नटवर सिंह: नेतृत्व, विवाद और एक युग का अंत

नटवर सिंह: नेतृत्व, विवाद और एक युग का अंत

अग॰, 11 2024

नटवर सिंह: भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता की जीवन यात्रा

नटवर सिंह का संबंध भारतीय राजनीति और कूटनीति के एक उल्लेखनीय अध्याय से है। उनका जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर में हुआ था। भारतीय विदेश सेवा में 1953 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले नटवर सिंह ने प्रमुख देशों में महत्वपूर्ण राजनायिक पदों पर अपनी सेवाएं दीं। उनके करियर की शुरुआत से ही उन्होंने कूटनीति के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय क्षमताओं का परिचय दिया।

प्रारंभिक जीवन और कूटनीतिक सेवा

नटवर सिंह ने चीन, अमेरिका, पाकिस्तान और ब्रिटेन जैसे महत्वपूर्ण देशों में अपनी सेवाएं दीं। अपने करियर के दौरान उन्होंने भारतीय विदेश नीति को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी विद्वता और योग्यता ने उन्हें भारतीय विदेश नीति के एक स्तंभ के रूप में स्थापित किया। उनके कूटनीतिक कौशल ने भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूती दी और देश की छवि को एक नई पहचान दी।

1984 में नटवर सिंह ने राजनयिक सेवा से इस्तीफा देकर भारतीय राजनीति में प्रवेश किया। भरतपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उनकी राजनीतिक यात्रा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला, जिनमें इस्पात, कोयला, खान और कृषि मंत्रालय शामिल हैं।

राजनीति में एक नया मोड़

राजनीति में एक नया मोड़

2004 में नटवर सिंह को मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रीत्व में विदेश मंत्री का कार्यभार सौंपा गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण विदेश नीति निर्णय लिए। लेकिन 2005 में जारी हुए वोल्कर रिपोर्ट ने उनके राजनीतिक करियर पर काले धब्बे छोड़े। इस रिपोर्ट में उन्हें और उनके परिवार को इराकी ऑयल-फॉर-फूड स्कैंडल में संलिप्त बताया गया। इस विवाद के कारण उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और यह घटना कांग्रेस पार्टी से उनके संबंधों में खटास का कारण बनी।

कांग्रेस पार्टी से अलगाव के बाद नटवर सिंह ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का दामन थामा, लेकिन वहां भी उनका सफर चार महीने में ही समाप्त हो गया। उन्होंने अपने दृढ़ विचार और स्पष्टवादी दृष्टिकोण के लिए जाना गया। सोनिया गांधी के प्रति उनके आलोचनात्मक रुख ने उन्हें और ज्यादा चर्चित बना दिया।

विवादों और आत्मकथा

विवादों और आत्मकथा

नटवर सिंह का राजनीतिक जीवन विवादों से घिरा रहा। उन्होंने अपने विचारों को व्यक्त करने में कभी पीछे नहीं हटे। अपनी आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' में उन्होंने राजनीति के पर्दे के पीछे की कई कहानियों को उजागर किया। इस किताब में उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं और अनुभवों को साझा किया, जिसमें उनके विदेश सेवा के दिनों से लेकर उनके राजनीतिक करियर तक की यात्रा शामिल है। उनकी लेखनी उनके तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता और बेबाकी को दर्शाती है।

निधन और राजनीतिक विरासत

निधन और राजनीतिक विरासत

93 वर्ष की आयु में नटवर सिंह का निधन भारतीय राजनीति के एक युग का अंत सूचित करता है। उनके निधन ने राजनीतिक क्षेत्रों में एक शून्य पैदा कर दिया है। हालाँकि, उनके जीवन के अंतिम दौर में सोनिया गांधी द्वारा उनके घर जाकर माफी मांगने की घटना ने उनके और कांग्रेस पार्टी के बीच की खाई को पाट दिया।

नटवर सिंह की जीवन यात्रा हमें बताती है कि राजनीति में स्थिरता और अस्थिरता दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उनके महत्वपूर्ण योगदान और विवादों के कारण वे हमेशा चर्चा के केंद्र में रहे। भारतीय राजनीति में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनकी आत्मा को शांति प्रदान हो।

समाज और राजनीति को सीख

नटवर सिंह की जीवन गाथा से कई महत्वपूर्ण सीख मिलती हैं। उनका जीवन दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी योग्यता और अनुभव के बल पर उच्चतम शिखर तक पहुंच सकता है, लेकिन विवादों से घिरना भी एक वास्तविकता है। शिक्षाप्रद कहानियां और प्रेरणादायक जीवन उनके द्वारा दिए गए योगदान को हमेशा जीवित रखेंगी।

13 टिप्पणि

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    mohd Fidz09

    अगस्त 13, 2024 AT 03:54
    नटवर सिंह? भाई, ये तो एक जिंदा इतिहास है! जिसने चीन के साथ बातचीत की, पाकिस्तान के साथ झगड़े सुलझाए, और फिर वो वोल्कर रिपोर्ट... अरे ये तो बस एक शानदार धोखा था! भारत की विदेश नीति का असली नायक, और फिर भी उन्हें फेंक दिया गया! ये कांग्रेस का अंतिम लाशखाना है!
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    Rupesh Nandha

