Bangladesh क्रिकेट फ़िटनेस टेस्ट में कई सितारे नहीं रहे काबिल, नाहिद राणा ने बनाया धूम

Bangladesh क्रिकेट फ़िटनेस टेस्ट में कई सितारे नहीं रहे काबिल, नाहिद राणा ने बनाया धूम

सित॰, 26 2025

नई फिटनेस प्रोटोकॉल और उसका उद्देश्य

बीसीबी ने इस साल अपने फिटनेस एसेसमेंट को पूरी तरह बदल दिया है। पहले जो Yo‑Yo टेस्ट चलाया जाता था, उसे 1600 मीटर रन और 40 मीटर स्प्रिंट के combo से बदल दिया गया है। यह बदलाव नई स्ट्रेंथ‑एंड‑कंडीशनिंग कोच नॅथन कीली की देखरेख में लागू हुआ, जिसका मकसद खिलाड़ियों को आधुनिक क्रिकेट की तेज़-तर्रार माँगों के अनुसार तैयार करना है।

नए मानकों में 1600 मीटर को 6 मिनट में पूरा करना अनिवार्य है, साथ ही 40 मीटर स्प्रिंट को 5.5 सेकंड से तेज़ होना चाहिए। यह आँकड़े देख कर स्पष्ट है कि टीम अब एथलेटिकता और स्टैमिना पर अधिक ज़ोर दे रही है, क्योंकि आज‑काल के T20 और ODI फॉर्मेट में लगातार तेज़ दौड़ और तेज़ फील्डिंग की जरूरत होती है।

टेस्ट में सामने आए ख़ास नतीजे

टेस्ट में सामने आए ख़ास नतीजे

कुल 22 खिलाड़ियों ने इस कठोर परीक्षा में हिस्सा लिया। सबसे बड़ा सिरदर्द बने रहे अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ Mustafizur Rahman और Taskin Ahmed, जिन्होंने 1600 मीटर को लगभग 8 मिनट में पूरा किया – जो कि निर्धारित मानक से दो मिनट अधिक है। इस बीच, Tanvir Islam और Shamim Patowary जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने भी इसी तरह की कठिनाइयाँ बताई।

Bangladesh क्रिकेट फिटनेस टेस्ट में नहायिद राणा ने सबसे शानदार प्रदर्शन किया, 5 मिनट 31 सेकंड में दूरी पूरी करके सभी को चकित कर दिया। दूसरा तेज़ नाम Tanzim Hasan Sakib था, जिसने 5 मिनट 53 सेकंड में दौड़ पूरी की। दोनों ने न केवल मानक को पार किया, बल्कि टीम मैनेजमेंट की प्रशंसा भी बटोरी।

पहले बैच में मीहदी हसन मीराज़ और मौशफिकुर रहिम क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे, जबकि दूसरे बैच में शहदत होसैन दीपू और परवेज़ होसैन एमो ने Tanzim के बाद क्रमशः दूसरे‑तीसरे स्थान पर कब्ज़ा किया। इन परिणामों से पता चलता है कि युवा खिलाड़ी फिटनेस के मामले में तेज़ी से अनुकूलन कर रहे हैं, जबकि कई सीनियर खिलाड़ियों को नई माँगों के साथ तालमेल बिठाने में दिक्कत है।

यह चिंता का कारण है क्योंकि Bangladesh अब Asia Cup 2025 के लिए तैयार होने वाला है, जहाँ उन्हें India, Sri Lanka और Afghanistan जैसे ताक़तवर प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, टॉर्नीमेंट का प्रदर्शन टीम की T20 World Cup की तैयारी के लिए भी एक अहम इशारा माना जाता है।

टीडीएस कार्ड पर टीम मैनेजमेंट ने कहा, "Rana की फ़िटनेस वास्तव में outstanding रही, कुछ अन्य भी अच्छे रहे, पर कई खिलाड़ी हमारी उम्मीदों पर ख़रा नहीं उतर पाए।" इस बात से साफ़ है कि आगामी मैचों में खिलाड़ियों की शारीरिक स्थिति को सुधारने के लिए गंभीर कदम उठाने पड़ेंगे।

आगामी सप्ताह में Bangladesh ने Netherlands के खिलाफ एक T20I सीरीज़ खेलनी है, जो फिटनेस मुद्दों को हल करने और टीम को एक साथ लाने का एक अच्छा अवसर हो सकता है। अगर इस सीरीज़ में भी तेज़ गेंदबाज़ी के प्रदर्शन में गिरावट आती है, तो यह बताता है कि फिटनेस सुधार सिर्फ एकबारगी टेस्ट से नहीं, बल्कि निरंतर ट्रेनिंग और निगरानी से ही संभव है।

