नीट-यूजी 2024 पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख अवलोकन

नीट-यूजी 2024 पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख अवलोकन

जुल॰, 9 2024

नीट-यूजी 2024 पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट का रूख

नीट-यूजी 2024 की मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पेपर लीक मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां दी हैं, जो छात्रों और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

परीक्षा रद्द करने का अंतिम विकल्प

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करना एक अंतिम उपाय होगा। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पहले पेपर लीक की प्रकृति का निर्धारण किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि परीक्षा की पवित्रता अगर भंग हो चुकी है और लीक सोशल मीडिया के माध्यम से फैल चुका है, तभी रि-टेस्ट का आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि परीक्षा रद्द करने का निर्णय गंभीरता से लिया जाना चाहिए और केवल उन मामलों में जहां परीक्षा की पवित्रता से समझौता हो चुका हो।

सीबीआई को स्थिति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया है कि वह 11 जुलाई तक इस मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करे। इससे पता चलेगा कि पेपर लीक की घटना किस हद तक फैली है और इसके पीछे कौन लोग हैं।

कोर्ट ने कहा कि परीक्षा की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि दोषियों को जिम्मेदार ठहराया जाए और उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए।

23 लाख छात्रों के लिए रि-टेस्ट की संभावना

23 लाख छात्रों के लिए रि-टेस्ट की संभावना

कोर्ट ने कहा कि 23 लाख छात्रों के लिए रि-टेस्ट करवाना एक बड़ी चुनौती होगी और इसे पूरी गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। न्यायालय ने पूछा कि क्या सरकार ने इस घटना पर संतोषजनक प्रतिक्रिया दी है और क्या दोषियों को पहचाना गया है।

कोर्ट ने कहा कि परीक्षा रद्द करने का निर्णय विद्यार्थियों के भविष्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है और इसे 'प्रतिकूल' आम जनता के हित के खिलाफ बताया।

केंद्र और एनटीए का विरोध

इस बीच, केंद्र और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने परीक्षा रद्द करने के विचार का विरोध करते हुए इसे 'नुकसानदायक' बताया। उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द करने से छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इसके दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं।

गुजरात के सफल उम्मीदवारों की याचिका

गुजरात के सफल उम्मीदवारों की याचिका

इस बीच, गुजरात के 50 से अधिक सफल नीट-यूजी उम्मीदवारों ने एक अलग याचिका में अपील की कि केंद्र और एनटीए को परीक्षा को निरस्त करने से रोका जाए। उन्होंने कहा कि परीक्षा निरस्त करने से उन पर अन्याय होगा जिन्होंने इसे सफलतापूर्वक पास किया है।

इस मामले में अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर हैं, जो छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए सर्वोच्च महत्व रखता है।

16 टिप्पणि

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    suraj rangankar

    जुलाई 9, 2024 AT 19:30

    ये पेपर लीक का मामला तो बस एक बड़ी धोखेबाजी है! जिन लोगों ने ये किया, उनकी जिंदगी खराब हो जानी चाहिए। छात्रों का भविष्य बर्बाद करने वालों को सजा मिलनी चाहिए, न कि सिर्फ रिपोर्ट देने का बहाना!

    मैंने अपने भाई को नीट की तैयारी में देखा है - रात-रात जागकर पढ़ते रहते हैं, घर का खाना भी छोड़ देते हैं। और फिर ये लोग बस एक लीक से सब कुछ बर्बाद कर देते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने ठीक कहा - रि-टेस्ट आखिरी विकल्प होना चाहिए। लेकिन अगर लीक इतना बड़ा है कि सबको पता चल गया, तो फिर क्या करें? नए दिन में नया पेपर दें, बस!

