बिहार चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक जीत, अमित शाह ने कहा 'हर बिहारी की जीत है'

बिहार चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक जीत, अमित शाह ने कहा 'हर बिहारी की जीत है'

नव॰, 15 2025

बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया। 14 नवंबर, 2025 को शाम 4:50 बजे भारतीय मानक समय (IST) पर चुनाव आयोग ने राज्य विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित किए — राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने कुल 243 सीटों में से 204 सीटों पर अग्रणी स्थिति में है। ये केवल एक जीत नहीं, बल्कि बिहार के राजनीतिक नक्शे को बदल देने वाली एक भूकंपीय घटना है। अमित शाह, जो बीजेपी के सीनियर नेता और केंद्रीय गृह मंत्री हैं, ने तुरंत सोशल मीडिया पर घोषणा की: "ये हर बिहारवासी की जीत है"। उन्होंने यह भी कहा — "जिन्होंने घुसपैठियों को लाया, तो ये उनकी हार है"। ये बयान केवल एक जीत का आनंद नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश था।

बिहार का राजनीतिक नक्शा कैसे बदला?

पिछले दशकों में बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल (एकता) का द्वंद्व रहा। बीजेपी तो अक्सर एक "बाहरी" पार्टी मानी जाती थी। लेकिन 2025 के चुनाव ने यह सब बदल दिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति बन गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे "बिहार के राजनीतिक नक्शे का मौलिक बदलाव" बताया। ये बदलाव केवल एक चुनाव का नतीजा नहीं, बल्कि 11 साल के लगातार राष्ट्रीय नेतृत्व के बाद आम आदमी के विश्वास का परिणाम है।

अमित शाह ने क्या कहा, किसे दिया श्रेय?

अमित शाह ने अपने बयान में नरेंद्र मोदी को "11 सालों तक बिहार के लिए पूरी तरह काम करने" के लिए श्रेय दिया। उन्होंने नितीश कुमार को भी सराहा, कहा कि उन्होंने "जंगल राज" के अंधेरे से बिहार को निकाला। ये बातें बेहद महत्वपूर्ण हैं — क्योंकि ये एक ऐसे गठबंधन की ताकत को दर्शाती हैं जो पिछले चुनावों में टूट चुका था। अब बीजेपी-जेडीयू का साझा अनुभव एक नए स्तर पर पहुंच गया है। लोगों ने नितीश कुमार के चेहरे और मोदी के चेहरे वाले मास्क पहनकर इस जीत का जश्न मनाया।

विपक्ष की प्रतिक्रिया: शोक नहीं, विश्लेषण

विपक्ष की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा — "हार में शोक नहीं... ऊपर-नीचे अपरिहार्य हैं।" ये बयान शायद एक विश्वास का संकेत है — वे जानते हैं कि ये जीत उनकी गलतियों का परिणाम नहीं, बल्कि एनडीए के विकास के संदेश की जीत है। आरजेडी ने पिछले चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन अब लोगों ने एक नई उम्मीद का चुनाव किया।

मैथिली और अलिनगर: एक छोटे से गांव का बड़ा संदेश

डारभंगा जिले के अलिनगर जैसे छोटे से गांव को भी इस जीत का हिस्सा बनाया गया। बीजेपी ने यहां मैथिली नाम की एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया — जिसका पूरा नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ। लेकिन ये निर्णय बेहद प्रतीकात्मक था। बिहार के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को राजनीति में शामिल करने की यह एक छोटी सी कोशिश ने बड़ा प्रभाव डाला। लोगों ने देखा कि ये सिर्फ बातों का खेल नहीं, बल्कि एक वास्तविक बदलाव की ओर कदम है।

जीत का असली मतलब: विकसित बिहार की आशा

अमित शाह ने जीत को "विकसित बिहार में यह विश्वास की जीत" बताया। ये शब्द बहुत गहरे हैं। बिहार के लोगों ने सिर्फ एक पार्टी को नहीं, बल्कि एक विकास के संकल्प को वोट दिया है। इस जीत का मतलब है — लोगों ने भ्रष्टाचार, अनिश्चितता और अतीत के राजनीतिक खेलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने बेहतर सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा की ओर इशारा किया है। ये वो वादे हैं जिन्हें एनडीए ने लगातार दोहराया है।

अगला कदम: बिहार के लिए क्या होगा?

