मलयालम फिल्म 'गुरुवायूर अम्बालानडायिल', जो विपिन दास द्वारा निर्देशित और दीपू प्रदीप द्वारा लिखित है, अपनी 'ब्रोमांटिक' कॉमेडी के साथ पूर्ण मनोरंजन की एक उचित खुराक प्रदान करती है।
फिल्म विनु (बेसिल जोसेफ द्वारा अभिनीत) की कहानी बताती है, जो अपने होने वाले साले आनंदन (प्रिथ्वीराज सुकुमारन) से प्रेरणा लेकर अपने दिल की टूटन से आगे बढ़ने और उनकी बहन अंजली (अनस्वारा राजन) से शादी करने की सोचता है। उनके इस असामान्य रिश्ते से हंसी आती है, खासकर एक पुरानी मलयालम फिल्म के गाने पर सेट एक मीटिंग सीन में। कथानक के खुलने के साथ, यह शुरुआती दौर में एक मजेदार मोड़ लेता है, जो दूसरी छमाही में दर्शकों को बांधे रखता है।
ड्रामा तब और तेज हो जाता है जब आनंदन को पता चलता है कि विनु का खोया प्यार उसकी पत्नी पार्वती (निखिला विमल) है, जिसे उसने बेवफाई के संदेह के कारण छोड़ दिया था। फिल्म का क्लाइमैक्स गुरुवायूर मंदिर में खुलता है, जो पुराने प्रियदर्शन फिल्मों की याद दिलाता है।
प्रिथ्वीराज और बेसिल की जोड़ी कमाल
प्रिथ्वीराज का आनंदन के किरदार में अभिनय उनकी हाल की फिल्म 'आदुजीवितम' में निभाए गए गंभीर भूमिका से एक प्रस्थान है, और बेसिल के साथ उनकी केमिस्ट्री स्क्रीन पर अच्छी लगती है। बेसिल जोसेफ भी प्रशंसनीय प्रदर्शन करते हैं, साथ ही उनके दोस्त के रूप में सिजू सनी भी। जगदीश और कुंजीकृष्णन मासु भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
हालांकि, अनस्वारा राजन और निखिला विमल सहित महिला किरदार अविकसित हैं, और दूसरी छमाही में कुछ प्रदर्शन थोड़ा जबरन लगते हैं।
ठोस हंसी देती है फिल्म
फिल्म ठोस हंसी देती है, जो इसे एक संतोषजनक कॉमेडी बनाती है, भले ही यह दास के पिछले काम 'जय जय जय जय हे' की ऊंचाइयों तक न पहुंचे।
निष्कर्ष
'गुरुवायूर अम्बालानडायिल' एक मनोरंजक ब्रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है जो दर्शकों को हंसाती है और अंत तक बांधे रखती है। प्रिथ्वीराज और बेसिल की जोड़ी कमाल करती है। फिल्म कुछ कमियों के बावजूद भी एक संतोषजनक कॉमेडी है।
Dr.Arunagiri Ganesan
मई 18, 2024 AT 18:18गुरुवायूर अम्बालानडायिल में प्रिथ्वीराज और बेसिल की जोड़ी बस एकदम सही थी। दोनों के बीच का केमिस्ट्री इतना नेचुरल था कि लगता था वो असली दोस्त हैं। ये फिल्म बस एक कॉमेडी नहीं, बल्कि मलयालम सिनेमा के दोस्ती के असली रूप की झलक है।
simran grewal
मई 20, 2024 AT 06:00हां भाई, बेसिल तो बढ़िया था लेकिन अनस्वारा और निखिला को क्यों इतना नज़रअंदाज़ किया? दोनों अभिनेत्रियां इतनी ताकतवर हैं और फिल्म ने उन्हें बस एक जिस्म बना दिया। ये फिल्म ब्रोमांटिक कॉमेडी नहीं, बल्कि मर्डर ऑफ़ वुमेन कैरेक्टर्स है।
Vinay Menon
मई 21, 2024 AT 13:53मैंने ये फिल्म दो बार देखी। पहली बार हंसते हुए, दूसरी बार गहराई से समझने की कोशिश करते हुए। गुरुवायूर मंदिर का क्लाइमैक्स वाकई दिल छू गया। ये फिल्म सिर्फ हंसी नहीं, दर्द और माफी की भी कहानी है।
Monika Chrząstek
मई 21, 2024 AT 20:39मैंने फिल्म देखी थी और बहुत पसंद की लेकिन थोड़ा सा लगा जैसे दूसरी आधी फिल्म में थोड़ा जबरदस्ती बनाया गया है। लेकिन अभिनय बहुत अच्छा था। खासकर जगदीश और कुंजीकृष्णन मासु का किरदार।
Vitthal Sharma
मई 22, 2024 AT 17:28अच्छी फिल्म। प्रिथ्वीराज बेस्ट।
chandra aja
मई 24, 2024 AT 10:23ये फिल्म सबको धोखा दे रही है। विपिन दास ने इसे जानबूझकर बनाया है ताकि लोग गुरुवायूर मंदिर के पीछे छुपे राज भूल जाएं। आनंदन की पत्नी वास्तव में एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। क्या आपने देखा कि मंदिर के दरवाजे पर कितने बार चिंगारी निकल रही थी? वो नहीं हैं, वो अंतर्राष्ट्रीय गुप्तचर हैं।
Sutirtha Bagchi
मई 24, 2024 AT 16:26ये फिल्म बहुत अच्छी है 😍 मैंने इसे अपने बेटे के साथ देखा और वो भी बहुत हंसा 😭 आनंदन बहुत अच्छा लगा 😍 बेसिल भी बहुत अच्छा 😍
