क्वाड समिट: पीएम मोदी ने विलमिंगटन में ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज से की द्विपक्षीय बैठक

क्वाड समिट: पीएम मोदी ने विलमिंगटन में ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज से की द्विपक्षीय बैठक

सित॰, 22 2024

क्वाड समिट: पीएम मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज की द्विपक्षीय बैठक

क्वाड लीडर्स समिट 2024 का आयोजन आर्थिक और रणनीतिक मामलों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा के लिए हो रहा है। इस समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज से विलमिंगटन, डेलावेयर में 22 सितंबर 2024 को द्विपक्षीय बैठक की।

बैठक में मोदी और अल्बनीज ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जिसमें आर्थिक सहयोग, सुरक्षा संबंधी मुद्दे और क्षेत्रीय स्थिरता शामिल है। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। दोनों देशों की द्विपक्षीय संबंधों में हाल के वर्षों में स्पष्ट रूप से सुधार हुआ है, जो व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी प्रगाढ़ बना रहा है।

रणनीतिक साझेदारी और सहयोग

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक साझेदारी के महत्व को मोदी और अल्बनीज द्वारा उत्पन्न किया गया। क्षेत्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण बताया गया। दोनों देशों के बीच मालाबार नौसैनिक अभ्यास जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों ने इस सहयोग को और विकसित किया है। कहा गया कि ये संयुक्त प्रयास दोनों देशों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिति को मजबूत करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री अल्बनीज ने साइबर सुरक्षा और आतंकवाद के खतरे पर भी विचार-विमर्श किया। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही इन दोनों मुद्दों से प्रभावित हैं और इनका मुकाबला करने के लिए समन्वित तरीके से काम करने की इच्छा जताई। साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोगी उपाय अति आवश्यक माने जा रहे हैं, खासकर डिजिटल युग में।

आर्थिक सहयोग

बैठक में आर्थिक सहयोग के मुद्दे भी प्रमुख रूप से उठाए गए। दोनों देशों ने आपसी व्यापार को बढ़ाने पर जोर दिया और इसके लिए नए तरीके खोजने पर सहमति व्यक्त की। मोदी और अल्बनीज ने कहा कि वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में निवेश के अवसरों को और बढ़ाने की आवश्यकता है। भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही की आर्थिक संरचनाएं विविध हैं, जिससे व्यापारिक मौकों की प्रचुरता है।

प्राकृतिक संसाधनों में बढ़ते निवेश और तकनीकी सहयोग के महत्व पर भी बातचीत हुई। ऊर्जा क्षेत्र में विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं पर मजबूत सहयोग पर चर्चा की गई। यह देखा गया कि दोनों देशों के पास स्वच्छ और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत अवसर हैं।

सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध

भारत और ऑस्ट्रेलिया के सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों का भी विशेष उल्लेख किया गया। अल्बनीज ने भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या और उनकी शैक्षिक प्रगति की प्रशंसा की। भारतीय समुदाय ऑस्ट्रेलिया में तेजी से बढ़ रहा है और इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक बंधन भी मजबूत हो रहे हैं।

शैक्षिक आदान-प्रदान के माध्यम से भी दोनों देशों के बीच संप्रदायों का सशक्तिकरण हुआ है और इससे दोनों देशों के विद्यार्थियों के लिए नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। भारतीय छात्रों के लिए ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटियों में नए पाठ्यक्रमों की पेशकश और साझेदारी कार्यक्रमों पर भी चर्चा की गई।

क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक मुद्दे

क्वाड समिट का मुख्य उद्देश्य चार सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाना है। मोदी और अल्बनीज ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र और खुले नाविकीय अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। चीन के बढ़ते प्रभाव और क्षेत्रीय तनावों को देखते हुए इन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया।

दोनों नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में बढ़ते संघर्ष और उसकी अर्थिकता पर भी चर्चा की और आंतराष्ट्रीय कानून के आधार पर समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की। इस दृष्टिकोण से, दोनों देशों का समन्वित प्रयास क्वाड समूह की रणनीतिक धारा को मजबूत बनाएगा।