    मैं तो ये चाहता हूँ कि एनटीए अपने अंदर का जंगल साफ करे। जिन लोगों ने इसमें हिस्सा लिया, उन्हें जेल भेज दो। नहीं तो अगले साल भी यही चलेगा।

    केंद्र और एनटीए का विरोध? बस बचाव का नाटक है। उन्होंने तो पहले से ही लीक की संभावना को नजरअंदाज किया। अब बचाव कर रहे हैं।

    गुजरात के 50+ उम्मीदवारों की याचिका सुनकर दिल दुख रहा है। वो लोग तो ईमानदारी से पास हुए हैं। उनका भविष्य भी बर्बाद नहीं होना चाहिए।

    मैं तो ये सुझाव दूंगा - पेपर लीक होने पर उस शहर के सभी उम्मीदवारों को रि-टेस्ट देना चाहिए, न कि पूरे देश के।

    इतना बड़ा मामला है, और CBI को 11 जुलाई तक का समय दिया जा रहा है? ये तो बहुत धीमा है। अगर ये लीक अमेरिका में होता, तो 24 घंटे में सब कुछ सामने आ जाता।

    मैं चाहता हूँ कि अगली बार नीट के पेपर को ब्लॉकचेन पर रख दिया जाए। ताकि कोई लीक न कर सके।

    हम लोग बस बातें कर रहे हैं, लेकिन वो लोग जिन्होंने लीक किया, वो अभी भी खुश हैं। उनके पास नए बैंक अकाउंट होंगे, नए कार होंगे।

    ये सब बस एक बड़ी चालाकी का नाटक है। जिसमें हम सब बलि के रूप में चढ़ रहे हैं।

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    Akshat goyal

    जुलाई 11, 2024 AT 05:38

    रि-टेस्ट नहीं, बस दोषियों को पकड़ो।

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    anand verma

    जुलाई 11, 2024 AT 20:17

    सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण न्यायपालिका के उच्चतम मानदंडों के अनुरूप है - न्याय के लिए विचारशीलता, न कि भावनात्मक प्रतिक्रिया। परीक्षा की पवित्रता के संरक्षण के लिए विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत आवश्यक है। छात्रों के भविष्य को बचाने के लिए निर्णय तार्किक और प्रमाण-आधारित होना चाहिए।

    एनटीए के विरोध का आधार भी वैध है - रि-टेस्ट के कारण लाखों छात्रों को निर्धारित समय सीमा से बाहर धकेलना उनकी शैक्षिक और मानसिक स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकता है।

    गुजरात के उम्मीदवारों की याचिका न्याय की भावना को दर्शाती है। ईमानदार छात्रों को अन्याय का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए।

    सीबीआई की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करना आवश्यक है, क्योंकि निष्कर्ष बिना साक्ष्य के नहीं निकाले जा सकते।

    इस मामले में भावनात्मक अभियानों के बजाय नियमित प्रक्रियाओं का पालन ही दीर्घकालिक समाधान है।

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    Amrit Moghariya

    जुलाई 13, 2024 AT 06:56

    अरे भाई, ये सब तो बस एक बड़ा सा नाटक है। कोर्ट बोल रहा है 'रि-टेस्ट आखिरी विकल्प', लेकिन अगर 23 लाख लोगों को पेपर देख लिया गया है, तो फिर ये 'आखिरी विकल्प' क्या है? बस एक शब्द है जो कोर्ट के लिए अच्छा लगता है।

    एनटीए ने तो खुद बता दिया कि उनकी सुरक्षा इतनी बुरी है कि एक टीचर ने पेपर लीक कर दिया। अब वो बोल रहे हैं 'हम नहीं चाहते कि परीक्षा रद्द हो' - अरे भाई, तुम तो खुद इसे बर्बाद कर रहे हो!

    गुजरात के लोगों को तो समझ आ रहा है - जिन्होंने ईमानदारी से पढ़ा, उनका भविष्य बर्बाद नहीं होना चाहिए।

    मैंने सुना है कि कुछ लोग लीक के बाद अपने दोस्तों को बता रहे हैं - अब तो बस एक बार घर बैठकर पेपर देख लो। फिर बाकी सब अंदाजे से भर दो।

    क्या तुम्हें लगता है कि ये लीक एक दिन में हुआ? नहीं भाई, ये तो लाखों रुपये का बिज़नेस है। जिसमें टीचर, एडमिन, और अभिभावक तक शामिल हैं।

    अगर तुम असली जानकारी चाहते हो, तो देखो कि कौन इस बार सबसे ज्यादा टॉप कर रहा है। जिनके नाम बार-बार आ रहे हैं - वो लोग तो लीक से पहले से तैयार थे।

