मुंबई कोर्ट ने तनुश्री दत्ता की नाना पाटेकर के खिलाफ याचिका को खारिज किया, अभिनेता को राहत

मुंबई कोर्ट ने तनुश्री दत्ता की नाना पाटेकर के खिलाफ याचिका को खारिज किया, अभिनेता को राहत

अप्रैल, 5 2025

तानुश्री दत्ता की याचिका खारिज

बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के लिए यह एक बड़ा झटका है। मुंबई की एक अदालत ने उनके उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर के खिलाफ 2018 में दायर की गई यौन उत्पीड़न की शिकायत को फिर से खोलने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि 2008 की घटनाओं की कानूनी समय सीमा समाप्त हो चुकी है, क्योंकि दत्ता ने शिकायत दर्ज कराने में दस वर्षों से अधिक का समय ले लिया।

यह मामला उस समय चर्चा में आया जब दत्ता ने अक्टूबर 2018 में नाना पाटेकर पर 2008 में फिल्म *हॉर्न ओके प्लीस्स* के सेट पर उनके साथ अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया था। उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की शीलता भंग करना) और धारा 509 (महिला की शीलता का अपमान करना) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। यह मामला भारत में मीटू आंदोलन की शुरुआत के प्रमुख कारकों में से एक था।

न्यायालय का फैसला और पुलिस की कार्यवाही

अदालत के न्यायाधीश एन वी बंसल ने अपनी सुनवाई में बताया कि दत्ता के आरोप तीन साल की कानूनी सीमा को पार कर चुके थे, जो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 468 के तहत आता है। उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज कराने में हुई देरी ने न्याय प्राप्ति की त्वरित प्रक्रिया को प्रभावित किया। इसके अलावा, अदालत को 2018 के आरोपों के समर्थन में भी कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

अदालत के इस फैसले को लेकर तनुश्री दत्ता ने अदालत द्वारा पुलिस की बी-समरी रिपोर्ट को नकारने का दावा किया है और कहा कि गवाह के शपथ पत्र ने उनके आरोप की पुष्टि की है। हालांकि, मीडिया में यह मुद्दा अलग-अलग तरह से सामने आया है, कुछ इसे मामला बंद कह रहे हैं जबकि अन्य का मानना है कि कानूनी लड़ाई अब भी जारी है। दूसरी ओर, पाटेकर के पक्ष की ओर से वकील अनिकेत निकम ने इन आरोपों को निराधार बताकर खारिज किया है।

7 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Saachi Sharma

    अप्रैल 6, 2025 AT 11:20

    अरे भाई, दस साल बाद फिर से ये गप्पें? अब तक तो कागज़ पर लिख देते, अब अदालत ने भी कह दिया - 'बस करो'।

  • Image placeholder

    shubham pawar

    अप्रैल 7, 2025 AT 16:21

    ये सब तो बस एक नाटक है, एक अभिनेत्री के लिए फेम बनाने का नया तरीका... जब तक तनुश्री ने अपने बारे में फिल्म नहीं बनाई, तब तक कोई नहीं जानता था कि वो कितनी 'ट्रॉमा वाली' है। अब तो उनकी लाइफ की हर छोटी बात पर डॉक्यूमेंट्री बन रही है। बस एक बात बताओ - जब 2008 में ऐसा हुआ, तो उस समय आप खुद कहाँ थे? क्या आप भी उस सेट पर थे? नहीं? फिर आपकी राय का क्या मतलब?

    मीटू आंदोलन का जो जश्न था, वो अब एक बार फिर फैक्ट चेक के आगे बेबस हो गया। अदालत ने नहीं, कानून ने कहा - टाइम लिमिट खत्म हो गया। अब ये सब फिर से ट्विटर वॉर्स शुरू हो रहे हैं। कौन जीतेगा? कोई नहीं। सिर्फ एक बार फिर से एक अभिनेत्री का नाम ट्रेंड हो गया।

  • Image placeholder

    suraj rangankar

    अप्रैल 8, 2025 AT 06:14

    ये फैसला बहुत बड़ा है! बहुत बड़ा! बहुत बड़ा! अगर हम अपने अतीत के हर छोटे-मोटे अनुभव को दस साल बाद अदालत में लाएंगे, तो हर दिन कोई न कोई फिल्म सेट पर भाग रहा होगा! अदालत ने सही फैसला किया, बिल्कुल सही! अगर तनुश्री ने तुरंत शिकायत की होती, तो शायद अब तक ये मामला चल रहा होता! लेकिन देर हो चुकी है! और ये देर नहीं, ये बेवकूफी है! अब तो बस आगे बढ़ो, नए फिल्में बनाओ, नए लोगों को साथ लाओ! जिंदगी आगे बढ़ती है, अतीत को दफना दो!

