राज्यसभा में जय बच्चन और जगदीप धनखड़ के बीच फिर भिड़ंत, सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्ष का वाकआउट
राज्यसभा में जय बच्चन और जगदीप धनखड़ के बीच तीखी बहस
राज्यसभा में बुधवार को एक बार फिर से हुए विवाद ने सदन की कार्यवाही को बाधित कर दिया। प्रख्यात अभिनेत्री और राज्यसभा सांसद जय बच्चन तथा सदन के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ के बीच एक गर्मागर्म बहस हुई, जिसे विपक्षी दलों ने गम्भीरता से लिया। इस बहस का कारण धनखड़ का बच्चन से अनुचित तरीके से बात करना और उन्हें 'जय अमिताभ बच्चन' के नाम से संबोधित करना था, जिसे बच्चन ने अनुचित और अपमानजनक बताया।
जय बच्चन की नाराजगी
जय बच्चन ने सदन में अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि वह एक अभिनेत्री हैं और शारीरिक भाषा एवं अभिव्यक्तियों को बखूबी समझती हैं। उन्होंने महसूस किया कि अध्यक्ष धनखड़ का उनकी तरफ बोलने का तरीका अस्वीकार्य था। बच्चन ने यह भी कहा कि धनखड़ उनके पति अमिताभ बच्चन के नाम का गलत और अनावश्यक उल्लेख कर रहे थे। इस पर धनखड़ ने बच्चन से कहा कि वह सदन के स्तर और अनुशासन को स्वीकार करें।
धनखड़ ने तर्क दिया कि बच्चन हर समय एक सेलिब्रिटी की तरह बर्ताव नहीं कर सकतीं और सदन के नियमों और शिष्टाचार का पालन करना चाहिए। इस पर बच्चन ने प्रतिक्रिया दी कि कुछ सदस्य वरिष्ठ नागरिक हैं और उनके साथ उचित तरीके से बर्ताव किया जाना चाहिए।
विरोधी दलों का वाकआउट
विवाद तब और बढ़ गया जब विपक्ष के नेता ने बोलने की कोशिश की, लेकिन धनखड़ ने उनका माइक बंद कर दिया। इससे जय बच्चन नाराज हो गईं और धनखड़ से माफी मांगने की मांग की। बच्चन ने आरोप लगाया कि धनखड़ ने कहा 'आई डोंट केयर' और असंसदीय भाषा का उपयोग किया।
सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस घटना पर अपना विरोध दर्ज करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सदन के वरिष्ठ सदस्यों के साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है और अध्यक्ष पक्षपाती हो रहे हैं।
यह घटना पिछले सप्ताह हुए एक अन्य विवाद की निरंतरता है, जिसमें जय बच्चन ने धनखड़ पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया था। तब भी बच्चन ने सदन में जोरदार तरीके से अपनी बात रखी थी और विपक्षी दलों ने उनका समर्थन किया था।
सम्पूर्ण घटनाक्रम का प्रभाव
इस विवाद ने राज्यसभा में सामान्य कार्यवाही को बाधित कर दिया है और इसे देखने वाले दर्शकों के बीच भी निराशा फैलाई है। विपक्षी दलों का कहना है कि वे ऐसे मामलों में शांत नहीं बैठ सकते जहां वरिष्ठ सदस्यों का सम्मान खतरे में हो। दूसरी ओर, सरकार समर्थक दलों ने कहा कि विपक्षी दल इस मुद्दे को बढ़ाचढ़ाकर पेश कर रहे हैं और सदन की कार्यवाही को बाधित करने का बहाना बना रहे हैं।
समाज और राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस तरह के विवाद न केवल सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं बल्कि आम जनता में भी राजनीति के प्रति नकारात्मक संदेश भेजते हैं। विपक्षी दलों के वकीलों ने इसे लोकतंत्र की अवमानना बताया है और अध्यक्ष पद की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं।
इस घटना के बाद से सदन के सदस्यों के बीच तनाव और बढ़ गया है और अगले सत्र में इस मुद्दे पर और तीखी बहस होने की संभावना है। जय बच्चन ने साफ कर दिया है कि वह अपने सम्मान के लिए किसी भी तरह की अस्वीकार्य भाषा और व्यवहार को सहन नहीं करेंगी और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आगे भी आवाज उठाती रहेंगी।
वहीं, अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने भी स्पष्ट कर दिया है कि सदन के नियमों और शिष्टाचार का पालन सभी को करना होगा, चाहे वह कितने भी महत्वाकांक्षी व्यक्ति क्यों न हों। इस संदर्भ में अन्य सदस्यों का मानना है कि ऐसे विवादों को आपसी समझदारी और संवाद के माध्यम से सुलझाना चाहिए, ताकि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके।
संसद में इस तरह की बहसबाजी नवीनीकरण और सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती है। विशेषकर जब सदन में वरिष्ठ नागरिक और अनुभवी सदस्य मौजूद हों, तब उनके सम्मान और गरिमा का ख्याल रखना अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकरण का राज्यसभा में भविष्य में होने वाली कार्यवाहियों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि सदस्यों के बीच आपसी समन्वय और समझदारी से ही सदन की कार्यवाही को सफलतापूर्वक संचालित किया जा सकता है।
कुल मिलाकर, इस घटना ने दिखाया है कि किसी भी सदन में मतभेदों के बावजूद सम्मान और गरिमा का पालन बहुत महत्वपूर्ण है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का राज्यसभा पर क्या प्रभाव पड़ता है और संबंधित पक्ष इसे कैसे हल करने की कोशिश करते हैं।
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