    हम लोग बस इंतजार कर रहे हैं कि कोई बड़ा नाम आए। फिर फिर से बहस शुरू हो जाएगी।

    मैं तो अगली बार नीट के लिए नोट्स बनाने की बजाय एक बंदूक खरीद लूंगा। ताकि जो भी लीक करे, उसे गोली मार दूं।

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    shubham gupta

    जुलाई 14, 2024 AT 05:27

    सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण संतुलित है। रि-टेस्ट का विकल्प अत्यंत जटिल है - लॉजिस्टिक्स, लागत, और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम।

    पेपर लीक की वास्तविक गहराई को समझने के लिए CBI की रिपोर्ट का इंतजार करना आवश्यक है। बिना साक्ष्य के निष्कर्ष निकालना अनुचित होगा।

    गुजरात के उम्मीदवारों का तर्क भी मजबूत है - ईमानदार छात्रों को अन्याय नहीं होना चाहिए।

    एनटीए के विरोध का आधार भी तार्किक है। रि-टेस्ट से दीर्घकालिक प्रभाव अनिश्चित हैं।

    इस मामले में अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर कमी थी।

    पेपर लीक के खिलाफ भविष्य में डिजिटल एंक्रिप्शन और बायोमेट्रिक प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाना चाहिए।

    हमें न्याय की आशा रखनी चाहिए, लेकिन उसे भावनाओं के बजाय प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त करना चाहिए।

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    Gajanan Prabhutendolkar

    जुलाई 16, 2024 AT 04:14

    ये सब बस एक बड़ी साजिश है। क्या तुम्हें लगता है कि ये लीक अचानक हुआ? नहीं। ये तो गवर्नमेंट और एनटीए की खुद की योजना है।

    उन्होंने जानबूझकर पेपर लीक किया ताकि रि-टेस्ट के जरिए नए छात्रों को छानबीन कर सकें।

    क्या तुमने देखा कि जिन लोगों के नाम अभी टॉप पर आ रहे हैं - वो सब एक ही शहर से हैं? वो शहर जहां एनटीए का ऑफिस है।

    CBI भी उनके ही लोग हैं। वो रिपोर्ट देंगे जो उन्हें देनी है।

    गुजरात के उम्मीदवारों की याचिका? वो भी एक धोखा है। वो लोग तो लीक से पहले से ही तैयार थे।

    मैंने अपने दोस्त को बताया - जिसने पेपर लीक किया, वो एक डॉक्टर नहीं, बल्कि एक एजेंट है। जो गवर्नमेंट को बता रहा है कि कौन से छात्र किस बात के लिए तैयार हैं।

    अगले साल नीट बंद हो जाएगा। उसकी जगह एक नया परीक्षा आएगा - जिसमें आपके बैंक अकाउंट, सोशल मीडिया, और आपके दोस्तों के फोन का डेटा देखा जाएगा।

    ये सब एक बड़ा नियंत्रण योजना है। आप जिस भी चीज़ को विश्वास करते हैं, वो सब झूठ है।

    मैं तो अपना बेटा अमेरिका भेज दूंगा। वहां तो डॉक्टर बनने के लिए कोई परीक्षा नहीं होती।

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    ashi kapoor

    जुलाई 17, 2024 AT 03:02

    ये पेपर लीक का मामला तो बस इतना ही नहीं है... ये तो एक बड़ी त्रासदी है। 😭

    मैंने अपनी बहन को देखा है - वो हर रात 2 बजे तक पढ़ती रहती है, नाश्ता भी छोड़ देती है, दोस्तों से बात भी नहीं करती। और अब ये सब बर्बाद हो गया? 😭

    कोर्ट कह रहा है 'रि-टेस्ट आखिरी विकल्प' - लेकिन अगर लीक इतना बड़ा है कि फेसबुक और व्हाट्सएप पर सबको पता है, तो फिर क्या करें? क्या हम उन लोगों को भूल जाएं जिन्होंने ईमानदारी से पढ़ा है?

