श्राद्ध मुहूर्त क्या है?

अगर आप हिन्दु धर्म में पिताओं को याद करने के लिए विशेष दिन ढूँढ रहे हैं, तो श्राद्ध मुहूर्त वही है। यह वह समय है जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिये भोजन, तिलक और दान करते हैं। बहुत लोग इसे जटिल समझते हैं, पर असल में बस सही दिन‑समय चुनना ही काम है।

श्राद्ध का सही दिन कैसे चुनें?

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सबसे पहले आप देखिए कि कौन-सा तिथि आपके पूर्वज की मृत्यु से जुड़ी है। आमतौर पर वैध तिथियाँ शरद और वसंत ऋतु में आती हैं, जैसे महाविष्णु के अंत में या अष्टमी‑त्रयोदिन के बाद वाले दिन। पंचांग में यदि चंद्रमा का “कृष्ण पक्ष” हो तो वह अधिक उपयुक्त माना जाता है।

अगर आपको सटीक तिथि नहीं पता, तो आप “श्राद्ध मुहूर्त कैल्कुलेटर” ऑनलाइन इस्तेमाल कर सकते हैं। ये टूल आपके जन्म-तारीख और मृत्यु‑तारीख के आधार पर सबसे अनुकूल दिन बता देते हैं। याद रखिए, वसंत में शरद ऋतु की तिथियाँ अक्सर अधिक शुभ मानी जाती हैं क्योंकि मौसम सुखद होता है।

साधारण रीतियाँ और तैयारी

एक बार सही मुहूर्त मिल जाए तो तैयारियों का काम शुरू हो जाता है। सबसे पहले घर साफ‑सुथरा रखें, किचन में हल्दी‑नींबू व तेल रखिए। पवित्र जल लेकर छोटे बर्तन में डालें और उसमें तिल, घी, शर्करा डालकर “पिदा” बनायें। यह भोजन बाद में अन्न के रूप में परोसा जाता है।

श्राद्ध के दिन सुबह जल्दी स्नान करके सफेद कपड़े पहनें। पूजा स्थल पर एक छोटा कुंड या तालाब रखें, उसमें जल भरकर पवित्र मानें। फिर पीले फूल और धूप का दाना रखिए। अगला कदम है “तर्पण” – जहाँ आप पानी में क़ुरबानी के रूप में घी डालते हैं और उसका अंश अपने पूर्वजों को देते हैं।

पूजा के बाद, सभी को भोजन करवाएँ। इस भोजन को ‘भुक्ति’ कहते हैं, जो आपके पितरों की आत्मा को संतुष्टि देता है। यदि आप अकेले होते हैं तो भी यह रिवाज वैध है; बस इरादा साफ़ रखें और मन से प्रार्थना करें।

ध्यान रहे कि शराब या मांस नहीं होना चाहिए। अगर घर में बच्चे हों, तो उन्हें भी इस पूजा में शामिल कर सकते हैं – इससे उनके दिल में पारिवारिक बंधन मजबूत होता है। कुछ लोग दान देना भी पसंद करते हैं; यह क़रज का हिसाब भी हो जाता है।

श्राद्ध मुहूर्त के बाद आप एक दिन आराम कर सकते हैं, क्योंकि इस समय मन और शरीर दोनों ही शुद्ध होते हैं। कई बार लोग अगले दिन “परिवारिक मिलन” आयोजित करते हैं जहाँ सभी अपने अनुभव शेयर करते हैं। यह पारम्परिक तरीकों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का आसान तरीका है।

समाप्ति में, अगर आप पहली बार श्राद्ध कर रहे हैं तो हल्के‑फुल्के मन से शुरुआत करें। कोई भी छोटी गलती बड़ी बात नहीं है – महत्व आपके इरादे और सम्मान में है। सही मुहूर्त चुनें, सरल रीतियों का पालन करें, और अपने पूर्वजों को शांति दें।

2024 पितृ पक्ष के पहले दिन के महत्वपूर्ण मुहूर्त और श्राद्ध विधि

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