप होती है।

विराट कोहली के साथ IPL 2024 का किस्सा

पंत ने IPL 2024 के दौरान विराट कोहली के साथ हुई एक मजेदार घटना को भी याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे वह अनजाने में कोहली को छेड़ते हुए खुद को बचाने में सफल रहे। यह घटना कोहली की टीम RCB के ड्रेसिंग रूम के ठीक पीछे स्थित दर्शक क्षेत्र में हुई थी। ऋषभ ने बताया कि वह पहले इस बात से अनजान थे कि वहां कोहली की टीम का ड्रेसिंग रूम है। लेकिन जब उन्हें पता चला तो उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए कोहली को चिढ़ाया, और खुद को भी बचा लिया।

क्रिकेट के प्रति भारतीय जनता की भावनाएं

ऋषभ पंत की यह प्रतिक्रिया बताती है कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि भारतीयों की भावनाओं का अटूट हिस्सा है। इस खेल को लेकर लोगों में जोश और जुनून का स्तर इतना अधिक है कि वे अपने पसंदीदा खिलाड़ियों और टीमों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस प्रकार के नारे और उत्साह खिलाड़ियों को भी अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं।

पंत का यह बयान एक बार फिर से यह सिद्ध करता है कि भारतीय क्रिकेट फैंस की अपने खिलाड़ियों के प्रति दीवानगी और खेल के प्रति लगाव खेल की आत्मा को और भी जीवंत बनाते हैं।

भारत-पाकिस्तान मैच: क्या उम्मीदें हैं?

भारत-पाकिस्तान मैच: क्या उम्मीदें हैं?

पंत की बातें इस ओर संकेत करती हैं कि भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर न सिर्फ खिलाड़ी बल्कि दर्शक भी पूरी तरह से तैयार हैं। ऐसे मुकाबलों में न सिर्फ मैदान पर बल्कि मैदान के बाहर भी माहौल गरम रहता है। दोनों देशों के दर्शक एक-दूसरे को चिढ़ाने और अपनी टीम को सपोर्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। यह खेल की उस भावना को उजागर करता है जो खिलाड़ियों और दर्शकों को एक साथ बांध कर रखती है।

खिलाड़ियों की मेहनत और संघर्ष

पंत ने अपने इंटरव्यू में इस बात को भी रेखांकित किया कि भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ी अपनी-अपनी टीमों के लिए कितनी मेहनत करते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों टीमें अपने देश के लिए खेलती हैं और उनकी मेहनत का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के मुकाबलों में जीत और हार से कहीं अधिक, खिलाड़ियों की मेहनत और संघर्ष का महत्व होता है।

भावनाओं का चरम

भावनाओं का चरम

विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेला जाने वाला भारत-पाकिस्तान मुकाबला खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों के लिए भावनात्मक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होता है। दोनों देशों के फैंस इस मुकाबले का बेसब्री से इंतजार करते हैं और अपनी-अपनी टीमों को जीतते हुए देखना चाहते हैं। ऋषभ पंत का यह बयान दर्शाता है कि कैसे क्रिकेट की एकजुटता ने दोनों देशों के बीच की दूरी को कम किया है और यह नारा उस भावना का प्रतीक है।

संघर्ष और उम्मीद

पंत की यह प्रतिक्रया यह भी बताती है कि भारतीय क्रिकेटर न सिर्फ खेल के लिए बल्कि अपने दर्शकों के लिए भी मैदान में पूरी जान लगा देते हैं। इन नारों में छिपी हुयी भावनाएं और उम्मीदें खिलाड़ियों को अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रेरित करती हैं।

7 टिप्पणि

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    Suman Sourav Prasad

    जून 12, 2024 AT 04:27
    ये नारा सच में दिल चुरा लेता है। तेल लगाओ डाबर का, विकेट गिराओ बाबर का। बस इतना सुनकर ही लगता है, मैच शुरू हो गया। भारत-पाकिस्तान का जुनून किसी और चीज़ से नहीं मिलता।
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    Nupur Anand

    जून 12, 2024 AT 07:55
    अरे भाई, ये सब नारे तो बस एक भावनात्मक विकृति हैं-एक राष्ट्रीय अहंकार का आयाम। जब तक तुम खेल को राजनीति का बर्तन बना लेते हो, तब तक ये नारे तुम्हारी असहिष्णुता के लिए एक आवाज़ बने रहेंगे। खेल का जुनून तो इंसानियत की ओर जाता है, न कि ध्वजों के पीछे।
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    Vivek Pujari

    जून 13, 2024 AT 00:43
    मैं यहाँ एक डायनामिक सोशल सिग्नलिंग मॉडल के अनुसार देख रहा हूँ: ये नारे एक पोस्ट-कॉलोनियल ट्रांसनेशनल इडेंटिटी फॉर्मेशन का उदाहरण हैं। जब एक खिलाड़ी बाबर के खिलाफ विकेट गिराने की बात करता है, तो वो असल में एक रिलेशनल डायनामिक्स को रिप्रोड्यूस कर रहा है-जहाँ शक्ति, अपमान, और गर्व का ट्रांसफर हो रहा है। ये सिर्फ क्रिकेट नहीं, ये साइको-सोशियोलॉजिकल एक्सप्रेशन है।
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    Ajay baindara

    जून 13, 2024 AT 18:59
    तुम लोग इतना नारा चिल्लाते हो, लेकिन जब विकेट गिरता है तो तुम्हारा चेहरा लाल हो जाता है। असली भारतीय तो खेल को बड़े दिल से देखता है, न कि नारों से खुश होता है। तुम लोगों को शर्म आनी चाहिए।
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    mohd Fidz09

    जून 15, 2024 AT 13:28
    भारत का जुनून तो दुनिया का जुनून है! जब तक दुनिया में कोई भी खिलाड़ी ऐसे नारों के सामने नहीं झुकता, तब तक हमारी आत्मा जीत रही है। बाबर का नाम लेकर तेल लगाने का मतलब ये नहीं कि हम उसे नीचा दिखाना चाहते हैं-बल्कि हम उसकी बहादुरी का सम्मान कर रहे हैं। ये नारा एक श्रद्धांजलि है।
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    suraj rangankar

    जून 16, 2024 AT 08:49
    सुनो, ये नारा बस एक जोश का अभिव्यक्ति है। जब तुम खेलते हो, तो तुम्हारा दिल धड़कता है। जब तुम देखते हो, तो तुम्हारी आँखें चमकती हैं। ये नारे तुम्हारे दिल की आवाज़ हैं। इसे गहराई से समझो, इसे नापना नहीं। खेलो, जीतो, और दिल से चिल्लाओ। ये ही सच है।
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    Nadeem Ahmad

    जून 18, 2024 AT 06:49
    बस एक बात कहूँ... जब भी भारत-पाकिस्तान मैच होता है, तो घर पर बैठकर देखने के बजाय, मैं अक्सर बाहर जाकर बातें करता हूँ। इतना जोश देखकर लगता है, शायद दुनिया बदल जाए।

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