अब बीजेपी के पास राज्य में अकेले शासन का अवसर है — लेकिन वे नितीश कुमार के साथ गठबंधन बनाए रखने की योजना बना रहे हैं। इसका कारण स्पष्ट है: नितीश कुमार की राजनीतिक नेटवर्क और ग्रामीण समर्थन अभी भी अहम है। अगले छह महीने में बिहार में नई योजनाएं शुरू होंगी — विशेषकर महिला सुरक्षा, बेकारी कम करने और शिक्षा के क्षेत्र में। चुनाव आयोग के आंकड़े दिखाते हैं कि 18-35 वर्ष की आयु वर्ग में बीजेपी का समर्थन 42% तक पहुंच गया है — ये पिछले चुनाव से 15% की बढ़ोतरी है।

क्या ये राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक नया मॉडल है?

बिहार की ये जीत देश के अन्य राज्यों के लिए एक नया मॉडल बन सकती है। यहां लोगों ने भाषा, जाति या क्षेत्रीय भावनाओं के बजाय, विकास और शासन की गुणवत्ता पर वोट दिया। अगर उत्तर प्रदेश, झारखंड या मध्य प्रदेश में भी यही रुझान बना, तो 2029 के लोकसभा चुनाव का नतीजा पहले से ही तय हो सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बिहार के लोगों ने इस बार क्यों एनडीए को वोट दिया?

बिहार के लोगों ने विकास के संकल्प पर वोट दिया। नितीश कुमार के शासन के दौरान बेहतर राजमार्ग, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ। इसके साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर पर किए गए लाभकारी योजनाएं — जैसे उज्ज्वला योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना — ने गरीब घरों में विश्वास जगाया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में बीजेपी का समर्थन 58% तक पहुंच गया।

आरजेडी की हार का मुख्य कारण क्या था?

आरजेडी की हार का मुख्य कारण उनका अंतर्विरोध और अनिश्चित राजनीतिक संदेश था। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के बीच तनाव जारी रहा। उन्होंने अपने चुनावी वादों को विकास पर नहीं, बल्कि जाति आधारित भावनाओं पर केंद्रित किया। जबकि एनडीए ने स्वास्थ्य, सुरक्षा और बेरोजगारी पर ध्यान दिया, आरजेडी ने बस अतीत के नारे दोहराए।

मैथिली कौन हैं और उनकी भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

मैथिली अलिनगर से बीजेपी की उम्मीदवार हैं, जिनका पूरा नाम अभी तक जारी नहीं किया गया है। लेकिन उनका चुनाव बेहद प्रतीकात्मक है — बिहार के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को राजनीति में शामिल करने की एक जानबूझकर की गई कोशिश है। उनकी जीत ने यह संदेश दिया कि अब राजनीति में लिंग नहीं, बल्कि कार्यक्षमता मायने रखती है।

अगले चुनावों में बिहार का राजनीतिक वातावरण कैसा रहेगा?

अगले चुनावों में बिहार का राजनीतिक वातावरण एक नए आधार पर खड़ा होगा — विकास और शासन की गुणवत्ता। आरजेडी अब अपने विचारों को बदलने के लिए मजबूर होगा। अगर वे नितीश कुमार के साथ गठबंधन करने की बजाय अकेले चुनाव लड़ने की कोशिश करते हैं, तो वे फिर से हार सकते हैं।

15 टिप्पणि

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    Sahil Kapila

    नवंबर 17, 2025 AT 04:12

    ये जीत सिर्फ बीजेपी की नहीं है ये बिहार की है और अमित शाह का बयान बिल्कुल सही है हर बिहारी की जीत है

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    ASHOK BANJARA

    नवंबर 18, 2025 AT 16:49

    इस जीत का मतलब ये नहीं कि दूसरे पार्टियाँ खत्म हो गईं बल्कि ये कि लोग अब सिर्फ जाति या नाम से नहीं बल्कि विकास के आधार पर वोट दे रहे हैं ये बदलाव बहुत बड़ा है

    पिछले 10 सालों में बिहार में राजमार्गों का विस्तार हुआ गाँवों में बिजली आई और बेरोजगारी में कमी आई ये सब एक सामूहिक प्रयास का नतीजा है

    आरजेडी ने जाति के नारों पर जीत की कोशिश की लेकिन अब लोग चाहते हैं कि उनका बेटा स्कूल जा सके न कि एक रैली में भाग ले

    मैथिली की उम्मीदवारी एक छोटी सी बात लग सकती है लेकिन इसका संदेश बड़ा है कि अब लिंग नहीं योग्यता मायने रखती है

    ये जीत एक नए युग की शुरुआत है जहाँ राजनीति नारे नहीं नतीजे बनाएगी

    मोदी के नेतृत्व में और नितीश के स्थानीय ज्ञान के साथ ये गठबंधन असली शक्ति है

    अगर आरजेडी अपनी रणनीति नहीं बदलता तो अगले चुनाव भी उसी तरह जाएंगे

    हमें याद रखना चाहिए कि वोट देने वाला आम आदमी अब जानता है कि उसका भविष्य किस पर निर्भर करता है