इस द्विपक्षीय बैठक से स्पष्ट है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया अपने संबंधों को नई उंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बैठक क्वाड समिट के उद्देश्यों और शिर्षकों के प्रति एक निर्णायक कदम है, जो चारों सदस्य देशों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

7 टिप्पणि

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    Mansi Arora

    सितंबर 22, 2024 AT 21:10
    फिर से ये सब नाटक... क्वाड का मतलब है चीन को घेरना, और हम इसमें अपनी जान लगा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार बढ़ाने का नाम लेकर अमेरिका की चाल चल रहे हो। बस एक बार अपने देश की असली जरूरतों पर ध्यान दो, न कि विदेशी नीतियों के लिए खुद को बेचो।
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    Amit Mitra

    सितंबर 23, 2024 AT 23:27
    इस बैठक के बाद जो बातें सामने आईं, उनमें से कई बातें तो बहुत गहरी हैं। जैसे कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों की संख्या में 40% की बढ़ोतरी हुई है, और ये सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक बातचीत का एक जीवंत उदाहरण है। भारतीय परिवारों में अब ऑस्ट्रेलिया को एक गंतव्य बनाने की ट्रेंड चल रही है, जिससे हमारी आत्मनिर्भरता के साथ-साथ वैश्विक दृष्टिकोण भी बढ़ रहा है। इसके अलावा, मालाबार अभ्यास अब सिर्फ नौसेना का अभ्यास नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक समझ का भी प्रतीक बन गया है।
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    sneha arora

    सितंबर 25, 2024 AT 16:22
    बहुत अच्छा हुआ 😊 भारत और ऑस्ट्रेलिया का रिश्ता अब बहुत अच्छा हो रहा है 🤝 छात्रों के लिए नए मौके, ऊर्जा के लिए साझेदारी, और यहाँ तक कि साइबर सुरक्षा में भी साथ देना... ये सब दिल को छू गया ❤️
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    Sagar Solanki

    सितंबर 26, 2024 AT 17:56
    क्वाड? ये सब एक नाटक है। ऑस्ट्रेलिया अपने लोहे के निर्यात को बचाने के लिए इसमें शामिल हुआ है, और हम उनके लिए शिक्षा और नौसेना के नाम पर अपने राष्ट्रीय संसाधन खर्च कर रहे हैं। इन सभी घोषणाओं के पीछे एक अमेरिकी एजेंडा है - जो हमें एक नए युद्ध के लिए तैयार कर रहा है। चीन के साथ व्यापार कम करना भारत के लिए आत्महत्या है। ये सब नीतियाँ बिल्कुल नकली हैं।
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    Siddharth Madan

    सितंबर 27, 2024 AT 23:41
    ये बैठक अच्छी लगी। ऊर्जा और शिक्षा में सहयोग जरूरी है। बस इतना ही।
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    Nathan Roberson

    सितंबर 29, 2024 AT 17:51
    सच में बहुत अच्छा हुआ। ऑस्ट्रेलिया के साथ अक्षय ऊर्जा पर काम करने का फैसला बहुत स्मार्ट है। हमारे पास सौर ऊर्जा के लिए बहुत सारा भूमि है, और उनके पास टेक्नोलॉजी। इस तरह के साझेदारी से हम दोनों देश फायदा उठा सकते हैं। अगर ये बातें लागू हो गईं तो भारत की ऊर्जा सुरक्षा बहुत मजबूत हो जाएगी।
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    Thomas Mathew

    सितंबर 30, 2024 AT 16:23
    इतना सब कुछ करके भी दुनिया हमें अभी भी एक तीसरी श्रेणी का देश मानती है। जब तक हम अपने आप को नहीं बदलेंगे, तब तक ये सब बातें सिर्फ धुआँ हैं। हमारे अंदर का वो डर, वो असुरक्षा, वो आत्म-अवमानना... वो तो अभी भी बाकी है। बैठकें, घोषणाएँ, बयान - सब कुछ बस एक आइना है जो हमारी आत्मा को दिखाता है। और आत्मा? अभी भी अधूरी है।

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