  • नई टेस्‍ट के तहत 6 मिनट से बेहतर 1600 मीटर का समय अनिवार्य है।
  • 40 मीटर स्प्रिंट में 5.5 सेकंड से तेज़ होना चाहिए।
  • नाहिद राणा ने 5:31 में रिकॉर्ड बनाया, जबकि Mustafizur Rahman ने 7:58 के आसपास समय दिखाया।
  • भविष्य के टॉर्नीमेंट में फिटनेस को प्राथमिकता देना आवश्यक होगा, नहीं तो जीत की उम्मीद कमज़ोर होगी।

इस नई दिशा का मतलब है कि बांग्लादेशी क्रिकेट को अब सिर्फ तकनीकी कौशल नहीं, बल्कि एथलेटिक प्रोफ़ाइल भी दिखानी पड़ेगी। फिटनेस को लेकर इस तीव्रता से बदलाव देखते हुए, टीम के कोचिंग स्टाफ को भी अपनी ट्रेनिंग मॉड्यूल में अधिक वैरायटी लानी पड़ेगी, जैसे कि हाई‑इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग, कोर स्ट्रेंथ वर्कआउट और स्पीड एन्ड एगिलिटी ड्रिल्स। यह सब तभी संभव है जब खिलाड़ियों की मानसिक तैयारियों को भी ध्यान में रखा जाए, क्योंकि लगातार फिटनेस परीक्षण तनावपूर्ण हो सकता है।

आगे आने वाले महीनों में बांग्लादेश को इस परीक्षण के परिणामों के आधार पर अपने स्क्वाड में बदलाव करना पड़ सकता है। यदि Mustafizur Rahman और Taskin Ahmed जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को फिटनेस मानक नहीं मिलते, तो उनके स्थान पर युवा तेज़ गेंदबाज़ों को मौका मिल सकता है, जो टीम की भविष्य की रणनीति को भी प्रभावित करेगा।

18 टिप्पणि

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    mohd Fidz09

    सितंबर 27, 2025 AT 19:11
    ये बांग्लादेशी खिलाड़ी तो बस बैठे-बैठे चाय पी रहे हैं! 8 मिनट में 1600 मीटर? अरे भाई, हमारे गाँव के बच्चे 4 मिनट में पूरा कर देते हैं। फिटनेस नहीं, फिटनेस का नाटक हो रहा है। 🤦‍♂️
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    Rupesh Nandha

    सितंबर 28, 2025 AT 23:42
    इस बदलाव को देखकर लगता है कि क्रिकेट अब सिर्फ बल्लेबाजी और गेंदबाजी का खेल नहीं, बल्कि एथलेटिक्स की प्रतियोगिता बन गया है। लेकिन क्या यह सच में खेल की गुणवत्ता बढ़ाता है? या बस एक औपचारिकता है?
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    suraj rangankar

    सितंबर 29, 2025 AT 02:00
    नाहिद राणा ने तो दिखा दिया कि अगर मन चाहे तो क्या कर सकते हैं! 5:31? भाई ये तो बिल्कुल जानवर है! बाकी खिलाड़ियों को भी इसी तरह ट्रेन करो, जितना भी आत्मविश्वास है, उतना ही फिट हो जाओ! 💪🔥
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    Nadeem Ahmad

    सितंबर 30, 2025 AT 16:46
    दिलचस्प है। लेकिन क्या ये सब वास्तविक खेल के लिए ज़रूरी है? कुछ खिलाड़ी तो बल्ले से गेंद को दूर भेज देते हैं, लेकिन फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाते हैं।
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    Aravinda Arkaje

    अक्तूबर 1, 2025 AT 03:51
    इस नए टेस्ट ने बांग्लादेशी क्रिकेट को एक नई पहचान दी है। युवा खिलाड़ियों को बहुत बधाई! अगर बूढ़े खिलाड़ी नहीं बदल सकते, तो उनकी जगह नए लोगों को देना चाहिए। टीम की जीत सबसे ज़रूरी है!
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    kunal Dutta

    अक्तूबर 1, 2025 AT 21:19
    लगता है ये सब एक लैब एक्सपेरिमेंट है। एथलेटिक प्रोफाइल का ज़िक्र तो अच्छा है, लेकिन टीम के लिए इंटेलिजेंस और एक्सपीरियंस भी तो चाहिए। ये स्प्रिंट और एंड्यूरेंस का डेटा बाहरी इंडिकेटर है, असली खेल तो मैदान पर होता है।
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    Yogita Bhat

    अक्तूबर 2, 2025 AT 19:36
    अरे यार, नाहिद राणा ने जो रिकॉर्ड बनाया, वो तो एक बार में ही इतिहास बन गया! पर जो लोग फेल हुए, उनके लिए भी एक रिहैब ट्रैक चाहिए। बस फेल करके छोड़ देना बहुत बेकार है। इन्हें भी बचाना होगा! 😅
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    Tanya Srivastava

    अक्तूबर 4, 2025 AT 03:55
    ये सब बस एक धोखा है! जब बीसीबी को पैसे चाहिए होते हैं, तो फिटनेस टेस्ट लाते हैं। असल में तो टीम को बेहतर कोचिंग चाहिए, न कि दौड़ने का दबाव! 🤭
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    Ankur Mittal

