बीबीसी स्पोर्ट्स की यूरो 2024 कवरेज के लिए रिमोट वर्कफ्लो की नई तकनीक

बीबीसी स्पोर्ट्स की यूरो 2024 कवरेज के लिए रिमोट वर्कफ्लो की नई तकनीक

अग॰, 17 2024

बीबीसी स्पोर्ट्स और यूरो 2024 कवरेज

बीबीसी स्पोर्ट्स ने यूरो 2024 के लिए रिमोट प्रोडक्शन तकनीक को अपनाने में क्रांतिकारी कदम उठाया है। इस तकनीक के माध्यम से उन्होंने दर्शकों को एक नया और बेहतर अनुभव प्रदान करने का प्रयास किया। बीबीसी ने इस टूर्नामेंट के 27 मैचों का प्रसारण किया, जो कि टेलीविजन, स्ट्रीमिंग, रेडियो और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध थे। इस कवरेज का प्रबंधन सलफर्ड, यूके में स्थित डोक10 स्टूडियो से किया गया था, जहां जर्मनी से प्राप्त रॉ फीड्स को उत्कृष्ट प्रसारण में परिवर्तित किया गया।

टेक्नोलॉजी का उपयोग

इस प्रसारण का मुख्य आकर्षण अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग था। बीबीसी ने एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) का उपयोग करके बर्लिन के स्टूडियो में एक वर्चुअल विश्व का निर्माण किया। यह तकनीक दर्शकों को वास्तविकता के पास का अनुभव देती हैं, और इसने प्रसारण को मनोरम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देखा गया कि प्रस्तुतकर्ता गैरी लिनेकर और गैबी लोगन ने लाइव प्रसारण को बर्लिन के ब्रांडेनबर्ग गेट से किया, जिससे इसे और भी आकर्षक बनाया गया।

तकनीकी सेटअप में AR ग्राफिक्स का उपयोग करके वास्तविक समय के डेटा और सांख्यिकी को प्रसारण पर ओवरले किया गया। यह तकनीक न केवल प्रसारण को सहज और प्रभावी बनाती है, बल्कि दर्शकों को भी टीमों और खेल के बारे में समर्पित जानकारी प्रदान करती है।

रिमोट प्रोडक्शन के फायदे

रिमोट प्रोडक्शन ने प्रसारण की प्रक्रिया को सरल और आर्थिक रूप से लाभकारी बनाया। यह अध्याय इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है क्योंकि यह यात्रा और ऑन-साइट उपकरणों की आवश्यकता को कम करता है। आर्थिक लाभ के साथ-साथ यह पद्धति पर्यावरण के लिए भी अनुकूल साबित हुई है, क्योंकि कम यात्रा के कारण कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है।

डोक10 स्टूडियो के मैनेजर एडम ब्रॉडहर्स्ट ने इस पद्धति को भविष्य की घटनाओं के लिए मानक बताया। उनका कहना है कि प्रमुख आयोजनों के लिए इस तरह की तकनीकी प्रगति को अपनाना सार्वभौमिक बनता जा रहा है।

अत्याधुनिक प्रस्तुति के लिए प्रतिबद्धता

बीबीसी की यूरो 2024 कवरेज ने उनकी तकनीकी सीमाओं को धक्का देते हुए प्रभावी और आकर्षक प्रस्तुति की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। इसने यह प्रमाणित किया है कि नया और तकनीकी दृष्टिकोण किसी भी प्रसारण को विश्व स्तर पर उत्कृष्ट बना सकता है। ऐसे में बीबीसी स्पोर्ट्स ने अपनी तकनीकी कौशलता को साबित करते हुए दर्शकों के दिल में एक विशेष स्थान बना लिया है।

जैसे-जैसे नई तकनीकों का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे प्रसारण के तरीकों में भी परिवर्तन आ रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि दर्शकों को सर्वश्रेष्ठ अनुभव मिले, आगे भी इस तरह की तकनीकी प्रगति हमारा मार्गदर्शन करती रहेंगी। बीबीसी स्पोर्ट्स ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, और इसकी उपलब्धि आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

12 टिप्पणि

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    Hardik Shah

    अगस्त 19, 2024 AT 09:26
    ये सब टेक्नोलॉजी का धमाका तो है पर बीबीसी के लिए ये सिर्फ पैसे बचाने का चाल है। जर्मनी में लाइव कैमरा लगाने की जगह यूके में बैठकर फीड्स चलाना... इससे प्रसारण का मजा ही क्या रह गया?
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    manisha karlupia

    अगस्त 20, 2024 AT 06:12
    मुझे लगता है ये तकनीक अच्छी है... बस इतना चाहिए कि दर्शकों को लगे कि वो वास्तविक मैच के बीच में हैं... अगर एआर और एक्सआर से ऐसा हो जाए तो ये बहुत बढ़िया है... बस थोड़ा सा धीमा हो जाए तो बेहतर होगा
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    vikram singh

    अगस्त 21, 2024 AT 20:43
    बीबीसी ने तो अब टीवी पर बर्लिन के ब्रांडेनबर्ग गेट के सामने गैरी लिनेकर को बैठाकर बता रहा है कि बार्सिलोना की टीम कैसे खेल रही है... ये नहीं कि उन्होंने अपने दिमाग को बर्लिन के बाहर ले जाने का फैसला किया है... ये तो वास्तविकता के ऊपर एक बादल बना दिया है... ये तो अब टीवी नहीं, साइंस फिक्शन चल रहा है!
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    balamurugan kcetmca