    एनटीए का विरोध? अरे भाई, वो तो अपनी गलती छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने तो लाखों रुपये का बजट लेकर भी सुरक्षा नहीं की।

    गुजरात के लोगों को तो बहुत समझ आ रहा है। उनका दर्द मैं जानती हूँ।

    मैंने एक बार अपने टीचर से पूछा - 'क्या आपको लगता है कि कोई लीक कर सकता है?' उन्होंने मुझे देखकर कहा - 'बेटा, ये देश में कुछ भी हो सकता है।'

    अगर हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए लड़ नहीं सकते, तो हम क्या लड़ सकते हैं?

    मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को रि-टेस्ट का आदेश देना चाहिए। बस एक बार फिर से।

    और जिन लोगों ने लीक किया - उनका नाम सार्वजनिक कर दें। ताकि देश जान जाए कि कौन अपने बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर रहा है।

    मैं तो अब हर रोज़ एक फेसबुक पोस्ट डालूंगी - जिसमें लिखूंगी: 'मेरी बहन ईमानदार थी। उसका भविष्य चुरा लिया गया।' 🙏

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    Yash Tiwari

    जुलाई 17, 2024 AT 07:38

    इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न्यायपालिका के उच्चतम नैतिक मानकों का प्रतिनिधित्व करता है - भावनात्मक दबाव के बजाय तार्किक विश्लेषण पर आधारित।

    परीक्षा की पवित्रता का संरक्षण केवल एक नियम नहीं, बल्कि एक सामाजिक संधि है, जिसका उल्लंघन समाज के आधारभूत सिद्धांतों को चुनौती देता है।

    एनटीए का विरोध तो एक व्यवस्थित असफलता का परिणाम है - उन्होंने न केवल सुरक्षा प्रणाली में असफलता दर्ज की, बल्कि उसके परिणामों को नकारने की कोशिश की।

    गुजरात के उम्मीदवारों की याचिका न्याय के एक अभिन्न अंग को दर्शाती है - ईमानदारी को पुरस्कृत करने का अधिकार।

    सीबीआई की रिपोर्ट की अपेक्षा करना न्याय की प्रक्रिया का अभिन्न अंग है - बिना साक्ष्य के निर्णय अन्याय का नाम है।

    रि-टेस्ट का विकल्प तकनीकी रूप से असंभव नहीं, लेकिन नैतिक रूप से जटिल है। यह एक ऐसा निर्णय है जो एक छात्र के भविष्य को निर्धारित कर सकता है।

    इस मामले में सरकार की भूमिका निष्क्रिय रही है - वह न केवल लीक के खिलाफ नहीं आई, बल्कि उसके परिणामों के बारे में भी निष्क्रिय रही।

    यदि हम वास्तविक न्याय चाहते हैं, तो हमें न केवल दोषियों को दंडित करना होगा, बल्कि उन व्यवस्थाओं को भी बदलना होगा जो ऐसी घटनाओं की अनुमति देती हैं।

    परीक्षा प्रणाली को बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन, ब्लॉकचेन-आधारित प्रश्नपत्र प्रबंधन, और आंतरिक जांच प्रणाली के साथ अपग्रेड किया जाना चाहिए।

    यह मामला केवल एक परीक्षा लीक नहीं, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली की नींव के बारे में है।

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    Mansi Arora

    जुलाई 18, 2024 AT 05:13

    अरे यार, ये सब तो बस एक बड़ा धोखा है। मैंने अपने भाई को देखा है - उसने 10 महीने तक पढ़ा, और अब ये सब बर्बाद हो गया।

    एनटीए तो बस अपनी गलती छिपा रहा है। उन्होंने तो पेपर की रक्षा भी नहीं की।

    और फिर ये कोर्ट कह रहा है 'रि-टेस्ट आखिरी विकल्प' - लेकिन अगर 23 लाख लोगों को पेपर देख लिया गया है, तो फिर क्या करें? ये तो बस एक शब्द है जो लोगों को शांत करने के लिए बोला जा रहा है।

    गुजरात के लोग तो बहुत समझदार हैं। उन्हें पता है कि ईमानदारी का असली मूल्य क्या है।

