भारतीय खिलाड़ी सूर्यकुमार यादव पर हार्दिक पांड्या से ज्यादा भरोसा करते हैं, बीसीसीआई को मिला फीडबैक

भारतीय खिलाड़ी सूर्यकुमार यादव पर हार्दिक पांड्या से ज्यादा भरोसा करते हैं, बीसीसीआई को मिला फीडबैक

जुल॰, 19 2024

भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी में बदलाव

भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी में हाल ही में बड़ा बदलाव देखा गया है, जिसमें सौर्यकुमार यादव को हार्दिक पांड्या के मुकाबले अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। खिलाड़ियों द्वारा दी गई फीडबैक ने इस निर्णय को मजबूती दी है। खिलाड़ियों ने बीसीसीआई को बताया है कि वे सौर्यकुमार पर हार्दिक से ज्यादा भरोसा करते हैं और उनकी लीडरशिप में अधिक आरामदायक महसूस करते हैं।

हार्दिक पांड्या की फिटनेस और प्रदर्शन की चिंताएं

हार्दिक पांड्या एक समय टीम इंडिया के प्रमुख सीम-बॉलिंग ऑलराउंडर थे, लेकिन हाल के दिनों में उनकी फिटनेस उनकी प्रदर्शन क्षमता पर बुरा असर डाल रही है। उनके गले का गंभीर चोट और पीठ की समस्याएं उनके खेल को धीमा कर रही हैं। इन फिटनेस समस्याओं ने उनके चयन के फैसले को और अधिक मुश्किल बना दिया।

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में हार्दिक के प्रदर्शन ने भी उनकी कप्तानी क्षमताओं पर सवाल खड़े कर दिए। मुंबई इंडियंस (एमआई) के लिए एक बेहद खराब आईपीएल सीजन ने हार्दिक की नेतृत्व क्षमताओं पर आंशिक रूप से निगेटिव प्रभाव डाला। टीम के ड्रेसिंग रूम में भी मुद्दों के कारण उनकी लीडरशिप पर सवाल उठे हैं।

नई कोच गौतम गंभीर की भूमिका

सौर्यकुमार यादव को कप्तानी में आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी था कि नए कोच गौतम गंभीर उनके शांत स्वभाव और संवाद क्षमता को अधिक पसंद करते हैं। गंभीर का मानना है कि सौर्यकुमार की लीडरशिप शैली रोहित शर्मा की तरह ही है, जो व्यक्तिगत संवाद पर जोर देती है। उनके इस दृष्टिकोण को प्रमुख चयनकर्ता अजीत आगरकर का भी समर्थन मिला है।

गौतम गंभीर की भूमिका ने इस निर्णय को निश्चित रूप से महत्वपूर्ण बनाया है। उनकी समझ और खिलाड़ियों के प्रति उनकी दृष्टि ने बीसीसीआई को इस दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

खिलाड़ियों की फीडबैक का महत्व

खिलाड़ियों की फीडबैक का महत्व

यह निर्णय खिलाड़ियों की फीडबैक के महत्व को रेखांकित करता है और लीडरशिप भूमिकाओं में स्थिरता की आवश्यकता को भी उजागर करता है। खिलाड़ी अधिकतर पसंद करते हैं कि उनकी बातें और समस्याएं सीधी और व्यक्तिगत रूप से सुनी जाएं। यही कारण है कि सौर्यकुमार की लीडरशिप शैली, जो व्यक्तिगत संवाद का महत्व देती है, उनके लिए अधिक सुविधाजनक साबित हुई है।

बीसीसीआई का दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाएं

बीसीसीआई का यह कदम भविष्य की तैयारी के रूप में देखा जा सकता है, जहां खिलाड़ियों की फिटनेस, प्रदर्शन और टीम की आंतरिक गतिशीलता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सौर्यकुमार यादव का नेतृत्व भारतीय क्रिकेट को एक नयी दिशा दे सकता है, जहां टीम के हर सदस्य की भूमिका और उनके योगदान को अधिक महत्व मिलेगा।

इस बदलाव से यह भी संकेत मिलता है कि भारतीय क्रिकेट टीम भविष्य में और अधिक समर्पित और संगठित रहने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। टीम की हर सदस्य का प्रदर्शन और उनका सहयोग महत्वपूर्ण है, और सही नेतृत्व इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

20 टिप्पणि

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    Tamanna Tanni

    जुलाई 20, 2024 AT 09:17
    सूर्यकुमार की लीडरशिप में कुछ शांति है। हार्दिक तो अब बस फिट हो जाएं, तभी बात होगी। 😌
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    vikram yadav