    अगस्त 23, 2024 AT 15:52
    इस रिमोट प्रोडक्शन के फायदे बहुत बड़े हैं, जैसे कि कम यात्रा, कम ऑन-साइट स्टाफ, कम उपकरण ले जाने की जरूरत, और इससे बनने वाली कार्बन फुटप्रिंट में भारी कमी... ये सिर्फ एक टेक्नोलॉजी का बदलाव नहीं, बल्कि पूरे ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री का भविष्य है... अगर ये तकनीक भारत में भी अपनाई जाए तो हम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कवरेज दे सकते हैं बिना लाखों रुपये खर्च किए... और ये सिर्फ फुटबॉल के लिए नहीं, ओलंपिक्स, एशियाई खेल, यहां तक कि राष्ट्रीय चुनावों के लिए भी बहुत उपयोगी होगा
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    Arpit Jain

    अगस्त 24, 2024 AT 12:35
    एआर और एक्सआर तो बहुत बढ़िया है लेकिन जब तक बीबीसी ने अपने टीम को जर्मनी में नहीं भेजा तो वो बस एक बड़ा ट्रिक है... आखिर एक अच्छा मैच देखने के लिए तो लाइव अनुभव चाहिए ना... ये सब डिजिटल धोखा है
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    Karan Raval

    अगस्त 25, 2024 AT 03:34
    ये तकनीक अच्छी है और इसे और बेहतर बनाया जा सकता है अगर हम अधिक भारतीय भाषाओं में भी ऑप्शन दें और लोगों को अपनी पसंद के अनुसार विश्लेषण देखने का मौका दें... बस थोड़ा धीरे चलो और सबको साथ ले चलो
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    divya m.s

    अगस्त 25, 2024 AT 18:26
    ये सब तकनीकी चालाकी बस एक बड़ा धोखा है... बीबीसी को लगता है कि दर्शक बेवकूफ हैं जो एआर ग्राफिक्स देखकर भावुक हो जाएंगे... असली मैच का जुनून कहाँ है? क्या आपने कभी देखा कि एक बच्चा बर्लिन के ब्रांडेनबर्ग गेट के आगे खड़ा होकर गोल की चीख लगा रहा है? नहीं... वो तो स्टेडियम में होता है!
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    PRATAP SINGH

    अगस्त 26, 2024 AT 19:21
    बीबीसी के इस उपक्रम को देखकर मुझे याद आता है कि ब्रिटिश साम्राज्य ने भी अपनी शक्ति को टेक्नोलॉजी के माध्यम से विस्तारित किया था... ये नहीं कि उन्होंने वास्तविक दर्शकों के साथ संबंध बनाया था... ये तो एक आधुनिक उपनिवेशवाद है जो आपके दिमाग को कंट्रोल करता है
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    Akash Kumar

    अगस्त 27, 2024 AT 16:29
    इस तकनीकी प्रगति को आदर्श रूप से देखा जा सकता है क्योंकि इसने प्रसारण के लिए एक नए मानक की नींव रखी है... यह एक अत्यंत व्यवस्थित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जिसे विश्व के अन्य प्रसारण संगठनों को अपनाना चाहिए... यह न केवल कुशलता का प्रतीक है बल्कि आधुनिक संस्कृति का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है
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    Shankar V

    अगस्त 28, 2024 AT 12:34
    ये सब एक छल है... बीबीसी ने जर्मनी में कैमरे लगाने की जगह डोक10 में बैठकर फीड्स चला रहा है... ये तो अमेरिका के नेटफ्लिक्स की तरह है जो फिल्में बनाता है और बताता है कि ये लाइव है... लेकिन असल में ये सब एक गूगल स्टूडियो में बनाया गया है... ये एक विशाल नाटक है जिसमें दर्शकों को धोखा दिया जा रहा है
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    Aashish Goel

    अगस्त 28, 2024 AT 21:07
    मुझे लगता है कि ये तकनीक बहुत अच्छी है... लेकिन क्या हुआ अगर एआर ग्राफिक्स थोड़ा धीमा हो जाए... और गैरी लिनेकर का आवाज़ थोड़ा ऊपर उठ जाए... और ये ब्रांडेनबर्ग गेट का वास्तविक रंग तो ठीक है लेकिन क्या ये असली बर्लिन का रंग है... या फिर ये बीबीसी का डिजिटल फिल्टर है... और क्या ये एक्सआर तकनीक असल में काम कर रही है... या फिर ये बस एक बड़ा लाइव स्ट्रीम है... और अगर ये टेक्नोलॉजी डाउन हो जाए तो क्या होगा...?
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    leo rotthier

    अगस्त 28, 2024 AT 21:58
    भारत की टीम जब खेल रही होगी तो बीबीसी ने इस तरह की तकनीक का उपयोग किया होता? नहीं... ये सब बस यूरोप के लिए है... हमें तो अभी तक बेसिक स्टूडियो वाला ब्रॉडकास्ट मिलता है... ये तो दुनिया की दोहरी मानकता है

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