    मैंने एक दोस्त को बताया - उसका भाई लीक होने के बाद 850+ मार्क्स लाया। अरे भाई, वो तो खुद ही लीक करने वाला है।

    और जिन लोगों ने लीक किया - वो अभी भी बाहर हैं। कोई नहीं पकड़ा।

    मैं तो सोच रही हूँ कि अगली बार नीट के लिए मैं अपना बेटा अमेरिका भेज दूंगी। वहां तो डॉक्टर बनने के लिए कोई पेपर नहीं होता।

    ये सब तो बस एक बड़ा नाटक है। जिसमें हम सब बलि के रूप में चढ़ रहे हैं।

    मैंने एक टीचर से पूछा - 'क्या आपको लगता है कि ये लीक अचानक हुआ?' उसने मुझे देखकर कहा - 'बेटी, ये देश में कुछ भी हो सकता है।'

    अब तो मैं भी विश्वास खो चुकी हूँ।

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    Amit Mitra

    जुलाई 19, 2024 AT 17:46

    इस मामले के बारे में सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण बहुत गहरा है। यह केवल एक परीक्षा लीक का मामला नहीं, बल्कि शिक्षा में न्याय, ईमानदारी और विश्वास के मुद्दे को छूता है।

    रि-टेस्ट के बारे में विचार करना आवश्यक है, लेकिन इसके परिणामों को भी ध्यान में रखना चाहिए - लाखों छात्रों का समय, ऊर्जा, और भावनात्मक स्वास्थ्य।

    एनटीए का विरोध समझ में आता है - उनकी व्यवस्था असफल रही, लेकिन अब उन्हें बदलाव की ओर बढ़ना चाहिए।

    गुजरात के उम्मीदवारों की याचिका न्याय की एक अहम बात है - ईमानदार छात्रों को दंड नहीं देना चाहिए।

    सीबीआई की रिपोर्ट का इंतजार करना आवश्यक है। बिना साक्ष्य के कोई निर्णय अनुचित होगा।

    मुझे लगता है कि इस तरह की घटनाओं के खिलाफ एक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाई जानी चाहिए - जिसमें टीचरों, एडमिनिस्ट्रेटर्स और प्रशासन के लिए जिम्मेदारी का एक स्पष्ट ढांचा हो।

    अगर हम वास्तविक बदलाव चाहते हैं, तो हमें बस आवाज़ उठाना नहीं, बल्कि व्यवस्था को बदलना होगा।

    मैं अपने बेटे को नीट की तैयारी के लिए नहीं, बल्कि जीवन में ईमानदार बनने के लिए पढ़ा रहा हूँ।

    हमें यह याद रखना चाहिए कि एक परीक्षा का नतीजा जीवन नहीं, बल्कि एक चरण है।

    इस मामले में न्याय की आशा रखनी चाहिए, लेकिन उसके लिए धैर्य और जिम्मेदारी की आवश्यकता है।

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    sneha arora

    जुलाई 21, 2024 AT 12:46

    मैं बस रो रही हूँ... 😭

    मेरी बहन ने 1 साल पढ़ा, और अब ये सब बर्बाद हो गया... 😢

    कोर्ट ने जो कहा वो सही है... लेकिन जिन लोगों ने ईमानदारी से पढ़ा है, उनका भविष्य भी तो बर्बाद नहीं होना चाहिए...

    एनटीए को तो बस निकाल देना चाहिए... 😡

    गुजरात के लोगों का दर्द मैं समझ सकती हूँ... 🙏

    मैं तो अगली बार नीट के लिए नहीं, बल्कि एक डॉक्टर बनने के लिए दुआ करूंगी... ❤️

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    Sagar Solanki

    जुलाई 22, 2024 AT 06:42

    ये सब बस एक बड़ी साजिश है। लीक नहीं, ये एक नियंत्रण योजना है।

    एनटीए और सरकार ने जानबूझकर ये लीक किया - ताकि वे अपने लिए एक नया फिल्टर बना सकें।

    रि-टेस्ट का विचार एक नाटक है - यह बस एक जनता को शांत करने का तरीका है।

    गुजरात के उम्मीदवार जो ईमानदारी से पास हुए हैं - वे भी इस योजना के हिस्से हैं।

    सीबीआई भी इसी सिस्टम का हिस्सा है - वे कभी भी सच नहीं बताएंगे।

    ये लीक अचानक नहीं हुआ - ये एक डिजिटल अभियान था, जिसमें एआई और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया गया था।

