जूनटींथ इवेंट में नॉर्थईस्टर्न रिसर्च ने अमेरिकी रोजगार के इतिहास में न्यायपूर्ण रोजगार संघर्ष को बताया

जूनटींथ इवेंट में नॉर्थईस्टर्न रिसर्च ने अमेरिकी रोजगार के इतिहास में न्यायपूर्ण रोजगार संघर्ष को बताया

जून, 19 2024

नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी का जूनटींथ इवेंट

नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में आयोजित जूनटींथ इवेंट में अमेरिकी इतिहास में न्यायपूर्ण रोजगार के संघर्ष पर गहन चर्चा की गई। इस आयोजन का उद्देश्य विशेष रूप से अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए समान रोजगार अवसरों की आवश्यकता को समझाना और समाज में इस विषय पर जागरूकता बढ़ाना था। इस संगोष्ठी में प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया और विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए।

इतिहास और घटनाक्रम

अमेरिका में रोजगार के इतिहास की बात करें तो, अफ्रीकी अमेरिकियों को हमेशा से ही भेदभाव और असमानता का सामना करना पड़ा है। 1863 में अब्राहम लिंकन द्वारा की गई उद्घोषणा के बाद, भी अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय को स्वतंत्रता के पश्चात भी मेहनत और संघर्ष जारी रखना पड़ा। नौकरी और रोजगार के क्षेत्र में इनके साथ भेदभाव होता रहा है। 1964 के नागरिक अधिकार अधिनियम के बावजूद भी, रोजगार में असमानता खत्म नहीं हो सकी।

शोधकर्ताओं ने बताया कि आज भी कई उद्योगों और व्यवसायों में अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय की उपस्थिति अन्यों के मुकाबले कम है। उनके पास रोजगार के समान अवसर नहीं होते, और वे अक्सर कम वेतन पर ही काम करने को मजबूर होते हैं। इस इवेंट का मुख्य उद्देश्य इन गहरी जड़ें जमाई असमानताओं को उजागर करना और उनके समाधान पर विचार-विमर्श करना था।

भेदभाव और असमानता की जड़ें

इस इवेंट में शोधकर्ताओं ने बताया कि भले ही कानूनी तौर पर भेदभाव निषिद्ध कर दिया गया हो, लेकिन समाज में यह अभी भी मौजूद है। बहुत से नियोक्ता रंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव करते हैं। इन्हीं कारणों से अफ्रीकी अमेरिकियों को न केवल रोजगार पाने में कठिनाई होती है, बल्कि नौकरी में तरक्की के अवसर भी काफी कम होते हैं।

विभिन्न आंकड़ों के माध्यम से यह दिखाया गया कि अफ्रीकी अमेरिकियों की उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण तक पहुँच सीमित है, जो उनके रोजगार के अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। शिक्षा और प्रशिक्षण में बाधाओं के कारण भी रोजगार में असमानताएँ बनी रहती हैं।

समाज में जागरूकता बढ़ाना

जूनटींथ इवेंट का उद्देश्य था कि समाज में न्यायपूर्ण रोजगार के विषय में जागरूकता फैलाना। इससे लोगों को यह समझने में मदद मिल सकती है कि इन असमानताओं को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाने की जरूरत है। इसमें विशेष पुरानी और नई पीढ़ी के लोगों को जोड़ने का प्रयास भी किया गया, ताकि वे एक साथ मिलकर इस संघर्ष को आगे बढ़ा सकें।

शोधकर्ताओं का मानना है कि समाज में जागरूकता बढ़ने से न केवल रोजगार के अवसरों में सुधार हो सकेगा, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बड़ी कदम होगा।

भविष्य की राह

भविष्य की राह

इवेंट में यह बात स्पष्ट की गई कि जब तक रोजगार के क्षेत्र में पूर्ण समानता नहीं आती, तब तक इस संघर्ष को जारी रखना होगा। इसके लिए समाज के हर व्यक्ति को अपना योगदान देना होगा और भेदभाव के खिलाफ खुलकर आवाज उठानी होगी।

शोधकर्ताओं ने यह भी जोर देकर कहा कि सरकारी नीतियों और कानूनों में भी सुधार की जरूरत है। रोजगार के क्षेत्र में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सख्त कानून बनाए जाने चाहिए और नियोक्ताओं पर इन्हें लागू करने का सख्त दबाव होना चाहिए।