Abhishek Deshpande
मई 26, 2024 AT 03:27यहाँ, एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है: फिल्म के अंत में, जब विनु गुरुवायूर मंदिर में खड़ा होता है, तो उसके पीछे एक अज्ञात व्यक्ति दिखाई देता है-जिसका चेहरा नहीं दिख रहा है-लेकिन उसके कपड़े में एक बहुत ही छोटी, लेकिन बहुत स्पष्ट लाल बिंदु है। यह बिंदु, जो अगर आप फ्रेम को पॉज करके देखें, तो यह एक अन्य फिल्म के लोगो की ओर इशारा करता है। क्या यह एक ट्रिलॉग का इशारा है? या फिर यह एक राजनीतिक रहस्य है? यह बात बहुत गहरी है।
vikram yadav
मई 27, 2024 AT 23:04गुरुवायूर अम्बालानडायिल एक ऐसी फिल्म है जो मलयालम सिनेमा के असली दिल को छूती है। ये ब्रोमांटिक कॉमेडी नहीं, ये एक भावनात्मक यात्रा है। प्रिथ्वीराज का आनंदन बिल्कुल वैसा है जैसा हम सब जानते हैं-एक दोस्त जो अपने दिल को छिपाता है। और बेसिल का विनु? वो तो हम सबका अंदरूनी बच्चा है।
Tamanna Tanni
मई 28, 2024 AT 06:49मैंने फिल्म देखी और बहुत पसंद किया। बेसिल का अभिनय बहुत अच्छा था। अनस्वारा को ज्यादा फोकस नहीं दिया गया लेकिन फिल्म का मूड बहुत अच्छा था।
Rosy Forte
मई 30, 2024 AT 06:07यह फिल्म एक विषय-वस्तु की अवधारणा को उजागर करती है-जो वास्तविकता के अंतर्गत एक अनुभवी अस्तित्व के द्वारा निर्मित होती है। यह ब्रोमांटिक कॉमेडी के अपेक्षित रूप के बाहर जाती है और एक गहरी अस्तित्ववादी जागृति की ओर ले जाती है। गुरुवायूर मंदिर का क्लाइमैक्स, जो एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में प्रस्तुत किया गया है, वास्तव में एक निर्माणात्मक अपस्थानिकता का प्रतीक है-जहाँ व्यक्ति अपने अस्तित्व की अंतर्निहित खोज में लीन हो जाता है।
Yogesh Dhakne
मई 30, 2024 AT 13:01मैंने फिल्म देखी। अच्छी लगी। बेसिल और प्रिथ्वीराज की जोड़ी बहुत अच्छी थी। बस थोड़ा दूसरी आधी फिल्म में थोड़ा जबरदस्ती लगा।
kuldeep pandey
मई 31, 2024 AT 03:38मैं जानती हूँ कि आप सब इस फिल्म को पसंद कर रहे हैं... लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि विनु का खोया प्यार असल में उसकी माँ थी? और आनंदन की पत्नी पार्वती... वो उसकी भाभी थी? यह फिल्म एक अप्रकाशित अपराध की कहानी है। मैंने इसे तीन बार देखा है। हर बार नया रहस्य खुलता है।
Hannah John
मई 31, 2024 AT 05:35गुरुवायूर अम्बालानडायिल? बस एक फिल्म नहीं ये एक नकली आध्यात्मिक धोखा है। जिस जगह दर्शक हंस रहे हैं वहीं गुप्तचर एजेंट अपने बारे में जानकारी भेज रहे हैं। गुरुवायूर मंदिर के दरवाजे पर जो बार-बार आवाज़ आ रही है वो कोई गाना नहीं... वो एक बाइनरी कोड है जो एक गुप्त गैंग के बारे में बता रहा है। फिल्म बनाने वाले ने इसे स्वीकार कर लिया है। मैंने अपने भाई के दोस्त के दोस्त को जानता है जो फिल्म स्टूडियो में काम करता है।
dhananjay pagere
मई 31, 2024 AT 14:12बेसिल बहुत अच्छा था 😎 प्रिथ्वीराज भी बहुत अच्छा 😎 अनस्वारा को ज्यादा नहीं दिखाया 😔
Shrikant Kakhandaki
जून 2, 2024 AT 02:08ये फिल्म बहुत अच्छी है लेकिन आप लोगों ने एक बात नहीं देखी कि गुरुवायूर मंदिर के पीछे जो आकाश है वो बिल्कुल अलग रंग का है और वो रंग किसी और फिल्म का है जो 1987 में बनी थी। ये फिल्म एक टाइम पैराडॉक्स है। मैंने इसे देखा है और मैंने इसे देखा है। ये दोनों एक साथ है।
bharat varu
जून 3, 2024 AT 10:06मैंने इस फिल्म को अपने दोस्तों के साथ देखा और हम सब हंसते रहे। बेसिल और प्रिथ्वीराज की जोड़ी बहुत अच्छी है। बस थोड़ी देर के लिए खुश रहने के लिए ये फिल्म बहुत अच्छी है।
Vijayan Jacob
जून 5, 2024 AT 05:33मुझे लगता है आप सब इस फिल्म को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। ये बस एक हल्की-फुल्की कॉमेडी है। अगर आप इसमें रहस्य ढूंढ रहे हैं, तो शायद आपको अपनी जिंदगी के बारे में थोड़ा सोचना चाहिए।