वरिष्ठ बीजेपी नेता विष्णु प्रसाद शुक्ला का गया जाना पार्टी के लिए बड़ी क्षति
विष्णु प्रसाद शुक्ला, भारतीय जनता पार्टी के उन दिग्गज नेताओं में थे, जिनका समर्पण और मेहनत संगठन की बुनियाद मजबूत करने में लगा रहा. उन्होंने गुरुवार शाम लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर फैलते ही पार्टी कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई.
शुक्ला का अंतिम संस्कार पूरी चर्चित पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ. उनके परिवार और करीबी लोगों ने अंतिम दर्शन किए, वहीं पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उनके योगदान को याद किया और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की. उनका सफर कार्यकर्ता से वरिष्ठ नेता तक का रहा, जिसमें उन्होंने बीजेपी के कई अहम दौर देखे और संगठन में अहम जिम्मेदारियां भी संभालीं. हालांकि, उनकी उम्र या खास ओहदों की जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन पार्टी में उनकी मौजूदगी हमेशा अहम मानी जाती थी.
संघर्ष, समर्पण और संगठन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका
कहा जाता है कि वरिष्ठ नेता शुक्ला ने पार्टी संगठन का विस्तार गाँव-गाँव तक किया. वे जमीनी स्तर पर काम करने के लिए जाने जाते थे. पार्टी में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना और क्षेत्रीय स्तर पर संगठन को मजबूत करना उनकी कार्यशैली का हिस्सा रहा है. संघर्ष के दिनों में वे संकटमोचक बनकर उभरते थे और आमजन से सीधा संवाद स्थापित करने में यकीन रखते थे. जिन क्षेत्रों में बीजेपी की जड़ें कमजोर थीं, वहाँ उन्होंने संगठन की नींव जमाई.
ऐसा भी सुनने में आता है कि जब पार्टी के सामने विषम दौर थे, तब शुक्ला ने अनेक कार्यकर्ताओं को जोड़े रखा और लगातार युवाओं को राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ते रहे. उनके प्रशंसक बताते हैं कि वे दूसरों की बातों को गंभीरता से सुनते और सुझाव देने में कभी हिचकिचाते नहीं थे. शुक्ला के जाने से बीजेपी के उस यादव मूल के डाइनामिक चेहरे की कमी खलती रहेगी, जिसने संगठन को जमीन पर मजबूती दी.
उनके निधन के बाद क्षेत्र के लोगों ने भी दुख जताया. विधायक, पार्षद और अन्य जनप्रतिनिधि लगातार शुक्ला के योगदान को साझा कर रहे हैं. आखिरी बार जब वे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिखे थे, तो उन्होंने युवाओं में राष्ट्र निर्माण और सद्भावना की अलख जगाने की बात कही थी.
उनकी याद में पार्टी द्वारा शोक सभा आयोजित किए जाने की संभावना है, जिसमें उनके पुराने साथियों और समर्थकों के अलावा नए कार्यकर्त्ता भी जुट सकते हैं. सभी का एक ही कहना है कि शुक्ला जैसे नेता की कमी पार्टी में लंबे समय तक महसूस की जाएगी.
Nadeem Ahmad
मई 4, 2025 AT 17:23बस एक बात सोच रहा था... ऐसे लोग जब चले जाते हैं तो बस यादें बच जाती हैं। कोई नया नेता आएगा, पर वो जमीनी स्तर पर इतना जुड़ाव नहीं रखता।
Aravinda Arkaje
मई 6, 2025 AT 05:11भाई, शुक्ला जी जैसे आदमी तो अब दुर्लभ हो गए हैं। जिनका दिमाग गाँव के गलियों में घूमता था, और जिनकी आवाज़ सुनकर लोगों का दिल जुड़ जाता था। पार्टी को बस नेता चाहिए, ना कि स्पीकर। वो तो असली कार्यकर्ता थे। अब तो बस ट्वीट करके श्रद्धांजलि देने का ट्रेंड है।
kunal Dutta
मई 6, 2025 AT 22:21अगर हम इसे ऑप्टिमाइज़ करें तो शुक्ला का मॉडल एक डिस्ट्रीब्यूटेड लीडरशिप आर्किटेक्चर के रूप में देखा जा सकता है - जहाँ एक्सेस पॉइंट्स (गाँव-स्तरीय कार्यकर्ता) डेसेंट्रलाइज्ड डिसिजन-मेकिंग के साथ इंटरैक्ट करते थे। आज के टीम लीडर्स तो सिर्फ ब्रिफिंग्स देते हैं, रियल-टाइम फीडबैक नहीं लेते। उनकी लीडरशिप में एक एक्टिव नेटवर्क टॉपोलॉजी थी।
Yogita Bhat
मई 7, 2025 AT 12:40अरे भाई, ये सब बातें तो बस उनके बाद बोल रहे हो। जब वो जिंदा थे तो किसने उनकी आवाज़ सुनी? जब वो चले गए तभी श्रद्धांजलि का ट्रेंड शुरू हुआ। क्या हम बस डेड लीडर्स को ही वैल्यू देते हैं? 😒
Tanya Srivastava
मई 9, 2025 AT 06:43मेरे दादा भी बीजेपी में थे... उन्होंने कभी इतना नहीं बोला! ये सब बस प्रेस रिलीज़ के लिए बनाया गया है। शुक्ला तो बस एक और नाम है जिसे ट्रेंड में लाया गया। वो जो भी थे, अब लोग उनके नाम से ट्रैफिक बढ़ा रहे हैं 😅
Ankur Mittal
मई 9, 2025 AT 21:47उनका असली विरासत वो युवाओं की टीम है जिन्होंने उनके बाद भी काम किया। लोग नेता को याद करते हैं, पर उनके बनाए लोगों को नहीं।
Diksha Sharma
मई 10, 2025 AT 09:31अरे ये सब लोग बस अपनी पार्टी के लिए लीडर का बनावटी इमेज बना रहे हैं। असल में शुक्ला तो कुछ नहीं थे... बस एक छोटा सा ऑफिसर जिसे पार्टी ने फेमस बना दिया। अब ये लोग उसकी तस्वीर बांट रहे हैं ताकि नए लोग जुड़ जाएं। ये सब एक बड़ा गैंग फेक है।