    जुलाई 20, 2024 AT 17:08
    ये फीडबैक वाली बात सच में बड़ी अहम है... टीम के खिलाड़ी जब खुद की आवाज़ सुनने को मिले, तो वो जुड़ जाते हैं। सौर्यकुमार का स्टाइल बिल्कुल रोहित जैसा है-कम बोलो, ज्यादा करो। और ये बात अब बहुत कम लोग समझ पाते हैं। गौतम गंभीर ने बहुत सही चुनाव किया।
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    Rosy Forte

    जुलाई 21, 2024 AT 18:05
    अरे भाई, ये सब बहुत ही रूढ़िवादी लीडरशिप थ्योरी है। आधुनिक क्रिकेट में तो ऑलराउंडर कप्तानी की अवधारणा ही फेल हो चुकी है। हार्दिक के पास अभी भी एक अनूठा एथलेटिक एंगल है-जिसे आप बस इसलिए नज़रअंदाज़ कर रहे हैं क्योंकि वो आपके न्यूरो-लीडरशिप मॉडल में फिट नहीं होता। ये सिर्फ एक निर्णय नहीं, ये एक सांस्कृतिक अपराध है।
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    Yogesh Dhakne

    जुलाई 23, 2024 AT 13:00
    हार्दिक के साथ बस फिटनेस की बात ही नहीं, उनका टीम में रवैया भी बदल गया है। अब वो बहुत ज्यादा बोलते हैं, और कभी-कभी बिना सोचे। सूर्यकुमार तो अपने आप में एक कैल्म ब्रेन हैं। जब टीम तनाव में होती है, तो ऐसे लोग ही काम आते हैं। 😌
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    kuldeep pandey

    जुलाई 23, 2024 AT 22:41
    बीसीसीआई ने फिर से एक ऐसा फैसला किया जो किसी के दिल को नहीं छूता... सिर्फ उनके बैंक बैलेंस को बढ़ाता है। ये सब नेतृत्व का झूठ है। असल में, कोई न कोई बड़ा बॉस इस बार अपना नाम लिखवाना चाहता है।
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    Hannah John

    जुलाई 25, 2024 AT 21:22
    क्या आपने कभी सोचा कि ये सब एक गुप्त राजनीति हो सकती है? क्या गौतम गंभीर और अजीत आगरकर ने किसी बड़े बैंक के साथ गुप्त समझौता किया है? क्योंकि अगर सूर्यकुमार कप्तान बने तो उनके ब्रांड वैल्यू बढ़ेंगे... और फिर वो ब्रांड किसके पास जाएगा? सोचो...
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    dhananjay pagere

    जुलाई 26, 2024 AT 23:27
    हार्दिक की फिटनेस नहीं, उनकी लीडरशिप की असमर्थता ही वजह है। उनके बातचीत का तरीका बहुत अलग है-जैसे कोई बात बाज़ार में चिल्ला रहा हो। सूर्यकुमार तो बिना शोर के भी टीम को ले जा लेते हैं। ये अंतर समझो। 🤫
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    Shrikant Kakhandaki

    जुलाई 27, 2024 AT 21:31
    सूर्यकुमार तो बस एक बैट्समैन है जो अच्छा खेलता है और बहुत शांत है... लेकिन कप्तानी तो उस आदमी को मिलनी चाहिए जिसके पास टीम को बदलने की जरूरत हो। हार्दिक के अंदर वो आग है जो टीम को जला सकती है। अब ये फैसला बस एक बड़ा गलती है जिसका नतीजा अगले वर्ष दिखेगा
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    bharat varu

    जुलाई 29, 2024 AT 19:37
    ये बदलाव बहुत बढ़िया है! सूर्यकुमार तो टीम का दिल है। उनकी बातों में दिल होता है, न कि सिर्फ स्ट्रैटेजी। अगर टीम इंडिया वास्तव में एक परिवार बनना चाहती है, तो इसी तरह का नेतृत्व चाहिए। गौतम गंभीर ने बहुत सही किया। चलो अब सब मिलकर उनका समर्थन करें!
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    Vijayan Jacob

    जुलाई 31, 2024 AT 11:49
    हार्दिक के खिलाफ ये सब बहुत अजीब है। उनकी फिटनेस बहुत बेहतर हो रही है। ये सब बस एक बड़ा निर्णय है जिसे किसी ने बनाया है ताकि किसी और को फायदा हो। ये नेतृत्व नहीं, ये नाटक है।
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    Saachi Sharma

    अगस्त 1, 2024 AT 07:52
    सूर्यकुमार की शांति अच्छी है। हार्दिक तो बस जल रहे हैं।
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    shubham pawar

