इंडिया ए बनाम इंग्लैंड लॉयन्स: जेसवाल के LBW फैसले पर बवाल, DRS न होने से बढ़ा विवाद

इंडिया ए बनाम इंग्लैंड लॉयन्स: जेसवाल के LBW फैसले पर बवाल, DRS न होने से बढ़ा विवाद

जून, 7 2025

मैदान पर बढ़ता तनाव: यशस्वी जैसवाल का LBW विवाद

जून 6, 2025 की सुबह नॉर्थहैम्पटन के काउंटी ग्राउंड पर इंडिया ए और इंग्लैंड लॉयन्स के बीच चल रहे दूसरे अनौपचारिक टेस्ट में एक पल ने सबका ध्यान खींच लिया। सलामी बल्लेबाज यशस्वी जैसवाल को इंग्लैंड के अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ क्रिस वोक्स ने सातवें ओवर में बल्लेबाज़ी करते समय LBW आउट कर दिया। स्कोरबोर्ड पर 17 रन (25 गेंद, दो चौके) के साथ जैसवाल पिच पर टिके थे। गेंद बाजू की हवा से तेज़ी से कटकर आयी, जैसवाल फ्लिक खेलने गए, लेकिन गेंद सीधा उनके फ्रंट पैड पर लगी। अंपायर ने बिना देर किए ऊँगली उठा दी।

लेकिन जैसवाल का रिएक्शन वही था, जिससे मैच का माहौल अचानक गर्मा गया। आउट दिए जाने के बाद वे दो कदम पीछे हटे, थोड़ी देर तक क्रीज़ पर रुके रहे, अंपायर से अपनी असहमति ज़ाहिर की, चेहरा तमतमाया हुआ, और आखिरकार करीब 10 सेकंड बाद पवेलियन लौटे। इस बीच स्टेडियम में Zuschauer और सोशल मीडिया पर फैंस उबाल मारने लगे—लोगों को फैसला ठीक नहीं लगा। बहुत लोगों ने कहा कि गेंद लेग स्टंप के बाहर जा रही थी, मगर ग्राउंड टेस्ट में तो DRS (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) होता ही नहीं। फैसले को बदलना संभव नहीं था।

कैसे बढ़ गया जेसवाल पर दारोमदार?

यह फैसला सिर्फ एक विकेट नहीं था, बल्कि देश की टेस्ट टीम की उम्मीदों से जुड़ा था। जैसवाल ने हाल ही में उसी टीम के खिलाफ पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों में 24 और 64 रन बनाए थे। उनकी और केएल राहुल की सलामी जोड़ी को क्रिकेट एक्सपर्ट्स आगामी भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ के लिए बेहतरीन मान रहे हैं। नॉर्थहैम्पटन की इसी पिच पर वह अपनी फॉर्म बरकरार रखकर टीम इंडिया के लिए मजबूत दावेदारी पेश करना चाह रहे थे।

इंग्लैंड लॉयन्स के कप्तान जेम्स रू ने सुबह टॉस जीतकर जब पहले फील्डिंग का फैसला लिया, तब काले बादल छाए थे। नए बॉल से तेज़ गेंदबाज़ों को मदद मिलनी तय थी और भारत के ओपनर्स पर दबाव बनना भी स्वाभाविक था। जैसवाल जिस अंदाज़ में बल्लेबाज़ी कर रहे थे, उससे उन्होंने दिखा दिया कि वे बड़े मौके के खिलाड़ी हैं और दबाव झेल सकते हैं। हालांकि इस फैसले से उनकी पारी छोटी रही, लेकिन टीम में जगह और आगे बढ़ने की उनकी चाह का अंदाज़ा सिर्फ उनके बल्ले नहीं, पूरे रवैये से भी लग रहा था।

यह घटना यह बताती है कि आज के क्रिकेटर सिर्फ तकनीकी रूप से नहीं, मेंटली भी मज़बूत चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जैसवाल का मैदान पर इस तरह ठहरकर फैसले पर रिएक्शन, खेल की मानसिकता और टीम के लिए उनके जुनून को इंगित करता है। सोशल मीडिया पर भी लोग उनकी जुझारू सोच की तारीफ कर रहे हैं—कोई टीम इंडिया में आने से पहले इतना जुनून दिखाए, तो फैंस का बोलना लाज़िमी है।

अब सभी की नजरें 20 जून से शुरू हो रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट पर टिकी हैं, जिसमें जैसवाल और केएल राहुल से एक और शानदार शुरूआत की उम्मीद की जा रही है। नॉर्थहैम्पटन की घटना ने जैसवाल को हर क्रिकेट फैन की चर्चा का विषय बना दिया है—युवा हो, लेकिन जज़्बे में सीनियर खिलाड़ियों से कम नहीं।

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