रणनीतिक स्वायत्तता और इसका मतलब क्या है?
रणनीतिक स्वायत्तता वो स्थिति है जब कोई देश या कंपनी बाहरी दबावों से मुक्त होकर अपने फैसले खुद ले सके। भारत में इस बात का मतलब है कि हम अपनी नीति, व्यापार और रक्षा को किसी भी देश के हित में नहीं बदलेंगे। इससे आर्थिक विकास और सुरक्षा दोनों को स्थिरता मिलती है।
व्यापार में स्वायत्तता: नई कंपनियों की कहानी
उदाहरण के तौर पर Kiaasa का IPO देखें। ओम प्रकाश और अमित चौहान ने हाथ से बना कार्पेट लेकर एथनिक फैशन ब्रांड तक का सफर तय किया। कंपनी अब SME प्लेटफ़ॉर्म पर 55 करोड़ रुपये की फंडिंग लेकर 250 स्टोर की योजना बना रही है। इससे निजी सेक्टर को खुद की दिशा तय करने की आज़ादी मिली है, जो कि रणनीतिक स्वायत्तता का एक पहलू है।
रक्षा और विदेश नीति में स्वायत्तता: राजधानी की नई रुख
सेंना मामलों के मंत्री राजनाथ सिंह ने SCO बैठक में साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। उनका यह कदम भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाता है – हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारे राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेंगे। इसी तरह, रक्षा में भी भारत ने स्वदेशी हथियार बनाने पर जोर दिया है, ताकि विदेशी आपूर्ति पर निर्भरता कम हो।
व्यापारिक दृष्टिकोण से देखे तो, Reliance Consumer Products की नई संरचना भी स्वायत्तता की कहानी कहती है। अब RCPL सीधे Reliance Industries की सहायक बन जाएगी और 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य रखी गई है। इस तरह बड़े समूह अपनी रणनीति को एक छत्र के नीचे लाकर स्केल और वैल्यू बढ़ा रहे हैं, जिससे भारत के उपभोक्ता बाजार में घरेलू शक्ति मजबूत हो रही है।
रणनीतिक स्वायत्तता का मतलब सिर्फ आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक और तकनीकी पहलू भी हैं। भारत ने अब विभिन्न राज्यों में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीतियां लागू की हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर बनते हैं और आयात पर निर्भरता घटती है। ये कदम दीर्घकालिक सुरक्षा और सतत विकास की नींव रखते हैं।
हाल ही में सरकार ने कई नई नीतियां लांच की हैं, जैसे कि उत्पाद नीति जो शराब जैसे नुक्सानदेह सामान पर प्रतिबंध लगाती है। चाहे वह झारखंड में लागू हो या किसी भी राज्य में, यह नीति सामाजिक स्वायत्तता को बढ़ावा देती है और देश को अपने स्वास्थ्य और नैतिक मानकों पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देती है।
तो, रणनीतिक स्वायत्तता सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक दिशा है जो हमारे दैनिक जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करती है। चाहे वह बड़े कॉरपोरेशन हों, या व्यक्तिगत उपभोक्ता, सभी को इस बदलाव का फायदा मिल रहा है। यदि हम इस दिशा में सही कदम उठाते रहें, तो भारत विश्व मंच पर न सिर्फ मजबूत बल्कि अपने निर्णयों में आत्मविश्वास से भरपूर दिखाई देगा।

भारत-रूस संबंध: अमेरिकी दबाव के बीच मॉस्को की खुली तारीफ, तेल और टैरिफ पर तकरार
रूस ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की सराहना करते हुए कहा कि अमेरिकी दबाव के बावजूद रिश्ते मज़बूत हैं। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर वॉशिंगटन की नाराज़गी ने तनाव बढ़ाया है। भारत की तेल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा अब रूस से आता है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और कूटनीतिक संतुलन दोनों जुड़े हैं।
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