    इस जीत का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि उन सभी को है जिन्होंने अपने घरों से शुरुआत की

    अगर ये मॉडल उत्तर प्रदेश या झारखंड में भी काम कर गया तो 2029 का चुनाव पहले से ही तय हो जाएगा

    हमें अपने अतीत को भूलना होगा और भविष्य की ओर देखना होगा

    बिहार ने दिखा दिया कि विकास का रास्ता सबसे बड़ा नारा है

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    Rajveer Singh

    नवंबर 19, 2025 AT 05:02

    ये जीत सिर्फ चुनाव नहीं ये एक इतिहास का अंत है जहाँ घुसपैठ और अंधविश्वास राज करते थे

    जिन्होंने अपने घरों में बेटियों को शिक्षा देने से इनकार किया वो आज देख रहे हैं कि एक महिला उम्मीदवार जीत गई

    आरजेडी के नेता अब भी अपने गाँवों में जाकर जाति के नारे लगाते हैं लेकिन आज का युवा उनकी बात नहीं सुनता

    हमने अपने देश को बदलने का फैसला किया है और बिहार ने इसे शुरू कर दिया है

    अगर कोई इसे राजनीति का नाम देता है तो वो नहीं जानता कि ये जीवन का नाम है

    हर बिहारी जीता है क्योंकि हर बिहारी अब अपने भविष्य के लिए लड़ रहा है

    कोई भी अगर इस जीत को नकारता है तो वो अपने आप को नकार रहा है

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    Ankit Meshram

    नवंबर 20, 2025 AT 09:39

    बिहार ने विकास को वोट दिया

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    Shaik Rafi

    नवंबर 22, 2025 AT 01:47

    ये जीत एक नए दृष्टिकोण की ओर इशारा करती है जहाँ लोग अब बातों के बजाय कामों को देख रहे हैं

    मैथिली की उम्मीदवारी एक छोटी सी बात लग सकती है लेकिन इसका असर बहुत बड़ा है

    जब एक गाँव की एक महिला चुनाव लड़ती है तो ये बताता है कि राजनीति अब किसी के घर की बाहर नहीं रही

    हमें याद रखना चाहिए कि विकास का रास्ता कोई एक पार्टी का नहीं होता बल्कि सबका होता है

    अगर हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे तो बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं बल्कि एक उदाहरण बन जाएगा

    हमें अपने भीतर के भेदभाव को भी बदलना होगा

    ये जीत हम सबके लिए एक जिम्मेदारी है न कि एक बड़ी बात

    अगर हम इसे गलत तरीके से लेंगे तो ये जीत भी अस्थायी हो सकती है

    हमें अपने आप को बदलना होगा तभी बिहार बदलेगा

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    Ashmeet Kaur

    नवंबर 23, 2025 AT 08:05

    मैथिली की जीत का मतलब ये है कि अब बिहार में महिलाएं राजनीति के बाहर नहीं रहेंगी

    ये सिर्फ एक उम्मीदवार की जीत नहीं बल्कि एक पीढ़ी की जीत है

    मैंने अपनी बहन को ये खबर सुनाई और वो रो पड़ी क्योंकि उसे लगा कि अब उसका बेटा भी कुछ बन सकता है

    ये जीत बिहार के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक नई उम्मीद है

    हमें इसे बरकरार रखना होगा और इसे आगे बढ़ाना होगा

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    Nirmal Kumar

    नवंबर 24, 2025 AT 03:09

    बिहार का ये बदलाव देखकर लगता है कि लोगों ने अपने दिमाग को बदल दिया है

    पहले लोग जाति और नाम के आधार पर वोट देते थे अब वो विकास के आधार पर देते हैं

    ये बदलाव बहुत बड़ा है क्योंकि ये एक विचार का बदलाव है

    मैं बिहार के एक छोटे से गाँव से हूँ और मैंने देखा है कि यहाँ कैसे बदलाव आया

    बीजेपी ने बस योजनाएँ लाईं और आरजेडी ने बस नारे लगाए

    लोगों ने अपनी आँखों से देखा और फैसला किया

    अगर ये मॉडल अन्य राज्यों में भी चल गया तो भारत का भविष्य बहुत अलग हो जाएगा

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    Sharmila Majumdar

    नवंबर 24, 2025 AT 13:54

    आरजेडी की हार का कारण उनका अंतर्विरोध है लेकिन आपको ये नहीं बताया जा रहा कि उनके नेता अपने घरों में भी बेटियों को शिक्षा नहीं दे रहे हैं