    अक्तूबर 4, 2025 AT 06:15
    राणा का प्रदर्शन शानदार है। बाकी को ट्रेनिंग चाहिए। बस इतना।
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    Diksha Sharma

    अक्तूबर 6, 2025 AT 01:47
    क्या आप जानते हैं कि ये टेस्ट अमेरिका के कुछ कंपनियों ने बनाया है? ये सब एक ग्लोबल कॉर्पोरेट कॉन्सपिरेसी है! बांग्लादेश को फिट बनाने के बजाय, उन्हें बेचने के लिए बनाया गया है! 🤫
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    Akshat goyal

    अक्तूबर 6, 2025 AT 22:34
    अच्छा बदलाव। युवाओं को बधाई।
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    Amrit Moghariya

    अक्तूबर 8, 2025 AT 20:33
    मुझे लगता है कि जो लोग अभी भी 8 मिनट में दौड़ रहे हैं, उन्हें बस एक बार गाँव में बारिश के बाद खेत में दौड़ना चाहिए। तब ये सब टेस्ट बहुत आसान लगेंगे। 😄
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    shubham gupta

    अक्तूबर 10, 2025 AT 07:24
    फिटनेस के साथ-साथ टेक्निकल स्किल्स को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। तेज़ गेंदबाज़ी के लिए सिर्फ एथलेटिक्स काफी नहीं है। गेंद की रिलीज़, एंगल, रिटेंशन - ये भी तो ज़रूरी हैं।
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    Gajanan Prabhutendolkar

    अक्तूबर 10, 2025 AT 11:12
    ये सब बहुत अच्छा लगता है... लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जब तक हमारे खिलाड़ी दिन में 12 घंटे खेल रहे हों, तब तक ये टेस्ट बेकार हैं? बीसीबी के पास पैसे नहीं हैं, इसलिए ये फिटनेस टेस्ट लाया गया है। बस एक शोर बनाने के लिए।
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    ashi kapoor

    अक्तूबर 12, 2025 AT 05:56
    मुझे लगता है कि ये फिटनेस टेस्ट तो बहुत अच्छा है, लेकिन क्या इसके लिए कोचिंग स्टाफ को भी ट्रेन किया गया है? या फिर ये सब बस एक टेस्ट है जिसमें खिलाड़ियों को गिराने के लिए बनाया गया है? अगर नाहिद राणा ने ये किया, तो क्या उसके ट्रेनर ने कुछ अलग किया? या ये सब एक अनुभव है जिसे दूसरे लोग नहीं पा सकते? 🤔
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    Yash Tiwari

    अक्तूबर 12, 2025 AT 09:10
    हम जो फिटनेस टेस्ट को आदर्श बना रहे हैं, वह एक अतिशयोक्ति है। क्रिकेट एक खेल है, जिसमें शारीरिक स्थिति जरूरी है, लेकिन वह एक निर्णायक तत्व नहीं हो सकती। एक खिलाड़ी जिसकी बल्लेबाजी दुनिया की तुलना में अद्वितीय है, लेकिन फिटनेस टेस्ट में फेल हो गया, उसे बाहर कर देना एक विचारहीन निर्णय होगा। यहाँ तक कि बैटिंग स्टैंड पर भी एक बार दौड़ लगानी पड़ती है, लेकिन वह एक खेल की तुलना में एक अनुकूलन है।
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    Mansi Arora

    अक्तूबर 12, 2025 AT 17:02
    ये सब बस एक बड़ा धोखा है। जो खिलाड़ी फिट हैं, उन्हें चुन लिया जाएगा, और जो नहीं हैं, उन्हें फेल कर दिया जाएगा। असली बात ये है कि बीसीबी के पास कोई और विकल्प नहीं है। बस एक नया तरीका ढूंढ लिया गया है ताकि लोग भूल जाएँ कि टीम का असली मुद्दा बैटिंग ऑर्डर और बॉलिंग गहराई है।
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    Amit Mitra

    अक्तूबर 13, 2025 AT 14:40
    ये फिटनेस टेस्ट के बारे में बात करते हुए, मुझे लगता है कि बांग्लादेश की खेल व्यवस्था में एक गहरा सांस्कृतिक बदलाव आ रहा है। पहले तो खिलाड़ी अपने तकनीकी कौशल के आधार पर चुने जाते थे, अब तो उनकी शारीरिक प्रतिक्रिया भी एक निर्णायक तत्व बन गई है। यह एक वैश्विक ट्रेंड है, लेकिन क्या यह हमारे खेल की आत्मा के साथ सामंजस्य रखता है? क्या हम अपने खिलाड़ियों को एक यांत्रिक यंत्र बना रहे हैं? या फिर हम उन्हें एक वास्तविक एथलीट बना रहे हैं? यह एक दार्शनिक प्रश्न है, जिसका उत्तर सिर्फ समय ही दे सकता है।

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