2024 पितृ पक्ष के पहले दिन के महत्वपूर्ण मुहूर्त और श्राद्ध विधि

2024 पितृ पक्ष के पहले दिन के महत्वपूर्ण मुहूर्त और श्राद्ध विधि

सित॰, 17 2024

पितृ पक्ष 2024: पितरों को सम्मानित करने की महत्वपूर्ण अवधि

भारत में पितृ पक्ष को अत्यंत महत्वपूर्ण धारणाओं में से एक माना जाता है। यह एक 15-दिवसीय अवधि होती है, जिसमें हम अपने पितरों को श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करते हैं। पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर 2024 से हो रहा है और यह पूरे 15 दिनों तक चलेगा। इन दिनों के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान जैसे धार्मिक कार्य किए जाते हैं। यह दिन हमें हमारे पूर्वजों की यादों में डूबने का अवसर प्रदान करते हैं, ताकि हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकें।

पितृ पक्ष का पहला दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह वह दिन है जब सभी प्रकार के श्राद्ध कर्म सबसे प्रभावी माने जाते हैं। इन कर्मों को समय पर और सही विधि से संपन्न करना अत्यंत आवश्यक है।

पहले दिन के लिए विशेष मुहूर्त

पितृ पक्ष के पहले दिन श्राद्ध करने के लिए तीन विशेष मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। यह मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • पहला मुहूर्त: सुबह 6:00 बजे से 7:30 बजे तक
  • दूसरा मुहूर्त: दिन में 11:30 बजे से 1:00 बजे तक
  • तीसरा मुहूर्त: शाम 3:30 बजे से 5:00 बजे तक

इन मुहूर्तों के समय श्राद्ध कर्म किए जाने से यह माना जाता है कि पितरों को सर्वोत्तम लाभ और शांति प्राप्त होती है। यह मुहूर्त पंचांग के अनुसार निर्धारित किए जाते हैं और इन्हें मान्य धार्मिक ग्रंथों में भी समर्थन प्राप्त है।

श्राद्ध विधि: तर्पण और पिंड दान की प्रक्रिया

श्राद्ध कर्म की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण चरण होते हैं, जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इनमें सबसे प्रमुख तर्पण और पिंड दान हैं।

तर्पण: तर्पण का अर्थ होता है जल अर्पण करना। इसमें पवित्र जल को पितरों के नाम से अर्पित किया जाता है। तर्पण करते समय मंत्रों का जाप किया जाता है और पितरों को जल के माध्यम से आमंत्रित किया जाता है।

पिंड दान: पिंड दान का अर्थ होता है चावल के गोल पिंडों को अर्पित करना। यह विशेष अनुष्ठान पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। पिंड दान करते समय श्रद्धा भाव और समर्पण का विशेष ध्यान रखा जाता है।

इन प्रमुख विधियों के अतिरिक्त, श्राद्ध करने समय भोजन, मिठाई, और अन्य गठिया को भी पितरों के नाम से अर्पित किया जाता है। यह माना जाता है कि इन विधियों का पालन करके पितरों की आत्मा को शांति और स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है।

श्राद्ध कर्म किसे करना चाहिए?

पारंपरिक रूप से, श्राद्ध कर्म का दायित्व परिवार के सबसे बड़े पुत्र पर होता है। लेकिन यदि वह उपलब्ध न हो तो परिवार का कोई भी पुरुष सदस्य इस कर्म को संपन्न कर सकता है। इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर पितरों के लिए प्रार्थना और श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष हमारे जीवन में पितरों द्वारा किए गए उपकारों को याद करने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का समय है। इस अवसर पर हम न केवल पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, बल्कि अपनी जीवनशैली और व्यवहार में भी सुधार लाने का संकल्प लेते हैं। पितरों की कृपा और आशीर्वाद हमारे जीवन को संतुष्टि और शांति से भर सकते हैं।

अतः इस पितृ पक्ष पर, सभी जन अपने पितरों को सम्मान और श्राद्धांजलि अर्पित करें और उनके मार्गदर्शन से अपने जीवन को समृद्ध बनाने का संकल्प लें।

16 टिप्पणि

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    dhananjay pagere

    सितंबर 19, 2024 AT 02:04
    पिंड दान के बाद चावल के दाने जमीन पर गिरे हुए देखकर मुझे लगता है कि पितर भी अब इंस्टाग्राम पर फोटो डाल रहे होंगे 😅🙏
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    Shrikant Kakhandaki

    सितंबर 20, 2024 AT 12:11
    ये मुहूर्त तो पंचांग वालों ने बनाए हैं ताकि गुरु बन सकें... असल में पितरों को तो बस एक अच्छा भोजन चाहिए था... और अगर तुम्हारे पापा जिंदा होते तो शायद तुम्हें बस एक फोन कॉल चाहिए होता 😒
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    bharat varu

    सितंबर 22, 2024 AT 07:34
    इस वक्त जितना भी तुम पितरों के लिए कर रहे हो, उससे ज्यादा अगर तुम उनके जिंदा होते तो करते, तो बहुत बेहतर होता। श्राद्ध तो बस एक रिमाइंडर है - जीवन में अपने लोगों को प्यार से रखो। ❤️
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    Vijayan Jacob