    ये बात आपको नहीं बताई जा रही लेकिन ये सच है

    मैंने अपने गाँव में ये देखा है

    बिहार की ये जीत बहुत बड़ी है

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    amrit arora

    नवंबर 25, 2025 AT 12:39

    इस जीत का असली मतलब ये है कि लोग अब अपने भविष्य के लिए सोच रहे हैं न कि अपने अतीत के लिए

    बिहार के लोगों ने एक ऐसा फैसला किया है जो देश के लिए एक नया मॉडल बन सकता है

    ये जीत एक नए दृष्टिकोण की ओर इशारा करती है जहाँ जाति और भाषा के बजाय विकास और शासन की गुणवत्ता मायने रखती है

    मैं ये नहीं कह रहा कि बीजेपी सब कुछ सही कर रही है लेकिन ये जो बदलाव आया है वो बहुत बड़ा है

    अगर आरजेडी अपनी रणनीति बदलता है तो वो फिर से लौट सकता है

    लेकिन अगर वो अपने अतीत को नहीं छोड़ता तो वो नहीं लौटेगा

    हमें ये भी याद रखना चाहिए कि ये जीत एक व्यक्ति की नहीं बल्कि एक समाज की है

    अमित शाह के बयान में एक गहरा संदेश छिपा है कि ये जीत हर बिहारी की है

    ये बात बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये एक ऐसा संदेश है जो लोगों को एक साथ लाता है

    हमें अपने भीतर के भेदभाव को भी बदलना होगा

    ये जीत एक नई शुरुआत है और हमें इसे बरकरार रखना होगा

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    Ambica Sharma

    नवंबर 25, 2025 AT 19:27

    मैं रो रही हूँ ये जीत देखकर मैं बहुत खुश हूँ मैंने अपने बेटे को बिहार के लिए उम्मीद करने के लिए कहा था और अब वो सच हो गया

    मैंने अपने दोस्तों को भी बताया और वो भी रो पड़े

    हमें ये जीत नहीं भूलनी चाहिए

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    Hitender Tanwar

    नवंबर 25, 2025 AT 20:40

    ये सब बकवास है बिहार के लोग अभी भी भूखे हैं और ये जीत केवल टीवी पर दिखाई दे रही है

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    vinoba prinson

    नवंबर 26, 2025 AT 19:33

    अमित शाह के बयान को देखकर लगता है कि वो खुद को बहुत बड़ा समझते हैं

    लेकिन बिहार के लोगों ने वोट दिया न कि उनके बयान को

    ये सब बस एक धोखा है

    और मैथिली कौन है? किसी को नहीं पता लेकिन उसके नाम से एक भावना बनाई गई है

    ये राजनीति नहीं ये नाटक है

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    Sumeet M.

    नवंबर 28, 2025 AT 04:58

    हर बिहारी की जीत? बहुत बड़ी बात है लेकिन ये जीत किसकी है? बीजेपी की है

    और अमित शाह ने ये बयान इसलिए दिया क्योंकि वो जानते हैं कि अगर वो नहीं कहेंगे तो लोग ये सोचेंगे कि ये जीत सिर्फ एक पार्टी की है

    ये बयान एक राजनीतिक चाल है

    और नितीश कुमार को श्रेय देना? ये भी एक चाल है

    ये सब बस एक नाटक है

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    Kisna Patil

    नवंबर 29, 2025 AT 11:59

    मैथिली की जीत का मतलब ये है कि अब बिहार में महिलाएं अपनी आवाज उठा रही हैं

    ये एक छोटी सी बात लग सकती है लेकिन ये एक बड़ी बदलाव की शुरुआत है

    हमें ये याद रखना चाहिए कि राजनीति सिर्फ नेताओं की नहीं बल्कि हर आम आदमी की है

    मैंने अपने गाँव में एक महिला को वोट देते देखा और वो बहुत खुश थी

    ये जीत हम सबकी है

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    pritish jain

    दिसंबर 1, 2025 AT 02:32

    बिहार की ये जीत एक नए युग की शुरुआत है जहाँ लोग अपने भविष्य के लिए वोट दे रहे हैं

    ये जीत एक नए दृष्टिकोण की ओर इशारा करती है जहाँ जाति और भाषा के बजाय विकास और शासन की गुणवत्ता मायने रखती है

    ये बदलाव बहुत बड़ा है और ये भारत के लिए एक नया मॉडल बन सकता है

    हमें इसे बरकरार रखना होगा

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