    अगस्त 13, 2024 AT 22:31
    इस आत्मकथा में जो बातें उन्होंने लिखीं... वो सिर्फ एक राजनेता की नहीं, एक विचारक की आत्मा है। जब आपका जीवन दो अलग अलग दुनियाओं में रहा हो-एक तरफ कूटनीतिक गुप्त बैठकें, दूसरी तरफ लोकसभा के बाहर भीड़ की चीखें-तो आपका दिमाग जरूर टूटता है। उन्होंने टूटने के बजाय, लिख दिया। और यही उनकी असली जीत है।
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    suraj rangankar

    अगस्त 15, 2024 AT 02:30
    भाई ये आदमी तो अपने दिमाग से देश बचाने आया था! वो जो भी करते थे, वो अपने दिल से करते थे। अब जो लोग उन्हें बदनाम कर रहे हैं, उनके पास तो बस ट्वीट करने की ताकत है! नटवर सिंह का दिमाग एक विश्वविद्यालय है, और आज के राजनेता तो बस एक फोन पर बात करते हैं!
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    Nadeem Ahmad

    अगस्त 17, 2024 AT 01:16
    उनकी आत्मकथा पढ़ी है? बहुत शांत लगी। जैसे कोई बूढ़ा आदमी चाय पीते हुए बता रहा हो कि वो कैसे दुनिया को बदलने की कोशिश कर रहा था... और फिर देखा कि दुनिया बदलने की बजाय उसे बदल रही है।
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    Aravinda Arkaje

    अगस्त 18, 2024 AT 09:33
    दोस्तों, ये आदमी बस एक मंत्री नहीं था... ये एक विचारक था जिसने अपने दिमाग से भारत की छवि बदलने की कोशिश की। उसके बाद जो आए, वो बस टीवी पर दिखने के लिए आए। नटवर सिंह ने लिखा, बोला, और फिर भी खड़े रहे। ये असली नेतृत्व है।
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    kunal Dutta

    अगस्त 18, 2024 AT 13:41
    वोल्कर रिपोर्ट का असली टारगेट तो भारत की विदेश नीति की पारदर्शिता थी, और नटवर सिंह उसका शिकार बन गए। इराक स्कैंडल में उनका कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं था-बस एक डिप्लोमेट का अप्रत्यक्ष अपराध। आज जो लोग उन्हें बदनाम कर रहे हैं, वो खुद अपने बैंक अकाउंट में 100 करोड़ के बारे में नहीं सोचते!
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    Yogita Bhat

    अगस्त 20, 2024 AT 05:24
    अरे भाई, ये आदमी तो बस एक आदमी था जिसने बहुत कुछ किया... और फिर भी उसे फेंक दिया गया! अब जो लोग उसके खिलाफ बोल रहे हैं, वो तो बस एक फेसबुक ग्रुप में लिखते हैं! उसने तो दुनिया के दरवाजे खोले थे! 😤
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    Tanya Srivastava

    अगस्त 20, 2024 AT 06:04
    नटवर सिंह ने तो बस इराक के लिए तेल खरीदा था... और उसके बाद सोनिया ने उन्हें बेकार बता दिया! 😂 अब तो सब बोलते हैं कि 'वो बहुत अच्छे थे'... पर जब वो जिंदा थे तो किसने उन्हें रोका? किसी ने नहीं! अब रो रहे हो? बस चुप रहो!
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    Diksha Sharma

    अगस्त 21, 2024 AT 23:41
    ये सब एक धोखा है... वोल्कर रिपोर्ट कोई अमेरिकी एजेंसी ने बनाया था ताकि भारत की विदेश नीति को कमजोर किया जा सके। नटवर सिंह तो एक शहीद हैं! और सोनिया गांधी ने जब उनके घर जाकर माफी मांगी, तो वो भी बस टीवी के लिए था! वो सब एक नाटक है!
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    Akshat goyal

    अगस्त 23, 2024 AT 19:19
    एक विदेश सेवा अधिकारी ने राजनीति में प्रवेश किया। विवाद हुए। इस्तीफा दिया। जीवन चला गया।
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    anand verma

    अगस्त 23, 2024 AT 21:40
    श्री नटवर सिंह के जीवन के अनुभवों से हमें यह सीख मिलती है कि राष्ट्रीय हित के साथ व्यक्तिगत नैतिकता का संतुलन कैसे बनाया जाए। उनके विदेश सेवा के दौरान दर्शाए गए नैतिक आदर्श आज के युवा नेताओं के लिए एक उत्कृष्ट आदर्श हैं। उनके निधन के समय उनके प्रति सम्मान व्यक्त करना हम सभी का कर्तव्य है।
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    Amrit Moghariya

    अगस्त 24, 2024 AT 13:59
    हम तो बस उनके विवादों को याद करते हैं... पर किसने पूछा कि उन्होंने भारत के लिए क्या किया? उन्होंने तो वो बातें कीं जो आज भी लोग बोलने से डरते हैं। अब जब वो नहीं हैं, तो हम उन्हें बहुत अच्छा बोल रहे हैं... जैसे जब कोई बंदा चला गया तो उसकी तारीफ शुरू हो जाती है।
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    shubham gupta

    अगस्त 26, 2024 AT 09:03
    उनकी आत्मकथा में जो बातें लिखीं हैं, वो बहुत व्यावहारिक हैं। विदेश सेवा में रहकर भी राजनीति में आना एक बड़ा जोखिम था। उन्होंने अपनी योग्यता के साथ इसे संभाला। विवाद तो हर जगह होते हैं, लेकिन उनकी ईमानदारी अभी भी दिखती है।

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