इंडिया के चुनाव कैलेंडर में नया चरण शुरू हुआ है। जम्मू‑कश्मीर और हरियाणा के चुनाव खत्म होते‑ही, निर्वाचन आयोग ने 15 अक्टूबर को दो बड़े राज्यों – महाराष्ट्र और झारखंड – के विधानसभा चुनाव का विस्तृत शेड्यूल सार्वजनिक किया। इस घोषणा को मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजीव कुमार ने अपने दबंगियों के सामने लाया, जिससे राजनैतिक दांव‑पेंच फिर से तेज हो गए।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की रूपरेखा
महाराष्ट्र का विधानसभा कार्यकाल 26 नवंबर 2024 को समाप्त होने वाला है, इसलिए शेड्यूल को बिल्कुल समय पर फिट करना पड़ा। राज्य का चुनाव सबसे बड़े आर्थिक केंद्रों में से एक के कारण देश की राजनीति में बहुत वजन रखता है। इस साल की लड़ाई दो प्रमुख गठबंधनों के बीच होगी। ruling "महायुती" में बीजेपी, शैवसेना (एकांत शिंदे फ्शन) और राष्ट्रीय कांग्रेस (अजीत पवार फ्शन) शामिल हैं। विपक्षी "महा विकास गठबंधन" (MVA) में शैवसेना (उबीटी), राष्ट्रीय कांग्रेस (शरद पवार फ्शन) और कांग्रेस पार्टी मौजूद हैं।
2019 में BJP ने 105 सीटें जीतीं, लेकिन उस समय शैवसेना के साथ गठबंधन टूटने से राज्य में राजनीतिक धरातल हिल गया। फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में महायुती ने केवल 17 में से 48 सीटें ही जीतीं, जबकि MVA ने 30 सीटें फ़तह कीं। यह बड़े पैमाने पर बदलाव ने दोनों गठबंधनों को फिर से सोचने पर मजबूर किया।
भारी दुरुपयोग के बाद, BJP ने अपने राज्य के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडनवीस को अपने दायित्व पर बने रहने का अवसर दिया। फडनवीस ने सुना-सुनाया फॉर्मल कार्य त्यागने का इरादा बदल कर, अपनी पार्टी के भरोसे को फिर से साबित किया। यही नहीं, 12 अक्टूबर को NCP के नेता बाबा सिद्दीकी की अचानक मौत ने राजनीति में नया तनाव जोड़ दिया। MVA के मुख्य चेहरों – उद्धव ठाकरे, शरद पवार और नाना पाटोले – ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस घटना को कानून‑व्यवस्था की कमी के साथ जोड़ा, जबकि शिंडे सरकार ने इन आरोपों को ठुकरा दिया।
अब आगामी चुनाव में किन मुद्दों पर बहस होगी? सबसे बड़ा सवाल है रोजगार, विशेषकर युवाओं के लिए। महाराष्ट्र में औद्योगिक गरिमा के साथ‑साथ कृषि संकट, इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, और पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठ रहा है। एक और बिंदु है एंटीयरनित हो रही साक्षरता और स्कूली प्रणाली में सुधार। शिवसेना के दो हिस्सों के बीच अब भी प्रभावशाली टकराव है, जो वोटर बेस को बाँट रहा है।
भर्ती प्रक्रिया के बारे में बात करें तो चुनाव आयोग ने इसे एक फेज़ में कराने का इरादा जताया है, जिससे संसाधनों का बेहतर प्रबंधन हो सके। हालांकि पार्टी‑परिवार के गठबंधन, उम्मीदवार चयन, और रणनीतिक गठजोड़ अभी भी चल रहे हैं। कई छोटे दल और स्वतंत्र उम्मीदवार भी इस बड़े मंच पर अपना मौका देख रहे हैं।
झारखंड में संभावित मतदान रणनीति
झारखन्ड का विधानसभा कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को ख़त्म होगा। 81 सीटों वाला यह राज्य पिछले 2019 में पाँच चरणों में मतदान किया था, लेकिन अब आयोग ने एक‑फेज़ प्रक्रिया की संभावना जताई है। इसका मकसद है लागत कम करना और चुनाव के दौरान उज्ज्वलता बढ़ाना।
झारखंड में राजनैतिक परिदृश्य भी काफी जटिल है। गठबंधन में राष्ट्रीय पार्टी BJP, स्थानीय महाशक्ति जशन मण्डल और विभिन्न जनजातीय नेता मुख्य भूमिका निभाते हैं। 2019 में कांग्रेस और भाजपा के बीच बराबर लड़ाई रही थी, लेकिन 2024 के राष्ट्रीय सर्वे में जनजातीय मुद्दों के कारण कांग्रेस की पकड़ थोड़ी घटने का संकेत मिला।