    सितंबर 23, 2024 AT 17:01
    क्या आपने कभी सोचा कि अगर पितरों को ये सब पता होता तो वो कहते - 'बेटा, अब तो खुद का ख्याल रख, बस एक बार गाँव जा आ जा' 😏
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    Saachi Sharma

    सितंबर 23, 2024 AT 21:52
    पिंड दान के बाद बचे हुए चावल घर ले आऊंगी... चावल बर्बाद नहीं होना चाहिए 😌
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    shubham pawar

    सितंबर 24, 2024 AT 01:27
    मैंने इस साल श्राद्ध नहीं किया... क्योंकि मेरे पापा ने कहा था - 'बेटा, तू जिंदा है तो जिये, दुखी मत बन।' अब मैं उनकी याद में हर रोज़ एक फोटो देखता हूँ... और एक गाना सुनता हूँ। 🎧💔
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    Nitin Srivastava

    सितंबर 24, 2024 AT 20:55
    अगर हम वैदिक मुहूर्तों को अमल करना चाहते हैं, तो उनके लिए एक वैदिक डिजिटल कैलेंडर ऐप भी बनाना चाहिए - जिसमें नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के साथ-साथ नोटिफिकेशन भी आएं। अन्यथा ये सब एक रूढ़िवादी फैशन स्टेटमेंट है। 📱🔮
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    Nilisha Shah

    सितंबर 25, 2024 AT 00:38
    मुझे लगता है कि पितृ पक्ष का मूल उद्देश्य हमें याद दिलाना है कि हमारी जड़ें कहाँ हैं। आजकल हम बहुत जल्दी भूल जाते हैं कि हमारे पास किसके लिए धन्यवाद देना है। यह अवधि हमें खुद को फिर से जोड़ती है। 🌿
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    Kaviya A

    सितंबर 25, 2024 AT 18:08
    मैंने तो इस साल तर्पण के बाद जल डाल दिया और भूल गई कि मंत्र क्या थे... लेकिन मैंने उनकी फोटो देखी और रो दी... शायद वो भी मुझे समझ गए होंगे 🥲
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    Supreet Grover

    सितंबर 26, 2024 AT 07:46
    पिंड दान के अनुष्ठान के अंतर्गत अनुचित ग्रह विन्यास के कारण विधि का असंगति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए अगर आपका जातक चंद्रमा अष्टम भाव में है, तो आपको श्राद्ध के बाद एक विशेष प्रायश्चित करना चाहिए।
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    Saurabh Jain

    सितंबर 27, 2024 AT 01:51
    हर साल इसी तरह बार-बार यही चीजें होती हैं... लेकिन अगर हम अपने पितरों की यादों को हर दिन जिंदा रखें, तो क्या इतना रिमोनल अनुष्ठान जरूरी है? मैं तो हर रोज़ उनके बारे में बात करता हूँ।
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    Suman Sourav Prasad

    सितंबर 28, 2024 AT 04:55
    मैंने तो बस एक फूल लगा दिया, एक दीया जला दिया, और एक गाना बजा दिया... बाकी सब बहुत ज्यादा है। अगर वो आज जिंदे होते तो शायद बस एक चाय पीकर बात करना चाहते होते।
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    Nupur Anand

    सितंबर 28, 2024 AT 16:27
    ये सब धार्मिक अनुष्ठान तो बस एक राष्ट्रीय धोखा है! जिन्होंने ये बनाया, उनके पास अपने पितरों की यादें नहीं थीं, बस जनता को नियंत्रित करने की इच्छा थी। आज तक ये लोग श्राद्ध करते हैं, लेकिन अपने माता-पिता को एक बार भी फोन नहीं करते। ये नर्क है, न कि स्वर्ग।
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    Vivek Pujari

    सितंबर 29, 2024 AT 05:06
    अगर तुम श्राद्ध नहीं कर रहे हो, तो तुम अपने पितरों के लिए अनादर कर रहे हो। ये धर्म नहीं, ये जिम्मेदारी है। अगर तुम्हारे पापा तुम्हें बचपन में खाना देते थे, तो तुम उनके लिए ये छोटा सा काम क्यों नहीं कर सकते? 😤
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    Ajay baindara

    अक्तूबर 1, 2024 AT 02:21
    क्या तुम जानते हो कि आज कल के युवा लोग श्राद्ध करने के बजाय TikTok पर वीडियो बना रहे हैं? ये नहीं कि तुम नहीं जानते, बल्कि तुम जानते हो और फिर भी नहीं कर रहे हो। ये बेवकूफी है।
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    bharat varu

    अक्तूबर 3, 2024 AT 00:17
    हम सब इतना बड़ा अनुष्ठान करते हैं, लेकिन अगर आज हमारे पितरों को फिर से जीवित कर दिया जाए, तो वो कहेंगे - 'बेटा, तू खुश रह, और दूसरों को भी खुश रख।' ये श्राद्ध नहीं, ये एक जीवन शैली है।

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