  • Image placeholder

    Nadeem Ahmad

    अप्रैल 8, 2025 AT 20:10

    कानून कानून है। वकील वकील है। अदालत अदालत है। बाकी सब बातें ट्विटर पर चल रही हैं।

  • Image placeholder

    Aravinda Arkaje

    अप्रैल 10, 2025 AT 18:19

    सुनो, अगर तनुश्री ने आज भी अपनी आवाज़ उठाई, तो इसका मतलब ये नहीं कि वो लालची है - इसका मतलब है कि वो अभी भी उस तकलीफ को बर्दाश्त नहीं कर पा रही। अगर एक औरत को अपने अनुभव को बाँटने का हक नहीं है, तो फिर मीटू क्या है? अदालत ने कानून के हिसाब से फैसला दिया, लेकिन दिल ने नहीं। और दिल का फैसला अक्सर ज्यादा अहम होता है। तनुश्री ने बहादुरी दिखाई, और इस बहादुरी का अभी खत्म नहीं हुआ। अगर आप इसे बंद कर देते हैं, तो आप दूसरी तनुश्री के लिए दरवाजा बंद कर देते हैं।

    हम अक्सर फैसले को बंद कर देते हैं, लेकिन उसके बाद का असर कभी नहीं देखते। ये फैसला बस एक कागज़ का फैसला है। दिलों का फैसला अभी भी चल रहा है। और वो फैसला अभी भी लिखा जा रहा है।

    हम बहुत जल्दी फैसला दे देते हैं, लेकिन अपने दिल को बात करने का मौका नहीं देते। अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ एक फिल्म सेट की बात है, तो आप गलत हैं। ये एक औरत के जीवन की बात है। और उसका जीवन अभी भी चल रहा है।

    हम उसे अपनी आवाज़ देने का हक देने के बजाय, उसे शांत रखना चाहते हैं। लेकिन शांत रखना बर्बरता है। अगर आप उसकी आवाज़ दबा देते हैं, तो आप खुद उस बर्बरता का हिस्सा बन जाते हैं।

    इस फैसले के बाद, अगर आपको लगता है कि ये सब खत्म हो गया, तो आप गलत हैं। ये शुरू हो रहा है।

  • Image placeholder

    kunal Dutta

    अप्रैल 12, 2025 AT 07:30

    ये मामला धारा 468 के तहत एक प्रोसीजरल फॉलो-अप है, न कि सब्सटेंशिव जस्टिस का। जब एफआईआर दर्ज करने में एक दशक का लैग है, तो एविडेंस की इंटीग्रिटी कम हो जाती है - ये फॉरेंसिक लॉ का बेसिक फैक्ट है। वकील ने बिल्कुल सही कहा कि बी-समरी रिपोर्ट में कोई कॉन्ट्राडिक्शन नहीं था। लेकिन अगर हम ये मान लें कि आरोप सच हैं, तो इसका अर्थ है कि हमारी सामाजिक संरचना में एक गहरा ट्रॉमा है, जिसे लीगल सिस्टम नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता से ही हैंडल किया जा सकता है। मीटू ने एक बात बताई: अदालतें बाहर रहती हैं, लेकिन समाज अंदर होता है।

  • Image placeholder

    Yogita Bhat

    अप्रैल 13, 2025 AT 11:50

    क्या आपने कभी सोचा है कि अगर ये मामला 2008 में होता, तो क्या होता? क्या तनुश्री को बस ये कह दिया जाता कि 'अभिनेत्री होना है तो इतना झेल लो'? क्या आप उस दिन उसकी जगह होते, तो क्या आप आज भी चुप रहते? अदालत ने कानून का तर्क दिया, लेकिन इतिहास नहीं दिया। ये फैसला बंद नहीं हुआ, बस एक नया अध्याय शुरू हुआ।

    हम लोग बाहर तो बड़े बड़े नारे लगाते हैं, लेकिन जब कोई असली बात करता है, तो बोलने का डर होता है। क्यों? क्योंकि हम अपने आप को अच्छा दिखाना चाहते हैं, न कि सच बोलना।

    मीटू ने हमें सिखाया कि चुप रहना न्याय नहीं है। अब अदालत ने चुप करा दिया, लेकिन दिल चुप नहीं हो रहे।

    क्या आप जानते हैं कि जब एक औरत अपने अनुभव को बाँटती है, तो वो न सिर्फ अपने लिए बोल रही होती है, बल्कि दस लाख औरतों के लिए भी? जिन्हें कभी बोलने का हक नहीं मिला।

    ये फैसला बंद नहीं हुआ। ये एक आवाज़ बन गया है। अब ये आवाज़ बाहर निकल रही है - ट्विटर पर, ब्लॉग्स पर, बार में, घरों में। अब तो ये आवाज़ सिर्फ एक औरत की नहीं, बल्कि एक पीढ़ी की है।

    कानून बंद कर सकता है, लेकिन सच नहीं।

    और सच अभी भी बोल रहा है।

    और वो बोलेगा।

    और वो बोलेगा।

    और वो बोलेगा।

एक टिप्पणी लिखें

लोकप्रिय लेख

कार्तिक आर्यन के परिवार पर दुर्भाग्य का प्रहार: घाटकोपर होर्डिंग हादसे में दो रिश्तेदारों की मौत

आगे पढ़ें

टारक मेहता का उल्टा चश्मा फेम एक्टर गुरचरण सिंह की आध्यात्मिक यात्रा के बाद घर वापसी, नए खुलासे सामने आए

आगे पढ़ें

सिफ्ट कौर समरा का पेरिस 2024 ओलंपिक में गोल्ड का सपना

आगे पढ़ें

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की भव्य 'भजन-गायक' शादी का निमंत्रण कार्ड इंटरनेट पर वायरल

आगे पढ़ें