अंत में, इस तरह की चर्चाएँ और शोध कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह समाज के लोगों को सोचने और बदलाव की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। केवल तभी हम एक ऐसे समाज की कल्पना कर सकते हैं, जहां सभी के लिए समान रोजगार अवसर हों और कोई भी भेदभाव का शिकार न हो।

5 टिप्पणि

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    Suman Sourav Prasad

    जून 21, 2024 AT 09:32

    इस इवेंट को देखकर लगा कि हम सबको बस बातें करने की जगह, काम शुरू करने की जरूरत है। नौकरी का दरवाजा खुलना चाहिए, न कि बस सेमिनार में बैठकर इसकी बात करना। अगर हम अपने ऑफिस में भी इतनी ईमानदारी से सोचते, तो अब तक कुछ बदल चुका होता।

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    Nupur Anand

    जून 22, 2024 AT 11:47

    अरे भाई, ये सब तो बस एक बड़ा नाटक है। जब तक आप लोग अपने ब्रह्मांड के बाहर नहीं निकलेंगे, तब तक ये रोजगार का सवाल बस एक शिक्षा के बहाने का नाटक रहेगा। अफ्रीकी अमेरिकियों का संघर्ष तो वास्तविक है, लेकिन हमारे यहाँ तो जाति-धर्म के आधार पर भी एक अदृश्य दीवार है, और आप लोग उस पर चुप्पी क्यों बनाए हुए हैं? ये नॉर्थईस्टर्न वाले तो बस अपनी रिसर्च पब्लिश कर रहे हैं, असली जंग तो यहाँ है - हमारे घरों में, हमारे घरेलू रिश्तों में।

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    Vivek Pujari

    जून 23, 2024 AT 23:17

    लाइट-हैंडेड डायनामिक्स के संदर्भ में, यह इवेंट एक नॉर्मेटिव फ्रेमवर्क के रूप में कार्य करता है जो सामाजिक कैपिटल के असमान वितरण को उजागर करता है। इसके अलावा, इसमें एक स्ट्रक्चरल इंटरवेन्शन का अंतर्निहित आह्वान है - जो रोजगार के बाजार में निर्मित असमानता के अंतर्निहित आधार को चुनौती देता है। जब तक हम इसे सिर्फ एक इथिकल डिलेमा नहीं समझेंगे, बल्कि एक सिस्टमिक फेलियर के रूप में देखेंगे, तब तक कोई बदलाव नहीं होगा। यहाँ तक कि डेटा के आधार पर भी, अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए लीडरशिप पोजिशन में पहुँचने की प्रायिकता 0.7% है - ये कोई अनुमान नहीं, ये एक फैक्ट है।

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    Ajay baindara

    जून 25, 2024 AT 01:54

    तुम लोग इतना बड़ा इवेंट क्यों कर रहे हो? हमारे देश में तो लाखों लोग बिना शिक्षा के जी रहे हैं, तुम यहाँ अमेरिका के बारे में बात कर रहे हो? ये सब बकवास है। अगर तुम्हारे घर में बेटा बीच में नौकरी नहीं मिल रही, तो उसकी बात करो। ये सब बहाने हैं।

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    mohd Fidz09

    जून 25, 2024 AT 10:08

    अरे भाई, ये तो बस एक अमेरिकी गलतफहमी है! हमारे यहाँ तो जाति के आधार पर भेदभाव है, न कि रंग के! लेकिन तुम लोग यहाँ इतना बड़ा शोर मचा रहे हो कि लगता है जैसे अमेरिका ही एकमात्र जगह है जहाँ असमानता है! तुम्हारे यहाँ तो एक आदमी अपने घर में बैठकर अमेरिकी राष्ट्रीयता का नारा लगा रहा है, जबकि हमारे यहाँ एक आदमी बिना आधार कार्ड के बस में नहीं चढ़ पाता! ये जूनटींथ का इवेंट तो बस एक ग्लोबल स्टैंडअप कॉमेडी है - जहाँ हर कोई अपनी बात करता है, लेकिन अपने घर की चीज़ें ठीक नहीं करता!

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