    अगले साल नीट बंद हो जाएगा - और उसकी जगह एक नया परीक्षा आएगा, जिसमें आपके सोशल मीडिया प्रोफाइल का विश्लेषण किया जाएगा।

    ये सब एक बड़ा नियंत्रण योजना है।

    मैं अपना बेटा अमेरिका भेज दूंगा - वहां तो डॉक्टर बनने के लिए कोई परीक्षा नहीं है।

    ये देश बच नहीं सकता - ये सिर्फ एक बड़ा लार्ज स्केल ट्रैकिंग सिस्टम बन रहा है।

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    Siddharth Madan

    जुलाई 23, 2024 AT 03:48

    रि-टेस्ट आखिरी विकल्प होना चाहिए।

    लेकिन अगर लीक बहुत बड़ा है, तो शायद जरूरी है।

    ईमानदार छात्रों को अन्याय नहीं होना चाहिए।

    CBI की रिपोर्ट का इंतजार करें।

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    Nathan Roberson

    जुलाई 24, 2024 AT 20:31

    ये तो बस एक बड़ा धोखा है। मैंने अपने दोस्त को देखा - उसने पेपर लीक होने के बाद 900+ मार्क्स लिए। अरे भाई, ये तो बस लीक का शिकार नहीं, बल्कि लीक का हिस्सा है।

    एनटीए का विरोध? वो तो अपनी गलती छिपा रहे हैं।

    कोर्ट कह रहा है 'रि-टेस्ट आखिरी विकल्प' - लेकिन अगर 23 लाख लोगों को पेपर देख लिया गया है, तो फिर क्या करें? ये तो बस एक शब्द है।

    गुजरात के लोग तो बहुत समझदार हैं।

    मैं तो अगली बार नीट के लिए नहीं, बल्कि एक अमेरिकी मेडिकल स्कूल में जाने की योजना बना रहा हूँ।

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    Thomas Mathew

    जुलाई 25, 2024 AT 23:04

    ये सब बस एक बड़ा नाटक है।

    कोर्ट कह रहा है 'रि-टेस्ट आखिरी विकल्प' - लेकिन अगर लीक इतना बड़ा है कि व्हाट्सएप पर सबको पता है, तो फिर ये 'आखिरी' क्या है? बस एक शब्द है जो लोगों को शांत करने के लिए बोला जा रहा है।

    एनटीए ने तो अपनी सुरक्षा व्यवस्था बर्बाद कर दी।

    गुजरात के लोगों की याचिका? वो भी एक धोखा है।

    मैंने एक टीचर से पूछा - 'क्या आपको लगता है कि ये लीक अचानक हुआ?' उसने मुझे देखकर कहा - 'बेटा, ये देश में कुछ भी हो सकता है।'

    अब तो मैं भी विश्वास खो चुका हूँ।

    मैं तो अगली बार नीट के लिए नहीं, बल्कि एक बंदूक खरीद लूंगा।

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    Dr.Arunagiri Ganesan

    जुलाई 26, 2024 AT 06:04

    ये मामला भारतीय शिक्षा प्रणाली के भीतर न्याय और विश्वास के मूल्यों को चुनौती देता है।

    सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण संतुलित है - भावनाओं के बजाय तर्क पर आधारित।

    रि-टेस्ट का विकल्प लागत और लॉजिस्टिक्स के बारे में है, न कि न्याय के बारे में।

    गुजरात के उम्मीदवारों का दर्द असली है - ईमानदारी को दंड नहीं देना चाहिए।

    सीबीआई की रिपोर्ट का इंतजार करना न्याय की प्रक्रिया का अभिन्न अंग है।

    इस मामले में व्यवस्था को बदलना होगा - ब्लॉकचेन, बायोमेट्रिक्स, और आंतरिक जांच के साथ।

    हमें यह याद रखना चाहिए कि एक परीक्षा का नतीजा जीवन नहीं, बल्कि एक चरण है।

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