वित्तीय बजट 2024: म्यूचुअल फंड्स और UTI में रिपर्चेज पर 20% TDS हटाया गया

वित्तीय बजट 2024: म्यूचुअल फंड्स और UTI में रिपर्चेज पर 20% TDS हटाया गया

जुल॰, 24 2024

वित्तीय बजट 2024: म्यूचुअल फंड्स और UTI में रिपर्चेज पर 20% TDS हटाया गया

वित्तीय बजट 2024 एक अहम बदलाव के साथ सामने आया है, जिसने निवेशकों के बीच उत्साह पैदा कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में म्यूचुअल फंड्स और UTI में रिपर्चेज पर 20% TDS (स्रोत पर कर कटौती) को हटाने की घोषणा की है।

क्या है धारा 194F?

आयकर अधिनियम की धारा 194F पहले म्यूचुअल फंड्स और UTI से किये जाने वाले भुगतान पर 20% TDS की आवश्यकता रखती थी। इसका मतलब यह था कि जब कोई निवेशक म्यूचुअल फंड्स या UTI में से अपने निवेश को वापस लेता था, तो उस राशि पर 20% टैक्स काट लिया जाता था।

निवेशकों के लिए क्या है फायदे?

इस बदलाव के बाद, म्यूचुअल फंड्स और UTI में निवेश अब और भी अधिक आकर्षक हो जाएगा। 1 अक्टूबर 2024 से यह नया नियम लागू होगा, जिससे निवेशकों को अब अपने निवेश पर निर्धारित टैक्स कटौती की चिंता नहीं रहेगी। इससे निवेशकों को अधिक रिटर्न मिलेगा और उनके निवेश पर कोई अनावश्यक कर बोझ नहीं होगा।

क्यों उठाया गया यह कदम?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस कदम का उद्देश्य म्यूचुअल फंड्स और UTI में निवेश को बढ़ावा देना बताया है। पिछले कुछ वर्षों में, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में तेजी से वृद्धि देखी गई है। इस कदम से और भी अधिक लोग म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे निवेश का माहौल अधिक सुलभ और आकर्षक होगा।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इस बदलाव का वित्तीय बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। जब अधिक लोग म्यूचुअल फंड्स और UTI में निवेश करेंगे, तो इससे अर्थव्यवस्था में पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा। यह उपाय निवेशकों को और भी ज्यादा निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे बाजार में स्थिरता और वृद्धि होगी।

कब से लागू होगा यह नियम?

यह नया नियम 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगा, जिससे निवेशकों को अपने निवेश पर अधिक लाभ मिलेगा। यह समय सीमा निवेशकों को अपने वित्तीय योजनाओं को समायोजित करने और नए निवेश के अवसरों को भुनाने का मौका देती है।

निष्कर्ष

वित्तीय बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा म्यूचुअल फंड्स और UTI में रिपर्चेज पर 20% TDS हटाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बदलाव निवेशकों के लिए नए द्वार खोलने के साथ ही भारतीय वित्तीय बाजार को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होगा। यह कदम निवेशकों को भविष्य में और अधिक निवेश करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा।

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