    अगस्त 2, 2024 AT 07:03
    मैंने तो सोचा था कि हार्दिक अब बड़ा नेता बन जाएंगे... लेकिन अब देख रहा हूँ कि टीम के अंदर भी एक अजीब राजनीति चल रही है। क्या आप जानते हैं कि बीसीसीआई के एक बड़े अधिकारी की बेटी सूर्यकुमार की बहन के साथ डेट करती है? ये सब नहीं... ये एक बड़ा नियोजन है।
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    Nitin Srivastava

    अगस्त 4, 2024 AT 04:59
    लीडरशिप एक एक्सपर्टिज़ है, न कि एक लुक। सूर्यकुमार का व्यवहार टीम डायनामिक्स के लिए आदर्श है-एक स्ट्रैटेजिक न्यूरोलॉजिकल अप्रोच जिसमें इमोशनल इंटेलिजेंस का बहुत अधिक स्थान है। उनकी लीडरशिप एक नए जमाने का संकेत है। हार्दिक की फिटनेस की बात तो बस एक डिस्ट्रैक्टर है।
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    Nilisha Shah

    अगस्त 5, 2024 AT 15:31
    मैंने इस बारे में बहुत सोचा है। खिलाड़ियों का फीडबैक असली चीज़ है। लेकिन क्या हमने कभी ये सोचा कि जब खिलाड़ी कहते हैं कि वो सूर्यकुमार पर भरोसा करते हैं, तो क्या वो उनकी बातों को सुन रहे हैं? या बस उनके नाम के आगे बढ़ गए हैं? क्या ये निर्णय वास्तव में टीम के लिए है, या बस एक बड़े बॉस के लिए? मुझे लगता है कि हमें इस बारे में अधिक गहराई से सोचना चाहिए।
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    Kaviya A

    अगस्त 7, 2024 AT 02:56
    सूर्यकुमार बहुत अच्छे हैं लेकिन हार्दिक भी अच्छे हैं... बस फिट नहीं हैं अब... और बीसीसीआई को लगता है कि अगर वो नहीं हैं तो कोई और हो जाएगा... लेकिन क्या ये सब बस एक बड़ा भूल है?
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    Supreet Grover

    अगस्त 7, 2024 AT 07:07
    लीडरशिप क्वालिटीज़ के आधार पर सूर्यकुमार यादव का चयन एक स्ट्रैटेजिक ऑप्टिमाइजेशन है। उनकी इमोशनल इंटेलिजेंस और टीम डायनामिक्स में उनकी योगदान अत्यधिक अनुकूल है। हार्दिक पांड्या के फिटनेस इंडेक्स और लीडरशिप एफिसिएंसी स्कोर में असमानता काफी उल्लेखनीय है।
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    Saurabh Jain

    अगस्त 9, 2024 AT 01:11
    हार्दिक को अभी भी टीम के लिए बहुत जरूरी है। अगर वो फिट हो जाएं, तो उनका योगदान बहुत बड़ा होगा। लेकिन सूर्यकुमार की लीडरशिप भी बहुत अच्छी है। दोनों को अलग-अलग भूमिकाएं दी जाएं, तो टीम और भी मजबूत हो जाएगी।
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    Suman Sourav Prasad

    अगस्त 9, 2024 AT 21:57
    सूर्यकुमार बहुत अच्छा है, लेकिन हार्दिक के साथ भी बहुत अच्छा खेला गया है। मुझे लगता है कि बीसीसीआई ने बहुत जल्दी फैसला कर दिया। अगर हार्दिक अगले महीने फिट हो जाएं, तो क्या ये फैसला वापस लिया जाएगा? ये तो बहुत बड़ी बात है।
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    Nupur Anand

    अगस्त 10, 2024 AT 11:18
    सूर्यकुमार को कप्तान बनाना एक अपराध है। हार्दिक के जैसे लड़के को छोड़कर कोई शांत बैट्समैन को कप्तान बनाना बस एक दुर्भाग्यपूर्ण गलती है। ये टीम इंडिया नहीं, ये टीम बालाजी है। आप जानते हैं कि ये फैसला किसके लिए है? बस एक बड़े बॉस के लिए।
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    Vivek Pujari

    अगस्त 10, 2024 AT 13:22
    सूर्यकुमार की लीडरशिप बहुत बेहतर है। हार्दिक के फिटनेस के बारे में बात करने की जरूरत नहीं। वो खुद अपनी जगह बना लेंगे। लेकिन अब जो भी हो, ये फैसला सही है। 🙌

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