Jerome Powell – फेडरल रिज़र्व के मुखिया का सार

जब बात अमेरिकी अर्थव्यवस्था की आती है, तो Jerome Powell वह नाम है जो हर बार सुनाई देता है। वह फेडरल रिज़र्व के चेयरमैन हैं, जो मौद्रिक नीति तय करने और देश की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। अक्सर उन्हें ब्याज दरों के कप्तान कहा जाता है, क्योंकि उनकी बयानबाज़ी से डॉलर की कीमत और लोन की लागत सीधे प्रभावित होती है।

इसी तरह, Federal Reserve संयुक्त राज्य अमेरिका का केंद्रीय बैंक है, जो पैसे की आपूर्ति, बैंकों की तरलता और मौद्रिक लक्ष्य को नियंत्रित करता है। फेड का प्रमुख लक्ष्य महंगाई को संकुचित रखना और रोजगार को स्थिर करना है। जब फेड रेपो या फेड फंड्स रेट बदलता है, तो वह ब्याज दरें वह दर है जिस पर बैंक एक-दूसरे को अल्पकालिक ऋण देते हैं, और यह आम जनता को मिलने वाले लोन की कीमत को निर्धारित करती हैं को सीधे प्रभावित करती है।

एक और मुख्य घटक महंगाई वह गति है जिस पर वस्तु और सेवाओं की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं, जिसे फेड अक्सर “उपभोग मूल्य सूचकांक (CPI)” के माध्यम से मापता है। जब महंगाई तेज़ी से बढ़ती है, तो फेड आमतौर पर दरें बढ़ाता है ताकि पैसा कम उपलब्ध हो, जिससे कीमतों पर अंकुश लगे। इसके उलट, मंदी के समय दरें घटाकर आर्थिक गति को तेज़ किया जाता है।

क्यों Jerome Powell के कदमें हर भारतीय दरिद्र को छूते हैं?

बहुत से लोग सोचते हैं कि अमेरिकी नीति सिर्फ अमेरिकी नागरिकों के लिए ही मायने रखती है, पर असल में यह वैश्विक बाजारों, विदेशी निवेश और यहाँ तक कि भारतीय रुपये की दरों को भी झुकाव देती है। जब Powell डॉलर को मजबूत बनाते हैं, तो भारत में आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिससे महंगाई की लहर चलती है। इसी कारण से भारतीय स्टॉक्स, सोना, और बॉण्ड की मार्केटें अक्सर Powell के टॉक्स और फेड के निर्णयों के साथ नाचती हैं।

उदाहरण के तौर पर, पिछले साल जब Powell ने 0.75 % की दर वृद्धि की घोषणा की, तो भारतीय इक्विटी में दो-तीन दिन में 3 % की गिरावट देखी गई। वही समय जब उन्होंने मौद्रिक नीति को ‘धीरज’ बताया, तो विदेशी फंडों ने भारतीय बाजार में फिर से धंधा शुरू किया। इस तरह के पैटर्न को जानकर निवेशक बेहतर जोखिम प्रबंधन कर सकते हैं।

एक और उपयोगी पहलू यह है कि Powell की सार्वजनिक भाषण शैली अक्सर आर्थिक डेटा को सरल शब्दों में समझाती है, जिससे सामान्य दर्शक भी फेड की दिशा को समझ सकते हैं। उनका “हॉव‑अ‑टर्म‑अट‑दिस‑पॉइंट” वाले इंटरव्यू में कहा गया “मैं चाहता हूँ कि लोग इस बात को समझें कि उच्च ब्याज दरें सिर्फ बैंकों को नहीं, बल्कि हर लेन‑देन को प्रभावित करती हैं” – यह संदेश बहुत स्पष्ट है: नीति का प्रभाव व्यापक है।

इन संबंधों को देखते हुए, नीचे दी गई सूची में आप विभिन्न लेख, विश्लेषण, और ताज़ा समाचार पाएँगे—जैसे Powell के आगामी FOMC मीटिंग की संभावित दिशा, फेड के नवीनतम प्रोजेक्टेड इन्फ्लेशन टार्गेट, और भारतीय बाजार पर उनके बयान का विश्लेषण। यह संग्रह आपका एक‑स्टॉप रिसोर्स बन जाएगा, चाहे आप निवेशक हों, छात्र हों या बस सामान्य पाठक।

अब आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि इस टैग में कौन‑से लेख आपके लिए सबसे ज़रूरी जानकारी लाएंगे।

सौना की कीमत 11,962.75 रुपये/ग्राम तक पहुँची, फेड की कट नीति ने मचाया उछाल

सौना की कीमत 11,962.75 रुपये/ग्राम तक पहुँची, फेड की कट नीति ने मचाया उछाल

16 अक्टूबर को सोने की कीमत 11,962.75 रुपये/ग्राम तक पहुँची, जो फ़ेडरल रिज़र्व के कट संकेतों और डॉलर के गिरने से प्रेरित था। निवेशकों को आगे के डेटा पर नजर रखनी चाहिए।

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