मुख्य मुद्दे – खनन नीति, भूमि अधिकार, और शहरी‑ग्रामीण विकास – इस बार के चुनाव में प्रमुख रहेंगे। राज्य में खासकर कोयला, लोहा और तांबा जैसे खनिजों की प्रचुरता है, इसलिए खनन कंपनियों और स्थानीय समुदाय के बीच का टकराव अक्सर चुनावी मोर्चे पर आता है। साथ ही, जल संरक्षण और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को लेकर भी जनसंख्या में असंतोष है।
उम्मीदवार चयन में कई बार दलों ने जनजातीय प्रतिनिधियों को प्रमुखता दी है, क्योंकि बड़े हिस्से में वोटर जनजातीय समुदाय से आते हैं। इस वार्षिक चुनाव में नई पीढ़ी के युवा नेता भी आगे आ रहे हैं, जो पारंपरिक राजनीति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
भविष्यवाणी के तौर पर, यदि आयोग एक‑फेज़ मतदान करेगा, तो चुनावी प्रबंधन में तेजी आएगी और परिणाम तेज़ी से आएगा। यह जमा‑निर्वाण, सुरक्षा व्यवस्था और मतदाता भागीदारी को भी प्रभावित करेगा। दोनों राज्यों के चुनाव मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की शक्ति संतुलन को फिर से निर्धारित करेंगे।
एक दिलचस्प बात यह भी है कि महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव एक ही महीने में होंगे, जिससे राष्ट्रीय पार्टियों को संगठित रूप से अपना मोर्चा स्थापित करना पड़ेगा। संसाधनों की दोहराव, अभियान चलाने की रणनीति, और जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के समन्वय को देखते हुए, यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की जटिलता और मजबूती को उजागर करेगा।
kunal Dutta
सितंबर 28, 2025 AT 00:28महाराष्ट्र में तो अब शिवसेना के दो टुकड़े एक दूसरे को गले लगाने के बजाय एक-दूसरे के बारे में ट्वीट कर रहे हैं। BJP के लिए फडनवीस को वापस लाना एक बेहद जटिल एल्गोरिथम है - जैसे एक फोन को दो बार रिसेट करना जब एक बार में ही काम चल जाता। MVA का जो बाबा सिद्दीकी वाला ट्रम्पेट बंद हो गया, उसकी जगह अब शरद पवार का जेनेटिक मेमोरी चल रहा है। ये सब राजनीति नहीं, एक रियलिटी शो है जहाँ एपिसोड 17 का टाइटल है - 'कौन बचेगा: वोट या विश्वास?' 😅
Yogita Bhat
सितंबर 28, 2025 AT 20:22ये सब चुनाव तो बस एक बड़ा ड्रामा है जिसमें हर कोई अपनी बात कह रहा है, लेकिन कोई युवा की आवाज़ नहीं सुन रहा। युवाओं को नौकरी चाहिए, न कि ट्वीट चेन। झारखंड में खनन के बारे में बात कर रहे हो, लेकिन जनजातीय युवाओं को उनकी जमीन के बारे में क्या पता? अगर तुम एक आदिवासी लड़के को बताओ कि तुम्हारी जमीन पर कोयला खोदा जा रहा है, और तुम्हें उसका 2% फायदा मिल रहा है - तो वो तुम्हारे सामने रोएगा या तुम्हें बुलाएगा? 🤔
Tanya Srivastava
सितंबर 29, 2025 AT 07:24ये सब शेड्यूल फर्जी है! 🤫 आयोग ने पहले ही रिजल्ट तैयार कर रखा है! BJP ने अभी तक जो भी राज्य जीता है, उसमें एक बात आम है - वोटिंग मशीन ने बहुत तेजी से बोलना शुरू कर दिया! 😂 और फडनवीस वापस आया? वो तो अपनी बारिश में छिप गया था, अब फिर बरस रहा है! MVA के लोग तो अभी भी एक दूसरे के फोन नंबर भूल गए हैं - शरद पवार का नंबर तो अभी भी 'दर्जनों बार डायल करो' वाला है! #DemocracyIsACircus 🎪
Ankur Mittal
सितंबर 29, 2025 AT 10:23एक फेज़ में चुनाव करने का फैसला सही है। संसाधन बचते हैं, सुरक्षा आसान होती है, और नतीजे जल्दी आते हैं। महाराष्ट्र और झारखंड दोनों के लिए ये बेहतर विकल्प है। बस अब ये देखना है कि वोटर भागीदारी कितनी बढ़ती है। 📊
Diksha Sharma
सितंबर 30, 2025 AT 23:52अरे भाई, ये सब एक बड़ा फेक है! 🚨 BJP ने एक नया AI बना लिया है जो वोटर्स के फेसबुक पोस्ट्स पढ़कर उनके वोट का अनुमान लगाता है। फडनवीस को वापस लाया गया क्योंकि उसका चेहरा AI को अधिक 'विश्वसनीय' लगता है! और बाबा सिद्दीकी की मौत? वो तो उन्होंने खुद ही अपने डॉक्टर को बर्खास्त करवा दिया था! 😱 तुम लोग ये सब जानते हो न? बस बोल नहीं पा रहे हो!
Akshat goyal
अक्तूबर 1, 2025 AT 16:59एक फेज़ में चुनाव करने का फैसला सही है।